rashtrya ujala

Wednesday, February 24, 2010

नंदगांव के मतवाले पर बरसाना में प्यार भरी लाठियां

बरसाना वर्षों से चली आ रही रंगों में रंगी रंगीली और रंगीले अंदाज में नंदगांव के मतवाले हुरियारे। पहले खूब हंसी-ठिठोली फिर गा कर रिझाया-फाग खेलन बरसाने आएं हैं नटवर नंद किशोर..। इसके साथ ही फाग की मस्ती और अटूट पे्रम से भरीं लाठियां हाथ में लेकर रंगीली गली में हुरियारों को झूरने उतरीं बरसाने की हुरियारिनें।
सतरंगी रंगों में सराबोर रंगीली गली में सिर पर बरसतीं लाठियों की तडतड और राधे-राधे की गूंज के बीच आसमान से होली पर बरसते पुष्पों के नजारे ने जैसे द्वापर युग को सजीव कर दिया। इस अनोखे नजारे का दर्शन करने के लिए देश-विदेश से बडी तादाद में श्रद्धालुओं ने आकर अपने को धन्य किया।
बरसाना में मंगलवार शाम को खूब अबीर-गुलाल और रंग बरसा। परंपरा अनुसार नंदगांव के हुरियारे समूह के रूप में बरसाने की पीली पोखर पर पहुंचे। यहां उन्होंने अपने सिर पर ढाल और मजबूत साफा-पगडी बांध कर अपनी पूरी तैयारी कर ली और चल पडे लाडली जू मंदिर। मंदिर पर बरसाने के समाज की ओर से इनका स्वागत किया गया। मंदिर परिसर में बरसाने और नंदगांव के लोगों के बीच होली गीतों के साथ समाज गायन हुआ।
एक घंटे तक चले इस गायन के बाद नंदगांव के हुरियारे ढोल नगाडे बजाते नाचते-गाते दिखाई दिए। इसके बाद मंदिर में शुरू हुआ रंगों की होली का सिलसिला। रंगीली गली से चौक तक करीब एक से डेढ घंटे तक चले इस विश्वप्रसिद्ध लठामार होली के दौरान लाठियों की ताबडतोड वार के बावजूद हुरियारे भी कहां मैदान में डटे रहे। सिर पर ढाल रख प्रहारों के बीच खूब नाचते और ठिठोली कर रहे थे। इस अद्भुत नयनाभिराम दर्शन को लालायित श्रद्धालु श्री राधे-राधे के जयकारे लगाते उत्साह और जोश से होली की मस्ती में मदमस्त दिखाई दे रहे थे। सभी ने एक दूसरे पर खूब रंग डाला। इसकी एक-एक बूंद और छींटे पाने के लिए श्रद्धालुओं में चहुंओर होड मची रही। होली कारंग और गुलाल इस तरह उडा कि ब्रह्मगिरि पर्वत होली के रंगों में सराबोर हो गया। यह खास होली उस समय और यादगार बन गई जब रंगीली गली में लठामार होली खेल रहे हुरियारों और हुरियारिनों पर आसमान से पुष्पों की बरसा होने लगी। यह बरसात दिल्ली से आए एक श्रद्धालु ने हेलीकाप्टर से कराई थी। उस क्षण ने माहौल में और चार चांद लगा दिए।

Sunday, February 14, 2010

मौसम में दिल का धड़कना आधुनिकता का नाम वेलेंटाइन डे का नाम

निर्मेश त्यागी
ऐसे में दिल का धड़कना लाजिमी है,क्योंकि वेलेंटाइन डे है आज। युगों-युगों से बसंत का मंद समीर,खिले हुए फूल,गुनगुनाती धूप और मन में उठती मीठी सी तरंग। ऐसे माहौल में दिल का धड़कना तो लाजिमी ही है। यह अलग बात है कि खुशगवार मौसम की वजह से मन में आने वाले मुहब्बत से भरे इस सुरीले अहसास को आधुनिकता ने वेलेंटाइन डे का नाम दे दिया गया है। कुछ ऐसा ही बताते हैं मानव शरीर पर मौसम के बदलावों का अध्ययन करने वाले आयुर्वेदाचार्य। आयुर्वेदाचार्यों के मुताबिक दरअसल प्यार का दिन यानि वेलेंटाइन डे दिल का मामला नहीं बल्कि मौसम का मामला है।
आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि बसंत ऋतु में चलने वाली मंद समीर रोम छिद्रों के माध्यम से सीधे शरीर के भीतर प्रवेश कर जाती है। इससे शरीर के भीतर स्फूर्ति का अहसास होता है। आयुर्वेदाचार्यों का कहना हैै कि बसंत का मौसम ऐसा प्रभाव डालता है कि मानव प्रेम भावनाओं के वशीभूत होकर कार्य करने लगता है। शरीर की अग्रि भी इस दौरान काफी प्रबल हो जाती हैै। अग्रि के प्रबल होने के बाद मनुष्य भी पशु-पक्षियों की तरह विपरीत लिंग की ओर आकर्षित होता है। पाचन बढिय़ा हो जाता हैै। भूख ज्यादा लगती हैै।
प्रमुख आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ.अजय चौधरी बसंत ऋतु के शरीर पर पडऩे वाले प्रभाव के बारे में बताते हैं,कि पूरे मौसम में शरीर में धातुओं का पोषण की प्रक्रिया जारी रहती है। इसकी वजह से इनसान मानसिक तौर पर प्रेम के लिए काफी हद तक तैयार हो जाता है। डॉ.चौधरी के मुताबिक यही मुख्य वजह है,जिससे वेलेंटाइन डे बसंत में ही पड़ता हैै। युवाओं के अलावा इस ऋतु का प्रभाव बुजुर्गों पर भी पड़ता है। बुजुर्गों की कमर और पीठ दर्द से संबंधित शिकायतें काफी कम हो जाती है। गुस्सा करने वालों लोग थोड़े शांत पड़ जाते हैं और बात बात में झल्लाने वालों की झल्लाहट कम हो जाती हैै। बसंत के खुशगार मौसम का असर पशुओं व पक्षियों पर भी पड़ता है। पशु चिकित्सक डॉ.एच.के.शर्मा के अनुसार मौसम में आए बदलाव के कारण जानवरों की उग्रता भी कम होगी और वे बजाय मारने,काटने,भैंकने के प्यार प्रदर्शित करते हैं।

Friday, February 12, 2010

वेलेन्टाइन डे बनाम प्यार में धोखा.......... ( सावधान लड़कियां )

इन दिनों बाजार जाकर काफी शुकून मिल रहा हैं , ऐसा लगता है मानों कि किसी बगीचे में आ गये हों , चारों ओर गुलाबी खुशबू फैली है । तरह तरह के स्टाइल में सजे गुलाब के फूलों को देख प्रसन्नता होती है , वैसे तो आम दिनों में इन गुलाबों की कीमत पांच रूपये के आस पास होती है पर इस खास मौके पर ये ३० रूपये से लेकर १००० रूपये तक के हैं । इसलिए देखकर ही अच्छा लग रहा है.............. खरीदना क्या ? जब कभी भी मन होता चाय के बहाने बाजार की तरफ रूख कर लेते हैं । कारण तो आप भी पता ही है भाई , हम बेरोजगार जो ठहरे । महंगाई ने पहले ही दाल रोटी को हमसे दूर कर दिया है ऐसे में भला गुलशन में गुलाब कैसे गुलजार हो सकता है । इस समय तो अपना गुलशन गुलजार जी के गाने से( इब्ने बतूता) ही महक रहा है ।
बाजार में जाने पर पता चल रहा है कि लैला मजनू आफर भी चल रहा है जिसमें काफी हट, पिज्जा हट सबसे आगे हैं । पर मेरे लिए यह सब कहां ? अपनी तो वही पुरानी राम कहानी जो बनाओगे वही खाने को मिलेगा । वैसे भी काफी और चाय के दाम ने मिठास पहले ही गायब कर दी है । पर आप सभी जोड़ें में जाकर इसका भरपूर आनंद ले सकते हैं ।
वैसे भी अगर बाजार किसी त्यौहार को महत्तव न दे....... तो वह फीका ही नजर आता है । वेलेन्टाइन डे को बाजार ने सर आंखों पर लिया है , इसलिए इसका खुमार टीन ऐजर्स पर चढ़कर बोल रहा है । मीडिया की माने तो ड्रग्स और गर्भनिरोधक दवाओं की बिक्री में भी इजाफा हुआ है । कंडोम भी आम दिनों की तुलना में ४० फीसदी अधिक बिक रहा है । वैसे इस तरह से एक फायदा तो जरूर रहेगा जो कि शारीरिक संबध को साफ सुथरा बनाया जा सकेगा । वे लड़किया जरूर सावधान रहें जो इस तरह के विचार की नहीं है। कामोत्तेजक दवाओं को पानी , काफी या किसी और तरल में मिलाकर आपको पिलाया जा सकता है । वैसे प्रेम विश्वास का रिश्ता पर सावधानी आपके हाथ हैं । वर्ना धोखा भी हो सकता है ।