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Saturday, September 26, 2009

शारीरिक दर्द को गंभीरता से लें


डॉ दिनेश समूझ
फिजियोथेरेपिस्ट एवं पोस्चर स्पेशलिस्ट मेट्रो हॉस्पिटल, नोएडा

बढती व्यस्तताओं, प्रतिस्पर्धा और भागदौड से भरे जीवन में खासतौर पर दफ्तरो में काम करने वाले लोगों में कमर दर्द, पीठ दर्द, हाथ- पैर में अकडन तथा मांसपेशियों में खिचाव व दर्द जैसी समस्याएं बढती जा रही हैं। यह एक गंभीर स्थिति है और इसकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
कारण
इन सभी समस्याओं के लिए रोजमर्रा के कार्य व्यवहार की छोटी-मोटी चीजें जिम्मेवार हैं जिनपर हम आम तौर पर ध्यान नहीं देते। जैसे-
घर और कार्यालय में गलत ढंग से बैठना।
भागदौड से भारी बेहद तनाव जीवनशैली।
ऐसे फर्नीचरो का उपयोग जिनके निर्माण में किसी भी मानक का पालन नहीं किया गया हो।
कार्यालयों मे काम की जगहो पर और घरो में खुली जगहों का अभाव।
व्यवस्थित तरीके से काम को नहीं करने की बुरी आदत।
तंग कपडाे व गलत तरीके के जूताें का इस्तेमाल।
अव्यवस्थित खान-पान।
कई बार ऐसा होता है कि कई जगहों पर दर्द महीनों बना रहता है, और हम उनकी उपेक्षा करते रहते हैं।
समस्याएं यहीं से शुरू होती हैं। किसी भी प्रकार के शारीरिक दर्द का लंबे समय तक बने रहना, अपने आप में एक बीमारी है और इसकी उपेक्षा भविष्य में किसी रूप में खतरनाक हो सकती है।
उदाहरण के तौर पर
गलत तरीके से बैठने पर गर्दन, कमर और घुटने में दर्द की शिकायत।
गलत तरीके से बैठने से ही पैरों में दर्द की शिकायत होती है।
अव्यवस्थित दिनचर्या और खानपान में लापरवाही करने से अन्य शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं।
उपचार
इस प्रकार की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए किसी अच्छे फिजियोथेरेपिस्ट से तुरंत मिलें। अपनी समस्याओं के कारणों को जानने का प्रयास करें और समय पर निवारण करें। किसी एक आउटडोर खेल को अपनाएं। धूम्रपान व मदिरापान से बचें। शाकाहारी भोजन को प्राथमिकता दें। पानी अधिक पिएं।
कुछ सरल व्यायाम
गर्दन का व्यायाम,

गर्दन को दाएं से बाएं घुमाएं।
इस प्रक्रि या को फिर दुहराएं।
कंधो को उपर-नीचे करें।
दोनो हाथों को सिर के पीछे रखकर गर्दन को आगे-पीछे करें।
कमर का व्यायाम
एक ही स्थान पर खडे रहकर कमर को दाएं- बाएं घुमाएं।
इसी स्थिति में दोनों हाथों को सीधा रखते हुए शरीर को दाएं से बाएं घुमाएं।
हाथो के व्यायाम
किसी गेंद को दबाएं।
मुट्ठी को बार-बार खोलें व बंद करे।
पैरों के व्यायाम
पैरों को उपर-नीचे करें।
पंजो के बल थोडी देर खडे रहने की कोशिश करें।
घुटनो को उपर-नीचे करे।
कार्य स्थल के उपाय
कुर्सी पर सही तरीके से बैठें, कुर्सी पर बैठते समय यह ध्यान दें कि लगातार सहारा मिलता रहे।
लिखने के लिए सही ऊंचाई की कुर्सी-मेज का इस्तेमाल करें। मेज के ऊपर किसी-किसी अतिरिक्त ऊंचाई वाले बोर्ड का प्रयोग खतरनाक हो सकता है।
लिखते समय मेज और कुर्सी की दूरी का सामंजस्य सही होना चाहिए। लिखते समय दोनाें हाथों की कुहनियां मेज पर होनी चाहिए।
मेज पर लिखने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए।
कुर्सी पर बैठते समय ध्यान रखें कि घुटने कीलम्बाई कुल्हे से अधिक होनी चाहिए।
कंप्यूटर पर कार्य करते समय ध्यान रखें कि मॉनिटर की ऊंचाई सही हो, की-बोर्ड की स्थिति सही हो, माउस की स्थिति सही हो और कंप्यूटर शरीर से यथोचित दूरी पर हो।
कुर्सी पर बैठकर लगातार काम न करें बल्कि थोडी-थोडी देर में उठकर टहल लें।
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आराम बेहद जरूरी है।
व्यायाम से हमारे शरीर को स्फूर्ति मिलती है। खेल भी स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। लेकिन अधिक परेशानी होने पर डॉक्टर की सलाह लें।

तनाव और हृदय रोग



डॉ.पुरूषोतम लाल

तनाव कम होने पर किसी भी गंभीर रोग का खतरा भी कम हो जाता है। अनियमित व अंसतुलित खान-पान से और शारीरिक निष्क्रियता के कारण भी तनाव बढ़ जाता है। उचित खानपान (डाइट) की कमी के कारण शरीर में उन तत्वों की कमी हो जाती है जो कि सेहत के लिए अत्यंत ही आवश्यक होते हैं। घूमने-फिरने या हल्का व्यायाम करने से शरीर और जोड़ों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है जिससे तनाव बढ़ जाता है। षोषक तत्वों से भरपूर और नियम के अनुसार खानपान करना समस्या को कम करने के लिए पर्याप्त है।
क्या तनाव वास्तव में हृदय रोग का कारण है?
आज की आपाधापी और तेज जीवन शैली के चलते लोगों में तनाव से संबंधित रोगों में निरंतर वृद्धि हो रही है। प्राथमिक तौर पर कार्य के अधिक दबाव और अन्य समस्याओं के कारण जनसंख्या का बड़ा हिस्सा तनाव का शिकार बनता जा रहा है। यद्यपि तनाव और चिंता मुक्ति के लिए अधिकतर लोग अपने खान-पान, फिटनेस और ध्यान पर भी जोर दे रहे हैं लेकिन यह सोचना है कि वृद्ध समेत जवान पीढ़ी भी आखिर क्यों दिन-प्रतिदिन तनाव से संबंधित समस्याओं से ग्रस्त होते जा रहे हैं? मैट्रो अस्पताल और हार्ट इंस्टीटयूट के प्रबंध निदेशक पद्म भूषण व डा.वी.सी.राय पुरस्कार प्राप्त डा.पुरूषोतम लाल का कहना है कि तनाव से हृदय रोग बढ़ने का खतरा होता है। एलिवेशन और कैटिकोलएमनीस (एपिनेफरिन और नोर एपिनेफरिन) जैसे हार्मोन्स अप्रत्यक्ष रूप से हमारे रक्तचाप बढ़ाने में सहयोग करते हैं और अनिमियत खानपान की आदत और साथ में धूम्रपान से इसका खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है। यह चितंनीय सवाल है कि तनाव हमारे कोर्डियोवास्कुलर प्रणाली को किस तरह सीधा प्रभाव डालता है। यह वर्षों से चला आ रहा सामान्य ज्ञान है कि जो लोग तनाव से अधिक ग्रस्त होते हैं, उनमें स्वत: ही हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन क्या यह बात सही है? यदि सच है तो किस तरह के तनाव से हृदय रोग बढ़ सकते हैं और कैसे? इसके उपाय के लिए क्या किया जा सकता है?
किस तरह के तनाव की बात?
जब लोग तनाव के लिए कहते हैं तो वे दो अलग-अलग चीजों के बारे में बात कर सकते हैं:-शारीरिक तनाव व भावनात्मक तनाव। तनाव व हृदय रोग के बारे में उपलब्ध अधिकतर चिकित्सा साहित्य शारीरिक तनाव पर आधारित है लेकिन अधिकतर लोग इसे भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ मानते हैं।
शारीरिक तनाव:-व्यायाम और अन्य बाहरी शारीरिक क्रियाएं हमारे हृदय के लिए आवश्यक होती हैं। यह तनाव आमतौर पर अच्छी मानी जाती है,लेकिन यह तथ्य पूर्ण है कि शारीरिक तनाव की कमी का अभाव कोरोनरी आर्टरी रोग का बड़ा कारण होता है। इसीलिए इस तरह के तनाव प्राय: स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं और लंबे समय तक हृदय सामान्य रहता है। अत्यधिक शारीरिक तनाव हृदय के लिए घातक हो सकता है, यदि कोई व्यक्ति कोरनरी आर्टरी की बीमारी से पीड़ित हो। उसके लिए अत्यधिक कसरत हानिकारक हो सकती है।
इस्कैमिक से हुई हार्ट मसल्स के कारण एनजीना (छाती में दर्द) अथवा हार्ट अटैक हो सकता है। अत: शारीरिक तनाव स्वास्थ्य के लिए सामान्यत: अच्छा होता है और जब तक आदमी हृदय रोग रहित रहे तब तक यह फायदेमंद होता है। लेकिन गलत तरीके से या अत्यधिक कसरत कुछ प्रकार के हृदय रोगों के लिए ज्यादा नुकसानदेह हो सकते हैं, लेकिन शारीरिक तनाव ह्दय रोग का कारण नहीं होता है।
भावनात्मक तनाव:-इस तनाव को प्राय: हृदय रोग का कारण माना जा सकता है। व्यक्तिगत समस्याएं, कार्य की अधिकता, दबाव, शराब का सेवन और रात को घंटों बाहर रहना आदि कारण से यह होता है। प्रत्येक व्यक्ति यहां तक कि एक चिकित्सक भी इस समस्या से ग्रस्त हो सकता है। इस तरह की तनाव ह्दय रोग का कारण हो सकती है।
इस बात के पर्याप्त प्रमाण पाए जाते हैं कि क्रोनिक इमोशनल स्ट्रेस का संबंध हृदय रोग और अल्पमृत्यु से जुड़ा हुआ है। कई अध्ययनों से पता चला है कि एक व्यक्ति जो शादीशुदा नहीं है, वह शादीशुदा पुरुष की तुलना में कम जीता है और साफ शब्दों में कहा जाए कि उसकी मृत्यु जल्दी हो जाती है। इस बात पर आम सहमति है कि पति-पत्नी के बीच भावनात्मक स्तर चरम पर होता है, जिसका प्रत्यक्ष लाभ मिलता है। अन्य अध्ययनों से मालूम होता है कि जिनके जीवन में कोई बड़ा बदलाव आया हो, जैसे कि पत्नी या किसी करीबी रिस्तेदार की मौत होना, नौकरी छूटना या किसी नई जिम्मेदारी आदि कारणों से मरने वालों का औसत अधिक होता है। जो व्यक्ति अधिक या शीघ्र गुस्से की प्रवृति के होते हैं,उनमें हृदय रोग अधिक पाया जाता है।
भावनात्मक तनाव हृदय रोग का कारण
जो लोग अधिकतर तनावपूर्ण माहौल में रहते हैं उन्हें धूम्रपान अथवा असंतुलित जीवन बिताने की आदत पड़ जाती है और वैसे व्यक्ति ज्यादातर बैठे रहते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत ही कम व्यायाम करते हैं। हृदय रोग ज्यादातर इन्हीं लोगों को होता है। यहां पर साफ शब्दों में कहा जाए कि ऐसे लोगों को ह्दय रोग जल्द जकड़ लेता है जो तनावपूर्ण माहौल में रहते हैं और व्यायाम के नाम पर कुछ नहीं करते हैं। यहीं इनके लिए घातक सिध्द होता है। इन व्यक्तियों में ट्राईग्लेस्राइड्स की मात्रा ज्यादा पाई जाती है जोकि महत्वपूर्ण कारण है हार्ट अटैक का। भावनात्मक तनाव से शरीर में एड्रिनेलिन पैदा होती है जोकि खून को शीघ्र जमा देती है और ऐसे व्यक्तियों में ह्दय रोग की संभावना ज्यादा होती है।
वैज्ञानिक तौर से स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीक को समझने या सीखने से हमें हृदय मामलों में रोगों के जोखिमों को कम करने में साहयता मिल सकती है। स्ट्रेस मैनेजमेंट से हमें इन खतरों से दूर होने का फायदा मिलता है। इससे हृदय रोग में सुधार और जोखिम तत्वों को कम किया जा सकता है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि व्यायाम करना हृदय रोग को कम करने का सबसे अच्छा उपाय है। जिससे ह्दय संबंधी रोगों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। डा.लाल के अनुसार तनाव कम होने पर किसी भी गंभीर रोग का खतरा भी कम हो जाता है। अनियमित व अंसतुलित खान-पान से और शारीरिक निष्क्रियता के कारण भी तनाव बढ़ जाता है। उचित खानपान (डाइट) की कमी के कारण शरीर में उन तत्वों की कमी हो जाती है जोकि सेहत के लिए अत्यंत ही आवश्यक होते हैं। घूमने-फिरने या हल्का व्यायाम करने से शरीर और जोड़ों में रक्त का प्रवाह कम हो पाता है। जिससे तनाव बढ़ जाता है। षोषक तत्वों से भरपूर और नियम के अनुसार खानपान करना समस्या को कम करने के लिए प्रर्याप्त है। शारीरिक व्यायाम में संतुलित दिनचर्या का होना आवश्यक है। अत: कार्य कीजिए लेकिन घर-परिवार और दोस्तों के लिए वक्त अवश्य निकालें, साथ ही जीवन में मनोरंजन और हंसी-खुशी के लिए वक्त निकालना चाहिए ताकि जीवन तनाव से मुक्त (स्ट्रेसलैस) हो सके।