rashtrya ujala

Sunday, November 30, 2008

द. अफ्रीकी कमांडो टीम ने लोगों को बचाया

आतंकवादियों ने जब ताज होटल पर हमला किया तो उस समय दक्षिण अफ्रीका के छह कमांडो रेस्तराँ में रात का भोजन कर रहे थे। आतंकवादियों को अचानक उनसे चुनौती मिली, जिससे दर्जनों लोगों की जान बच गई। इन कमांडो ने अपने कौशल एवं बुद्धि का तुरंत इस्तेमाल कर करीब 150 लोगों की जिंदगी बचा ली। कमांडो दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट टीम के साथ आए थे। टीम चैंपियंस लीग में भाग लेने आई थी, जो अब रद्द हो चुकी है। कमांडो होटल की सबसे ऊपरी मंजिल के रेस्टोरेंट सूक में थे। उन्होंने तुरंत वहाँ रात का भोजन कर रहे 150 लोगों को आपातकालीन द्वार से निकाला। दक्षिण अफ्रीकी कमांडो टीम के एक सदस्य बॉब निकोलस ने कहा कि हम वहाँ रात का भोजन कर रहे थे। जब हमने गोलीबारी की आवाज सुनी तो हमें बताया गया कि लॉबी में दो गैंग लड़ाई कर रही हैं। हम घबरा गए। निकोलस ने कहा कि एक विस्फोट की आवाज सुनने के बाद महसूस हुआ कि यह आतंकवादी हमला है और हमने देखा कि आतंकवादी होटल में गोलीबारी एवं ग्रेनेड विस्फोट करते हुए दौड़ रहे हैं। निकोलस ने कहा कि हमें महसूस हुआ कि इलाका सुरक्षित नहीं है। हमें आभास हुआ कि आतंकवादी भवन की सबसे ऊपरी मंजिल पर पहुँच सकते हैं, जहाँ हम हैं।

विदेशी मदद की अभी दरकार नहीं

भारत ने मुंबई में बुधवार रात से शुरू आतंकी वारदात में पाकिस्तानी भूमिका का स्पष्ट आरोप लगाते हुए कहा कि इसकी जाँच के लिए किसी विदेशी एजेंसी की मदद की फिलहाल जरूरत नहीं है। केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा वारदात की जाँच में मदद के लिए आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा के भारत आने की इस्लामाबाद से मिली खबरों के बीच यह बात कही।
उन्होंने कहा कि फिलहाल हमें इसकी जाँच में किसी भी विदेशी एजेंसी की मदद की दरकार नहीं है। गौरतलब है कि यह खबर मुंबई के आतंकी वारदात में पाकिस्तानी भूमिका होने के बारे में प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और विदेशमंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा इशारा किए जाने के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के साथ सिंह की फोन पर हुई बातचीत के बाद आई है। लेकिन जायसवाल ने इस खबर को बिलकुल गलत बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान से जाँच में किसी मदद के लिए कोई आग्रह नहीं किया। उनका कहना था कि हम स्थिति से खुद निपटने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस और उसका आतंकवाद विरोधी दस्ता जाँच करने में सक्षम है और जरूरत पड़ी तो उसकी केन्द्रीय एजेंसियाँ भी मदद करेंगी। उन्होंने इस वारदात में पाकिस्तान का हाथ होने का खुला आरोप लगाते हुए कहा कि मुंबई में पकड़ा गया एक आतंकवादी पाकिस्तानी नागरिक है। जायसवाल ने यह भी कहा कि यह आतंकवादी हमला सुनियोजित था। उन्होंने कहा कि स्थिति को काबू में लाने में इसलिए समय लगा कि हमारे सुरक्षा बल होटलों में ठहरे मेहमानों की जान खतरे में नहीं डालना चाहते थे।

Thursday, November 27, 2008

ऑटो ड्राइवर विधायक बनने की दौड़ में

सुनीता दिल्ली की एकमात्र महिला ऑटो ड्राइवर हैं और अब वे विधायक बनना चाहती हैं। पैंथर्स पार्टी की ओर से वे बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार वीके मल्होत्रा के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं।


सुनीता कहती हैं बीजेपी और कांग्रेस ने बिलकुल विकास कार्य नहीं किया। इस बार भी जो उम्मीदवार मैदान में हैं, वे स्थानीय नहीं हैं। मल्होत्रा दूसरे इलाके में रहते हैं और कांग्रेस के जितेंद्र कुमार भी ग्रेटर कैलाश के रहने वाले नहीं हैं। मैं स्थानीय उम्मीदवार हूँ। मुझे आम जनता का समर्थन हासिल है। वैसे इस ऑटो रिक्शा ड्राइवर के जीतने की उम्मीद कम ही दिखती है, लेकिन ये जरूर है कि चुनाव प्रचार के दौरान लोग उनकी तरफ आकर्षित जरूर होते हैं। असल में दिल्ली के चुनावों में पैंथर्स पार्टी ने ऐसे ही उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जो वोट न सही तो कम से लोगों को अपनी ओर खींच जरूर सकें।

मसलन, पार्टी के हर्ष मल्होत्रा ने अपनी ही बीवी से छह बार शादी की है और भगवान शिव की तरह सात बार अपनी ही बीवी से शादी करना चाहते हैं। इसी तरह पार्टी ने दो ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं, जो सबसे युवा पुरुष और महिला उम्मीदवार हैं। सुनीता से यह पूछे जाने पर कि क्या उनके जीतने की उम्मीद है, वे सकारात्मक जवाब देते हुए कहती हैं कोई नहीं जानता, कौन जीतेगा। जनता जिसे चाहेगी, वह जीतेगा। मैं तो संघर्ष कर रही हूँ जीतने के लिए। आज नहीं तो कल मैं विधानसभा में जरूर जाऊँगी। वे बताती हैं मैं लाइसेंस के लिए तीन साल तक दौड़ती रही, लेकिन कोई मेरे कागजों पर हस्ताक्षर नहीं करता था। फिर जब मैंने हाईकोर्ट जाने की चेतावनी दी, तब कहीं जाकर मुझे कमर्शियल लाइसेंस मिला। सुनीता ऑटो चलाकर खुश हैं और कहती हैं कि उनके साथ सफर के दौरान महिला और पुरुष सवारियाँ सवाल बहुत करते हैं। वे बताती हैं पहले तो लोग मुझे ध्यान से देखते हैं, थोड़ा आश्चर्यचकित होते हैं फिर पूछने लगते हैं क्यों ये काम करती हो, कैसे करती हो और इसी बातचीत में रास्ता कट जाता है। सुनीता करीब सौ महिलाओं को ऑटो चलाने की ट्रेनिंग भी दे रही हैं और उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में दिल्ली की सड़कों पर कई और महिला ऑटो ड्राइवर भी होंगी।

अपने वतन में कितने महफूज है हम...

जनता अमन और चैन चाहती है। वो सुकून से जीना चाहती है, लेकिन आए दिन होते आतंकी हमले जनता को दहशत के साये में जीने पर मजबूर कर रहे हैं। आज नेताओं द्वारा जनता से हाथ जोड़कर वोट तो माँगे जा रहें हैं पर जनता की सुरक्षा के नाम पर सभी चुप्पी साधे बैठे हैं। आखिर कब तक निर्दोष, मासूमों और बेगुनाहों का खून बहाया जाएगा?
जिस वक्त देश के पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं उस समय भारत के प्रमुख महानगर मुंबई में आतंकी हमलों का होना जनता की सुरक्षा के प्रति सरकार की लापरवाही को दर्शा रहा है। सरकार हमेशा की तरह जनता को कोरे आश्वासन देकर शांति की अपील कर रही है परंतु वो परिवार क्या करे, जिनके घर के चिराग इस धमाकों की आँधी से बुझ गए हैं। आर्थिक मंदी के इस दौर में जहाँ परिवार का गुजारा भी बमुश्किल चल रहा था, वहाँ कई घरों के चिरागों का बुझ जाना उनके लिए दो वक्त की रोटी के लाले पड़ने की स्थितियाँ निर्मित कर रहा है। कल रात से लेकर अब तक मुट्ठीभर आतंकियों का मुंबई में सीधा हमला करना न केवल उनके बुलंद हौसलों को बल्कि हमारी सरकार की लाचारी को भी दर्शा रहा है। रातों के शहर मुंबई में जहाँ जिंदगी कभी रूकती नहीं वहाँ सरेआम पाँच होटलों में एक के बाद एक आतंकियों का अपनी गतिविधियों को अंजाम देना व मासूमों को अपना निशाना बनाना पंगु सरकार की नाकामी का स्पष्ट प्रमाण है।
सामने से किया वार : अब तक कचरे के ढ़ेर में मिलने वाले बम आज सरेआम फेंके जा रहे हैं। अंधाधुंध गोलियों की बौछार से निर्दोष जनता के खून से धरती रक्तरंजित हो रही है पर शायद हमेशा की तरह इस बार भी सरकार आश्वासनों का दिलासा देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेगी।
सार्वजनिक स्थानों पर सरेआम सरकार को ललकारना आतंकियों के बढ़ते मंसूबों का परिचायक है। उन्हें मौत का खौफ नहीं है। वो तो 'जेहाद' के नाम पर सरेआम कत्लेआम कर रहे हैं। मीडिया को धमकी भरे ई-मेल भेजकर सीना ठोककर हमलों की जिम्मेदारी लेना जहाँ एक ओर आतंकियों के बुलँद हौसलों को दर्शा रहा है वहीं दूसरी और वोट की राजनीति में लिप्त हमारे सुप्त प्रशासन की नाकामी को भी उजागर कर रहा है। कोई नहीं है अछूता : सार्वजनिक स्थानों पर होते सिलसिलेवार आतंकी हमलों को देखकर ऐसा लगता था कि हर बार इनकी शिकार मासूम और बेगुनाह जनता ही बनती है परंतु अब आतंकियों ने समाज के पूँजीपतियों पर भी वार कर यह सिद्ध कर दिया है कि अब इस समाज का कोई भी वर्ग इन धमाकों से महफूज नहीं है।
मुंबई के ओबेराय और ताज जैसे कई बड़े पाँच सितारा होटलों में आतंकियों का घुसकर गोलीबारी करना तथा कई लोगों को बंधक बना जनता में दहशत फैलाने के लिए पर्याप्त है। पर्यटकों का घटता रुझान : जयपुर, अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई आदि महानगरों में कुछ अंतराल के बाद दहशतगर्दों का एक-एक करके अपने मंसूबों को अंजाम देना भारतीयों के साथ विदेशी पर्यटकों को भी दुबककर बैठने पर मजबूर कर रहा है। इन हमलों का सीधा असर भारत के पर्यटन पर भी पड़ा है, जिसके कारण पर्यटन विभाग को बड़ी हानि उठानी पड़ रही है। अब सही वक्त आ गया है जनता को अपनी आवाज बुलंद करने का। आज देश को जरूरत है उन जागरूक नागरिकों की, जो कुंभकर्णी निद्रा में सोए इस प्रशासन को जगाए। आज यह हमला सिर्फ मुंबई पर नहीं बल्कि हर भारतीय पर हुआ है, आतंकियों ने हमारे ही देश में, हमारे ही शहर में हमें निशाना बनाया है। भारत जैसे शांतिप्रिय देश में आखिर कब तक निर्दोष जनता को निशाना बनाया जाएगा? आखिर कब हम सभी खुली हवा में आजादी से साँस लेंगे? यह एक अनुत्तरित प्रश्न है, जिसका जवाब अब केन्द्र सरकार को देना ही होगा।

Wednesday, November 26, 2008

ओबामा की टीम में भारतीयों का बोलबाला

अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने जा रहे बराक ओबामा और उपराष्ट्रपति जान बिडेन की सत्ता हस्तांतरण टीम में भारतीय मूल के अमेरिकियों की अच्छी-खासी तादाद है। इनमें से ज्यादातर विशेषज्ञ और जाने-माने शिक्षाविद हैं। ये प्रशासन चलाने में डेमोक्रेटिक पार्टी के लोगों की सहायता करेंगे। जिन लोगों की नियुक्ति की गई है वे अफ्रीकी मूल के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ओबामा के लिए अजनबी नहीं हैं। इनमें से अधिकांश के साथ उनके पुराने संबंध रहे हैं।निक राथोड को सरकार के आंतरिक मामलों का कार्यालय निदेशक बनाया गया है। राथोड फिलहाल ओबामा की टीम में नेशनल आउटरीच के दक्षिण एशिया निदेशक हैं। ओबामा के सत्ता हस्तांतरण दल में टेक्सास के पराग मेहता को भी जगह मिली है। मेहता को एशियाई-अमेरिकी अल्पसंख्यक समेत कई अन्य समूहों से संपर्क साधने-बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये आंतरिक मामलों के मंत्रालय में उप निदेशक के तौर पर इन समूहों और सरकार के बीच संपर्क बढ़ाएंगे। हार्वर्ड ला स्कूल में ओबामा की सहपाठी रहीं आरती राय को विज्ञान, तकनीकी, अंतरिक्ष कला और मानवता से जुड़ी कई एजेंसियों के समीक्षा दल का सदस्य बनाया गया है। वह अभी ड्यूक विश्वविद्यालय में पेटेंट ला की प्रोफेसर हैं।निजी इक्विटी फर्म ब्लैकस्टोन के प्रबंध निदेशक अंजन मुखर्जी को अर्थव्यवस्था एवं अंतरराष्ट्रीय व्यापार एजेंसी समीक्षा दल में लिया गया है। उन्होंने राष्ट्रपति पद के चुनाव के दौरान एशियाई मूल के अमेरिकी नागरिकों के बीच ओबामा के पक्ष में प्रचार किया था। रचना भौमिक, सुभाश्री रामनाथन, नताशा बिलीमोरिया और पुनीत तलवार को भी विभिन्न एजेंसी की समीक्षा दलों में शामिल किया गया है।

नस्लीय भेदभाव से संबंधित अपराध बढ़े:-बराक ओबामा के रूप में अमेरिका के पहले अफ्रीकी-अमेरिकी राष्ट्रपति की जीत के बाद अमेरिका में अल्पसंख्यकों और अश्वेतों के प्रति घृणा से संबंधित अपराधों में वृद्धि हुई है।नागरिक अधिकार संगठनों के अनुसार, ओबामा के राष्ट्रपति चुनाव में विजयी होने के बाद ऐसे सैकड़ों मामले सामने आए हैं। अनेक कट्टरपंथी संगठन दशकों तक निष्क्रिय रहने के बाद एक बार फिर सक्रिय होने लगे हैं। फेडरेशन ब्यूरो आफ इंवेस्टीगेशन- 2008 में ऐसे अपराधों से संबंधित आंकड़े जुटाए गए हैं। लेकिन स्थानीय मीडिया की खबरों के आधार पर विशेषज्ञों का कहना है कि नस्लभेद आधारित अपराध की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है। कुछ अधिकारियों ने इसकी तुलना 11 सितंबर, 2001 की घटना के बाद मुसलमानों पर होने वाले हमले में वृद्धि से की है।एक यूनिवर्सिटी में सेंटर फार दि स्टडी आफ हेट एंड एक्सट्रीमिज्म के निदेशक ब्रायन लेविन ने कहा कि स्थिति नियंत्रण से बाहर होने वाली है।

Monday, November 24, 2008

बिहार में विकास का विहार

स्कूल-कॉलेज में पढ़ाई, समय से वेतन, समय पर परीक्षाफल, अस्पतालों के भवनों पर सफेदी, डॉक्टरों का मिलना, दवाओं का वितरण, सड़कें काली-काली, मानो पुनः एक बार बिहार में विकास का विहार होने लगा है। पिछले 2-3 दशकों में 'बिहारी' देश के बड़े शहरों में लगभग एक अपशब्द बन गया है, इससे बिहार की भूमि से पलायन किए मजदूरों का सिर नीचा होता था। वे असम के चाय बागान, हरियाणा और पंजाब के धान-गेहूँ के खेतों, कोलकाता, मुंबई और अहमदाबाद के कल-कारखानों से लेकर दिल्ली की मलीन बस्तियों में मुरझाए-मुरझाए से लगते थे। सिर नीचा कर चलने वाला वह बिहारी समाज अपने ही हाथों सिंचित लहलहाती फसल की हरियाली अपनी आँखों में नहीं भर सकता था।
अपनी आँखों में खुशियाँ बिखेरने की कोशिशों को 'बिहारी' कहकर नाकाम कर दिया जाता था।

यूँ तो बिहार से रोजी-रोटी के लिए पलायन करने वालों की परंपरा बहुत पुरानी रही है। डेढ़-दो सौ साल पूर्व मॉरीशस, गुयाना और सूरीनाम गए मजदूरों की तीसरी-चौथी पीढ़ी अब वहाँ राजसत्ता में भागीदार है। संभवतः यह जानकारी ही राज ठाकरे को उद्वेलित कर रही है

दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बिहार में 40-50 बीघा जमीन जोतने वाले, मालिक कहे जाने वाले परिवारों के बेटे भी थे। 'मलीन बस्ती' के नाम से पुकारे जाने वाली झुग्गियों में मन मारकर बैठते थे। उनके शरीरतोड़ परिश्रम से सड़कें काली होती रहीं, पंचसितारे होटल जगमगाते-चमचमाते रहे, कारखानों से सामान बाजार में आते रहे, करोड़ों शहरी लोगों के घर में सुविधाएँ जुटती रहतीं, पर उन्हें धन्यवाद देने वाला कोई नहीं। 'स्साला बिहारी' ही सुनना पड़ता था। बिहार से दिल्ली आए एक इंजीनियर नौजवान ने साइकल के कैरियर पर पाइप बेचने की एजेंसी ली। उसकी साइकल देखकर व्यापारी उपहास उड़ाते थे-''इसी पर चढ़कर बिहार चले जाओ, वहीं जाकर पाइप बेचो।''

नहीं लौटा वह नौजवान बिहार। मेहनत करता रहा। बड़ी फैक्टरियों की स्थापना की। अरबों का मालिक है। राजनीति में विशेष पहचान बनाई है। साइकल उसने संभाल कर रखी है। वह उसे उन दिनों की याद दिलाती है, विकास की राह रोकती नहीं। आगे और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। यूँ तो बिहार से रोजी-रोटी के लिए पलायन करने वालों की परंपरा बहुत पुरानी रही है। डेढ़-दो सौ साल पूर्व मॉरीशस, गुयाना और सूरीनाम गए मजदूरों की तीसरी-चौथी पीढ़ी अब वहाँ राजसत्ता में भागीदार है। संभवतः यह जानकारी ही राज ठाकरे को उद्वेलित कर रही है।
पिछले बीस वर्षों में बिहार से पलायन करने वालों में मजदूर (परिवार सहित), विद्यार्थी, व्यापारी ही नहीं अवकाश प्राप्त करने वालों की संख्या भी बढ़ गई थी। दिल्ली में इनके प्रति अवमानना का भाव देख-सुनकर मैंने लिखा था -''दिल्ली, बिहार का सबसे बड़ा शहर है।''तत्कालीन मुख्यमंत्री को सुझाव दिया था -''या तो बिहार से पलायन रोकें, या भूगोल की पुस्तक में लिखवा दें- ''दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, अहमदाबाद और अमृतसर 'बिहार' के बड़े शहर हैं।'' यह पाठ बचपन से पढ़ने वाला बिहारी देश के किसी भी कोने में जाकर सीना तानकर मेहनत करेगा, सिर झुकाकर नहीं, क्योंकि वह उस स्थान को भी अपना शहर मानेगा। मुख्यमंत्री पद ग्रहण करते हुए नीतीश कुमार ने यही कहा था- ''अब बिहार से बाहर भी 'बिहारी' सिर उठाकर जीएँगे।''
किसी भी व्यक्ति, परिवार, समाज और राज्य-देश का समय एक-सा नहीं रहा। विकास का मुँह देखने को तरसती बिहार की धरती के हृदय में आस जगी। विकास, विहार करने लगा है। सड़क निर्माण और अन्य विकास के कार्य इतने बढ़े कि मजदूर कम पड़ गए। उस उम्र की महिला शिक्षिकाओं तक की बहाली हुई है, जिन्हें सरकार को प्रसूति अवकाश नहीं देने पड़ेंगे। और भी कई अद्भुत कदम उठाए हैं सरकार ने। मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक ही नहीं, जनता भी विकास के लिए कमर कसकर तैयार हो गई। तीन वर्षों में कई आपदाएँ आईं। सरकार, समाज की सहायता से उबरने में कामयाब हुई है। कानून व्यवस्था सुधरी है। बिहार से होकर गुजरने वाली गाड़ियों पर चढ़ने से दूसरे राज्य के लोग अब भय नहीं खाते।
दरअसल, विकास कितना हुआ, सवाल नहीं है। विकास का मन और वातावरण बनना भी बड़ी बात है। तीन वर्षों के विकास की गिनती कराने के लिए सरकार की झोली में अब बहुत कुछ है। बचपन में हम एक बक्से में छोटे शीशे से झाँकते थे, उसके अंदर कई तस्वीरें होती थीं। बाइस्कोप दिखाने वाले को तस्वीरों का क्रम मालूम होता था। वह बोलता जाता था-''दिल्ली का कुतुबमीनार देखो, पटना का गोलघर देखो, नौ मन की बुलाकी देखो- देखो जी देखो बाइस्कोप देखो।'' बिहार सरकार 24 नवंबर को फिर बाइस्कोप ही दिखाएगी। सड़कों का निर्माण, तालाबों का जीर्णोद्धार,

गीली मिट्टी से मूर्ति बनाना कठिन काम होता है, परंतु टूटी हुई मूर्ति की मिट्टी से मूर्ति बनाना कठिनतर, चाहे वह कच्ची ही मिट्टी क्यों न हो। रोटी बनाते समय भी ऐसा ही होता है। विकास को भूल जाने वाली धरती पर विकास का विहार करना ही बाइस्कोप दिखाने जैसा है

विद्यालय के भवनों का पुनर्निर्माण, डेढ़ लाख शिक्षकों की बहाली, महिलाओं के हाथ में 55 प्रतिशत पंचायतें, विश्वविद्यालयों की मंजूरी - ''देखो जी देखो -बाइस्कोप देखो। पटना का बाजार देखो, सीतामढ़ी का हाई-वे देखो जी देखो। आम, लीची, मखाना का व्यापार देखो, मछली पालन देखो।'' यह सब बाइस्कोप दिखाने जैसा ही होगा, क्योंकि जो भी विकास हुआ है, उसके बारे में बिहार और बिहार के बाहर के लोगों को अपेक्षा ही नहीं थी।

और बिहार ही नहीं, देश-विदेश की जनता देखेगी। बिहार से बाहर रहने वाले करोड़ों (देश-विदेश में) बिहारियों का सिर भी ऊँचा हुआ है। वे बिहार लौटते हैं। दूसरे राज्यों और अपने राज्य में विकास का अंतराल देखकर उनके मन में अपने प्रति ही हीनभावना का निर्माण होता था। अब जहाँ कहीं भी हैं, वे भी शान से कहते सुने जाते हैं -''देखो जी, देखो बाइस्कोप देखो...बिहार में विकास को विहार करते देखो।''
गीली मिट्टी से मूर्ति बनाना कठिन काम होता है, परंतु टूटी हुई मूर्ति की मिट्टी से मूर्ति बनाना कठिनतर, चाहे वह कच्ची ही मिट्टी क्यों न हो। रोटी बनाते समय भी ऐसा ही होता है। विकास को भूल जाने वाली धरती पर विकास का विहार करना ही बाइस्कोप दिखाने जैसा है। बाइस्कोप दिखाने वाला एक-दो तोले का नहीं, नौ मन की बुलाकी दिखाता था। अविश्वसनीय। आश्चर्यजनक, पर वह दिल्ली का कुतुबमीनार भी दिखाता था। हावड़ा का पुल भी दिखाता था। आश्चर्यजनक, पर सत्य। विश्वसनीय। बिहार के मुख्यमंत्री और उनकी पूरी टीम को बधाई। उन्होंने बाइस्कोप दिखाने के लिए अनेक चित्र एकत्र कर लिए हैं। विकास, बिहार में विहार कर रहा है। अभी बहुत कुछ करना बाकी है। विकास के औजारों की जंग छुड़ाना कठिनतर टास्क रहा है। जंग एक दिन में नहीं लगती। एक दिन में छूटती भी नहीं। अफसरों के खाली बैठे रहने का अभ्यास छुड़ाना होगा। जनता को विकास में भागीदार बनाना होगा।

Sunday, November 23, 2008

सेना, साजिश, संन्यास और सियासत सब सवालिया..!

मालेगाँव विस्फोट में सेना के अपफसरों की संलिप्तता से पूरा देश सकते में है। बम कांड की जाँच में सबसे पहले महाराष्ट्र एटीएस ने यह खुलासा कर सबको चौंका दिया कि इसमें हिंदूवादी संगठन शामिल हैं। यही नहीं इस विस्फोट कांड को अंजाम दिया सैन्य अधिकारियों के प्रशिक्षित लोगों ने। साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर सहित तीन लोगों को तो एटीएस डंके की चोट पर मध्यप्रदेश से ले गई। बाद में स्वयंभू शंकराचार्य दयानंद पांडेय को कानपुर के रावतपुर क्षेत्रा से धरदबोचा। अब उनके लैपटाप और लगभग दर्जनभर से अध्कि मोबाइल फोन से हासिल जानकारियों से एटीएस ने जो सनसनीखेज खुलासे किए हैं, वे और भी बेहद चौंकने वाले ही हैं। मसलन, एटीएस ने कहा कि तथाकथित स्वामी अमृतानंद ही मालेगाँव, नांदेड और अन्य विस्फोटों का मास्टर माइंड है। दूसरी तरफ एटीएस ने यह भी बात उजागर की नार्को टेस्ट के बाद कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित ने स्वीकार कर लिया है कि कथित स्वामी अमृतानंद ने उनसे विस्फोटक उपलब्ध कराने को कहा था और वह विस्फोटक उन्हें मुस्लिम चरमपंथी संगठनों से हासिल थे। यही नहीं तय यह भी हुआ था कि अब तक देशभर में विभिन्न क्षेत्रों में किए गए विस्फोटों में शामिल सिमी के ठिकानों, अल्पसंख्यक समुदाय की इबादतगाहों और हज हाउस को नेस्तनामूद किया जाएगा। इतना सब कुछ एटीएस के खुलासे के बाद विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत हरिगिरि ने हिन्दू आंतकवाद के नाम पर साधु-संतों को अपमानित करने की तीखी आलोचना की। अमृतानंद तथा साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के समर्थन में राष्ट्रीय जनजागरण अभियान चलाने की घोषणा के साथ ही इलाहाबाद में एटीएस के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया गया। संघ ने भी इन दोनों ही संतों की गिरफ्तारी पर अपनी ओर से विरोध दर्ज कराते हुए स्वयं सेवकों का दिल्ली में मार्च पास्ट कराया।
इसी बीच भाजपा की नेता सुषमा स्वराज ने इंदौर में कहा कि यह सियासी साजिश है, जो हिंदू संगठनों और साधु-संतों के साथ की जा रही है। वह सत्ता परिवर्तन के बाद बेनकाब हो जाएगी। इसके पहले शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे तो साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर के समर्थन में पहले से ही खुलकर सामने आ गए थे। उन्होंने इस संदर्भ में महाराष्ट्र सरकार पर हिन्दू संगठनों और साधु-संतों को हिन्दू आतंकवाद के प्रताड़ित और बदनाम करने के लिए एटीएस का नाजायज इस्तेमाल करने के कई आरोप भी लगाए थे।
बहराल, भारत की सेना के गौरवशाली इतिहास में उसके ही अपने जिम्मेदार अफसरों और साध्वी की मालेगाँव विस्फोट कांड में संलिप्तता ने जनमानस में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे पहले यह कि वीर सावरकर ने अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ जो 'अभिनव भारत' नामक हिंदू संगठन बनाया था और बाद वे खुद हिंदू महासभा में शामिल हो गए थे।
गौरतलब बात यहाँ यह है कि हिंदू महासभा इस देश में शीर्ष स्थान पर कभी नहीं आ सका और समूचे देश के जनमानस के मन-मस्तिष्क में हासिए पर ये ही रहा। इसी संगठन की साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर की मोटरसाइकिल का मालेगाँव विस्फोट कांड में इस्तेमाल किया जाना भी तमाम संशय को जन्म देता है। हालाँकि वे यह स्पष्ट कर चुकीं हैं कि वह मोटरसाइकिल उन्होंने ने बेच दी थी, लेकिन किसको और क्यों? यह उनके साथ कोई साजिश थी, जिससे वे नावाकिफ रहीं या फर एटीएस ने जो उन पर इतने संगीन आरोप लगाएँ हैं, उसमें कोई रंचमत्रा भी सत्यता है? भारतीय संन्यास की अवधरणा में यह पहला ऐसा मामला उभकर सामने आया, जिसमें एक साध्वी और कथित स्वयंभू शंकराचार्य को आतंकवादी वारदात में आरोपी बनाया गया है। जहाँ तक सैन्य अधिकारियों के मालेगाँव, जयपुर और नांदेड विस्फोट में शामिल होने का आरोप भी किसी के गले के नीचे नहीं उतरता है। तथाकथित जम्मू की शारदा पीठ के शंकराचार्य अमृतानंद, जो दर्शनशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र में परास्नातक हैं।
वे भारतीय वायु सेना के सैनिक भी रहे हैं। वे कैसे इस तरह के समाज को बाँटने वाले कृत्य में शामिल हो सकते हैं? मुंबई एटीएस अब इन स्वामी अमृतानंद के ठिकानों, सियासी, प्रशासनिक और अन्य रसूखों की तलाश जम्मू, जालंधर, लुधियाना, फरीदाबाद, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश के कानपुर, आगरा, वाराणसी व गोरखपुर इत्यादि-इत्यादि स्थानों पर कर रही है। कुल मिलाकर इस विभिन्न संस्कृतियों, सभ्यताओं, बोलियों और उपबोलियों वाले देश में हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई और इसके पहले सिख संगठनों का आंतकवादी वारदातों में शामिल होने के बाद अब हमें यह सोचने पर विवश करता है कि जन, गण, मन, अधिनायक की अवधारणा की साझा संस्कृति वाले इस देश का अगर भूत और वर्तमान इस तरह से सवालिया है तो भविष्य क्या होगा? -आचार्य अरुण

आशुतोष बिग बॉस के विजेता

इनाम के रूप में मिले एक करोड़
छोटे परदे के कलाकार आशुतोष मशहूर रियलिटी शो बिग बॉस-2 के विजेता बन गए। फाइनल मुकाबले में उन्होंने अपने समकक्ष राजा चौधरी और मॉडल जुल्फी सईद को शिकस्त देते हुए खिताब पर कब्जा जमाया। आशुतोष इनामी राशि के रूप में एक करोड़ रुपए मिले। पुरस्कार की घोषणा शनिवार रात यहाँ हजारों दर्शकों के बीच अभिनेता अक्षय कुमार ने की। फाइनल के मुकाबले से पहले आशुतोष के साथ राजा चौधरी और जुल्फी सईद को भी खिताका मजबूत दावेदार माना जा रहा था। गौरतलब है कि कलर्स चैनल पर प्रसारित होने वाले इस टीवी शो ने किसी न किसी रूप में हमेशा सुर्खियाँ बटोरीं। कभी इस पर फूहड़ संवाद अदायगी और अश्लीलता के आरोप लगे तो कभी राहुल महाजन और पायल रोहतगी के बीच रोमांस की खबरों ने इसे चर्चा में रखा।
जीवनसाथी की तलाश : विजेता बनने के बाद आशुतोष ने कहा अब उनकी हसरत एक से दो होने की है। वे जल्द ही अपनी माँ के लिए अच्छी सी खूबसूरत बहू ढूँढ़ना चाहते हैं।
सहारनपुर में दिवाली : टीवी पर जैसे ही आशुतोष के बिग बॉस विजेता बनने की खबर आई, सहारनपुर में दिवाली-सा माहौल बन गया। लोगों ने जीत की खुशी का इजहार आतिशबाजी व मिठाई बाँटकर किया। हर किसी के चेहरे पर आशुतोष की जीत का उत्साह चमक रहा था।
माँ ने दिया धन्यवाद : आशुतोष की माँ और बहन ने आशुतोष की कामयाबी पर बेहद खुशी जताई। उन्होंने कहा हमें इस बात का सुकून है कि आशुतोष ने जो लक्ष्य तय किया था, वह उसने पा लिया। उन्होंने आशुतोष के दोस्तों व दर्शकों को भरपूर समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।
सभी से राम-राम करो : अपनी सादगी और सौम्य व्यवहार के लिए पहचाने जाने वाले आशुतोष ने सभी से सामंजस्य और मिलनसारिता को ही अपनी कामयाबी का मूल मंत्र बताया। उन्होंने कहा कोई आपसे करे ना करे, आप सभी से राम-राम करते चलो...। शो में जब भी मुझे चाय या काफी बनाने के लिए कहा गया, मैंने खुशी-खुशी सबकी बात मानी।
राजा मेरे बड़े भाई की तरह : राजा चौधरी के साथ बिताए गए पलों पर बिग बॉस विजेता के बादशाह ने कहा राजा मेरे बड़े भाई की तरह हैं। शो के दौरान उनके साथ मुझे बहुत मजा आया।
राहुल भैया से हारना चाहता था : आशुतोष ने अपनी जीत का श्रेय राहुल महाजन को दिया। उन्होंने कहा राहुल भैया भी चाहते थे कि मैं विजेता बनूँ। वैसे मैं उनसे हारना चाहता था। आशुतोष ने शो के दौरान जानबूझ कर किए गए किसी भी हंगामे से इनकार किया। उन्होंने कहा जो भी विवाद सामने आए, वे हमारी अपनी गलतियों के कारण हुए। अपनी जीत के लिए आशुतोष ने तमाम दर्शक और समर्थकों को धन्यवाद दिया।
सराहनपुर के लिए बड़ी बात : आशुतोष ने कहा सहारनपुर जैसे छोटे शहर के लिए मेरी जीत मायने रखती है। इससे वहाँ के और युवाओं को भी आगे आने की प्रेरणा मिलेगी।
आशुतोष सिर्फ दोस्त-डायना

Friday, November 21, 2008

हर उम्र में रहें स्वस्थ

पूरी तरह स्वस्थ व निरोग रहने का सही मतलब क्या है? बेशक जब आप बीस साल के होते हैं तो पूरी तरह सक्रिय और फुर्तीले होते हैं। पर क्या पचास साल का व्यक्ति एक छोटे बच्चे की तरह सीढ़ियाँ चढ़ सकता है? शायद नहीं। यह आलेख आपको बताएगा कि कैसे आप अलग-अलग उम्र में स्वस्थ रह सकते हैं। जीवन के किस उम्र में आपको किस तरह की देखभाल की जरूरत पड़ सकती है और आप क्या कर सकते हैं।
उम्र के अलग-अलग पड़ाव में अपने को जानें-
30 साल तक अगर आप तीस मीटर की दूरी से पेड़ के गिरते पत्ते को देख सकते हैं तो समझिए आपकी आँखें सही हैं। आपके दिल की धड़कन एक मिनट में साठ बार धड़कती है। आप आराम से आगे की ओर झुककर कोई भी चीज उठा सकते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि आपका शरीर बिलकुल सही आकार में है।
अगर आप लगातार बैठे रहते हैं तो थोड़े-थोड़े समय पर अपनी स्थिति बदलते रहें। लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का प्रयोग करें। इस उम्र में बहुत लोग काफी तेज आवाज में संगीत सुनते हैं, यह गलत है। पढ़ने या टीवी देखने से आँखों के रेटिना में सूजन आ सकती है। आपको अपने दिल की चिंता करने की जरूरत नहीं वे बिलकुल ठीक होते हैं। आपको सिगरेट और वसायुक्त भोजन से दूर रहना चाहिए।




30 से 45 साल तक अगर इस उम्र में आप चश्मा भी पहनते हैं तो चिंता करने की जरूरत नहीं। आपकी आँखें सही हैं। अगर आप एक मीटर की दूरी से घड़ी की टिक-टिक सुन सकते हैं तो आपकी सुनने की शक्ति सही है। अगर आप कम्प्यूटर पर लगातार काम करते हैं तो आपको कुछ आराम करने की जरूरत पड़ सकती है। बहुत ज्यादा शोर और वह भी लगातार, आपके लिए ठीक नहीं है।
अगर आपको हाईब्लड प्रेशर है और आप बहुत ज्यादा शोर-शराबे के बीच रहते हैं तो इसमें कोई संदेह नहीं कि आपको डॉक्टर की जरूरत पड़ सकती है। इस उम्र में आपकी धड़कन 53 से 75 पल्सप्रति मिनट होनी चाहिए। बेहतर स्वास्थ्य के लिए कम वसायुक्त खाना खाना चाहिए। साल में एक बार अपनी जाँच जरूर कराएँ। तीस से ऊपर की औरतों को साल में एक बार अपने डॉक्टर से अवश्य मिलना चाहिए ताकि वे स्तन कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से बच सकें। 46-65 साल तक इस उम्र तक आते-आते आपका दिल थोड़ी ज्यादा देखभाल चाहता है। बहुत ज्यादा तनाव आपके लिए खतरनाक हो सकता है। साल में एक बार अपने डॉक्टर से अपने दिल की जाँच करानी चाहिए। पार्क में टहलना, जॉगिंग करना फायदेमंद हो सकता है। आपको सही नंबर का चश्मा पहनना चाहिए वरना आप ग्लूकोमा से ग्रस्त हो सकते हैं। इस उम्र में किसी तरह का पीठ दर्द, कमर दर्द, पैरों में सूजन इन सारे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कुछ बातों का ध्यान रखकर आप इस तरह की समस्याओं को कम कर सकते हैं जैसे हमेशा मुलायम सोल के जूते पहने। नरम जमीन पर जागिंग करें। बहुत ज्यादा भारी चीजें न उठाएँ। हमेशा सही गद्दे और सिर्फ एक तकिया का इस्तेमाल करें।


66 और उसके ऊपर इस उम्र तक आते-आते शरीर की अवस्था थोड़ी खराब हो जाती है। इस उम्र में मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। अपने ब्लड-शुगर की जाँच करवाते रहना चाहिए। दिल का भी ध्यान रखना चाहिए, खासकर उन लोगों के लिए जिनका वजन ज्यादा है और जो लोग सिगरेट और शराब का सेवन करते हैं। अगर आप बाकी का जीवन सही तरीके से जीना चाहते हैं तो जरूरी है कि आपकी हड्डियाँ मजबूत रहें। इसके लिए जरूरत होती है- कैल्शियम की और व्यायाम की। तब आप किसी भी उम्र के हों, निश्चित रूप से स्वस्थ रहेंगे

Wednesday, November 19, 2008

खोता जा रहा है मासूम बचपन

दुनियाभर में बच्चों के कल्याण के लिए बहुत से कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद गरीब और उपेक्षित बच्चों का कल्याण नहीं हो पा रहा। कहीं वे बाल मजदूरी के शिकार हैं तो कहीं उन्हें स्कूल के दर्शन तक नसीब नहीं। कहीं उनका यौन उत्पीड़न हो रहा है तो कहीं वे कुपोषण और भूख के चलते मौत के शिकार हो रहे हैं। दुनियाभर में बच्चों पर होने वाली ज्यादतियों को रोकने और उनके कल्याण के उद्देश्य से 14 दिसंबर 1954 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में हर साल 20 नवम्बर को विश्व बाल दिवस मनाने संबंधी प्रस्ताव 836 (9) रखा गया, जिसके स्वीकार होने पर वैश्विक स्तर पर बाल दिवस का आयोजन अस्तित्व में आ गया।
विश्व बाल दिवस के उद्देश्य आज तक पूरे नहीं हो पाए हैं, जिससे बाल अधिकार संरक्षण से संबंधित संगठन ही नहीं, बल्कि खुद संयुक्त राष्ट्र भी चिंतित है।संयुक्त राष्ट्र में महासचिव की ओर से बाल एवं सशस्त्र संघर्ष मामलों से संबंधित विशेष प्रतिनिधि राधिका कुमारस्वामी का कहना है कि दुनियाभर में बच्चों की हत्या, यौन उत्पीड़न, अपहरण और उन्हें अपंग बना देने जैसी घटनाएँ जारी हैं। इन्हें रोकने के लिए किए गए प्रयासों में थोड़ी प्रगति तो हुई है, लेकिन अभी प्रयासों को दुगुना किए जाने की जरूरत है।
अफगानिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में तो हालात और भी खराब हैं, जहाँ व्रिदोही संगठन बच्चों के हाथों में बंदूक और हथगोले थमकार उनका बचपन लील जाते हैं। कुमारस्वामी का कहना है कि इराक, चाड, मध्य अफ्रीकी गणराज्य और अफगानिस्तान जैसे देशों में बच्चों की हालत दयनीय है। वर्ष 2000 में विश्वभर के नेताओं ने 2015 तक सहस्राब्दि विकास लक्ष्य हासिल करने की समय सीमा रखी। यूनीसेफ का कहना है कि इसमें रखे गए आठ लक्ष्यों में से छह सीधे-सीधे बच्चों से जुड़े हैं, लेकिन इन्हें हासिल करने की दिशा में कुछ विशेष दिखाई नहीं दे रहा है। कई बाल अधिकार संरक्षण कार्यकर्ता बच्चों के कल्याण से संबंधित कोई कारगर नीति न बन पाने की वजह राजनेताओं को मानते हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य संध्या बजाज का कहना है कि बच्चों के कल्याण के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि क्योंकि बच्चे मतदाता नहीं होते, इसलिए वे नेताओं के एजेंडे शामिल नहीं होते। संध्या ने कहा मेरा निजी विचार यह है कि बच्चों को मतदान का अधिकार दे दिया जाना चाहिए, ताकि नेता उनके बारे में भी सोचे।

जब जॉब खोना पड़े

लगभग रोज ही विभिन्‍न कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों की तादाद घटाने के लिए तरह-तरह की कसरत करने की खबरें आ रही हैं। कहीं स्वैच्छिक (?) छुट्टी पर भेजा जा रहा है, कहीं आधे वेतन पर कुछ सालों के लिए समाजसेवा के लिए कार्मिकों को मुक्त किया जा रहा है, तो कहीं सीधे ही बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है कि निकलो भाई, हम आपका बोझ अब नहीं उठा सकते। लेकिन इसके बावजूद शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा, जिसकी जिंदगी में इस वजह से कोई बड़ा परिवर्तन न आए।
अगर इस दौर में आप प्रभावित होने से बचे हैं, तो आप खुशकिस्मत हैं। लेकिन यदि प्रभावित हुए हैं, तो आपको कुछ तरीकों पर जरूर सोचना चाहिए, जिनको अपनाकर आप इस परिस्थिति से बाहर निकल सकते हैं और नए सिरे से मुस्करा सकते हैं।
1. शांत बने रहें : चाहे यह अपेक्षित हो या नहीं, चाहे यह कैसे भी हुआ हो, आपको शांत बने रहने की जरूरत है।



पहले उत्तेजित या तनावग्रस्त होने पर आप अनजाने ऐसा कुछ भी कर सकते हैं, जो आपको नहीं करना चाहिये। एमिली पोस्ट के निदेशक और 'एटिकेट एडवांटेज इन बिजनेस' के लेखक पीटर पोस्ट कहते हैं- 'आपको कंपनी से बाहर किया जाना आपके लिए खुशी की बात तो नहीं ही है, जबकि यह निर्णय आपका अपना नहीं हो। भले ही आपको बाहर किया जा रहा है, लेकिन इसे ध्यान में रखिए कि आपके बॉस और आपके सहकर्मियों से आप हमेशा के लिए विदा नहीं ले रहे हैं, संभवत: फिर उनसे सामना हो सकता है। अपनी भावनाओं को काबू में रखना बहुत ही अच्छी बात है'
एक प्रबंधन सलाहकार कंपनी की उपाध्यक्ष बारबरा बारा के मुताबिक- आपको हमेशा पेशेवराना तरीके से विदा लेनी चाहिए। आप चाहें या न चाहें, लेकिन जहाँ से आप बाहर जा रहे हैं, वह कंपनी सदैव आपके लिए एक सन्दर्भ का कार्य करेगी।
2. अपने पुराने एम्प्लॉयर का अधिकतम उपयोग करें : हो सकता है कि छोड़ी जा रही कंपनी आपको छोड़ने के एवज में पुनर्प्रशिक्षण या कार्मिक सहायता कार्यक्रम या अन्य किसी प्रकार के लाभ का प्रस्ताव दे रही हो, जिसे अपनाने से आगे करियर में मदद मिल सकने के लिए आपको यह विकल्प खुला रखना चाहिए, उस हर चीज के साथ, जो आप कर सकते हैं। भले ही आपकी परिस्थिति तात्कालिक अस्थिरता का शिकार हो, लेकिन इसका असर आपकी असीमित संभावनाओं पर नहीं पड़ना चाहिए, जो आपके आगे बरकरार होती हैं।
मानव संसाधन सलाहकार आइरिन कोयलर के अनुसार- यह आपको बाहर निकल जाने और तनावग्रस्त हो जाने के लिए प्रेरित करता है, मगर बाहर निकलने से पहले आप हर एक से सम्पर्क सूचनाएँ और राय-मशविरा जरूर प्राप्त कर लें। किसी कंपनी से प्रस्थान करने की दशा में वहाँ के कार्मिकों, आपके अधिकारियों से आपका अन्तर्व्यवहार आपकी भावी योजनाओं को प्रभावित करता है, इसलिए उन लोगों के सामने समस्याएँ कम आती हैं और समर्थन ज्यादा मिलते हैं, जो संबंधों को हर हाल में मधुर बनाए रखने में यकीन रखते हैं।
3. पेशेवर सलाह प्राप्त करिए : एक सेवेरेंस समझौते पर हस्ताक्षर करने की दशा में पहले इसका भली-भाँति अवलोकन अवश्य करें। कभी-कभी इस पैकेज में सौदेबाजी की संभावना होती है, खासकर तब, जब भारी मात्रा में छँटनी के बजाय एक-दो लोगों के साथ ऐसा किया जा रहा हो। समझौते को समुचित और वास्तविक लाभप्रद स्तर तक लाने के लिए अटार्नी की मदद ली जानी चाहिए। इसे सामान्यतय: अटार्नी द्वारा ही तैयार किया जाता है और इससे मानव संसाधन विभाग जुड़ा होता है, जिसमें अधिकतम प्राप्त करने की प्रत्याशा में प्रयास किए जाने चाहिए।
4. इसे अपने करियर के पुनरावलोकन के अवसर के रूप में देखिए : कार्य से बाहर किया जाना अच्छी चीज तो नहीं ही हो सकती, लेकिन यह आपको एक कदम पीछे जाकर यह देखने का आपको मौका भी देता है, कि क्या आपको कुछ अलग हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए? इससे आप अपनी योग्यताओं/क्षमताओं को नए तरह से प्रयोग कर सकते हैं, या उस तरह से भी, जैसे आपने पहले सोचा भी नहीं हो। खाली वक्त में स्वैच्छिक, स्वयंसेवी के तौर पर कार्य के अवसरों का उपयोग किए जाने में समझदारी है। यह आपकी योग्यताओं को तरोताजा रखता है और नए संपर्कों का लाभ उठाने के अवसर देता है। अपने अगले बेहतरीन विकल्प के बारे में सोचने का समय निकालें। देखिए कि क्या विकल्प मौजूद हैं और अन्य संगठनों के लिए आप किस तरह से क्या कर सकते हैं।
5. अपनी वित्तीय स्थिति पर निगाह रखिए : अचानक कार्यमुक्ति आपकी आमदनी और वित्तीय स्थिति में बड़ा परिवर्तन लाती है।



के एवज में होने वाली सभी वित्तीय प्राप्तियों को और अपनी बचतों का आगणन करें और देखें कि कितने वक्त के बाद आपको वास्तव में नौकरी करने की जरूरत पड़ेगी। वित्तीय स्थिति अधिक मजबूत होने की दशा में, 'एक अधिक बेहतर' नौकरी की तलाश में लगने वाले समय से आप समझौता कर सकते हैं। अधिक पैसे पास न होने की दशा में आपको अधिक सतर्कता से काम लेना होगा। सामूहिक योजनाओं का लाभ उठाएँ, जिनमें कम व्यय पर आपकी कई प्रकार की आवश्यकताएँ पूरी हो सकती हैं।

6. अपने सम्पर्कों के सम्पर्क में रहें : लोग बिना नौकरी की नई स्थिति में एकाएक आने के बाद अपने ईष्ट-मित्रों, परिजनों से कतराना शुरू कर देते हैं। किसी और को ऐसी परिस्थिति में पाकर आप जिस तरह उसकी मदद करने को आतुर होते हैं, उसी तरह दूसरे भी आपकी मदद कर सकते हैं, इसलिए सम्पर्क में रहना बेहतर है। सभी अनौपचारिक सम्पर्कों के अलावा औपचारिक सम्पर्क, जैसे सोशल नेटवर्किंग आदि भी नई नौकरी की खोज, या तनावमुक्ति में आपकी मदद कर सकते हैं। अपने सम्पर्कों का बुद्धिमत्तापूर्वक इस्तेमाल करें।
7. सक्रिय बने रहिए और लोगों की पहुँच में रहें : एक नियमित कार्य के बिना चीजों के साथ तालमेल बिठाए रखना दुष्कर कार्य है। कई महीनों तक लगातार नौकरी की खोज हताशा और निराशा से भी सामना करा सकती है। अपनी बेहतरी के लिए, अपनी दिनचर्या को नियमित रखने का पूरा प्रयास करें, सक्रियतापूर्वक अपने मेलजोल को जारी रखते हुए नौकरी की तलाश करें। सब कुछ समाप्त नहीं हो गया है, ऐसी सोच के साथ अपनी जिंदगी से व्यक्तिगत आनंद और मनोरंजन के लम्हों से बिलकुल बेगाने न हों। विपरीत परिस्थिति का सामना करके जब आप फिर से जिंदगी का संतुलन साधते हैं, तो यह आपको और अधिक मजबूत तथा योग्य बनाता हुआ आपके आत्मविश्वास और प्रतिभा को निखारने वाला होता है।

Saturday, November 15, 2008

गर्भ चिन्तामणि रस

डॉ .बी .पी .सिंह प्रयाग होस्पिटल नॉएडा
दुर्बल देह
वाली स्त्री जब गर्भवती होती है तो उसे अपने शरीर के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु का भी पालन-पोषण करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में यदि उसको पोषक आहार और अन्य पौष्टिक पदार्थों का सेवन करने को न मिले तो उसका तथा गर्भस्थ शिशु का शरीर और स्वास्थ्य अच्छा नहीं रह पाता। ऐसी स्थिति में सेवन करने योग्य श्रेष्ठ योग 'गर्भ चिन्तामणि रस' का परिचय प्रस्तुत है।

घटक द्रव्य : शुद्ध पारद, शुद्ध गन्धक, लौह भस्म 20-20 ग्राम, अभ्रक भस्म 40 ग्राम, कपूर, वंगभस्म, ताम्र भस्म, जायफल, जावित्री, गोखरू के बीज, शतावर, खरैंटी और गंगरेन 20-20 ग्राम।
निर्माण विधि : पारद और गन्धक को मिलाकर कज्जली करके सभी भस्म मिला लें। फिर काष्ठौधियों को कूट-पीसकर महीन चूर्ण बना लें। शतावर के रस या काढ़े में इन सबको डालकर दिनभर खरल में घुटाई करें, फिर 2-2 रत्ती की गोलियाँ बना लें।
सेवन विधि : सुबह-शाम 1-1 गोली दूध के साथ गर्भकाल के शुरू होते ही यानी प्रथम मास से ही शुरू कर देना चाहिए और नियमित रूप से पूरे गर्भकाल तक सेवन करना चाहिए।
लाभ : यह गर्भवती और गर्भस्थ शिशु के लिए बहुत पोषक है। इसका सेवन करने से गर्भकाल में होने वाली व्याधियाँ जैसे सुबह उठने पर उल्‍टी होना, जी मिचलाना, गर्भकाल में कभी ज्वर होना, जलन होना, अरुचि, दुर्बलता, अतिसार आदि नहीं होती और हो रही हों तो इसके सेवन से ठीक हो जाती हैं।
* गर्भस्थ शिशु का शरीर पुष्ट और बलवान रहता है। गर्भकाल में कभी अचानक रक्त स्राव होने लगे तो इस रस के साथ प्रवालपिष्टी एक रत्ती देने से लाभ होता है और रक्त स्राव होना बन्द हो जाता है। यह योग बना बनाया बाजार में मिलता है।

मोबाइल फोन का असर सेहत पर

विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख ने उन बच्चों के माता-पिताओं को कड़ी चेतावनी दी है, जिनके बच्चे मोबाइल फोन पर अपना ज्यादा से ज्यादा समय खपाते हैं। डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ग्रो हर्लेन बर्टलैंड का कहना है कि खेल-खेल में घंटों बतियाने वाले बच्चे नहीं जानते कि मोबाइल फोन से होने वाले खतरे उनके स्वास्थ्य के लिए कितने घातक हो सकते हैं। इस बारे में कुछ परीक्षण भी किए गए हैं और पाया है कि जिन स्थानों पर मोबाइल का लगातार प्रयोग किया जाता है, वहाँ विद्युत चुंबकीय तरंगें भी बहुत ज्यादा होती हैं। हालाँकि इस बारे में कोई निर्णयात्मक वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि मोबाइल फोन का दीर्घकालीन उपयोग स्वास्थ्य पर दीर्घकालीन नकारात्मक प्रभाव छोड़ता हो। बर्टलैंड का अपना मोबाइल फोन नहीं है। उनका कहना है कि ऐसा उन्होंने स्वयं को इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक तरंगों से बचाने के लिए किया है, क्योंकि इससे उन्हें भयानक सिर दर्द होता है। हाल में फिनलैंड के वैज्ञानिकों ने एक अनुसंधान कर बताया कि मोबाइल फोन से होने वाले विकिरण से मस्तिष्क में बदलाव आ जाता है। उन्होंने पाया कि मानवीय सेलों के मोबाइल फोन के विकिरण का सामना करने पर मस्तिष्क को सुरक्षित रूप से रक्त पहुँचाने वाले बैरियर को नुकसान पहुँचता है। विशेषज्ञों की राय है कि इससे बचने का एक ही उपाय है मोबाइल फोन पर कम और छोटा वार्तालाप किया जाए।

Friday, November 14, 2008

सफेद बाल की समस्या व निवारण

बालों का सफेद होना आम बात है। कई बार कम उम्र के लोगों के बाल सफेद हो जाते हैं और वे विभिन्न केमिकल्स द्वारा उन्हें रंगकर काले करने का प्रयास करते हैं। केमिकल्स से बालों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं, साथ ही अन्य दूसरे साइड इफेक्ट्स भी आ जाते हैं। यहाँ सफेद बालों हेतु घरेलू नुस्खे से उपचार की जानकारी इस प्रकार है-

सफेद बालों हेतु घरेलू खिजा

पिसी हुई सूखी मेहँदी एक कप, कॉफी पावडर पिसा हुआ 1 चम्मच, दही 1 चम्मच, नीबू का रस 1 चम्मच, पिसा कत्था 1 चम्मच, ब्राह्मी बूटी का चूर्ण 1 चम्मच, आँवला चूर्ण 1 चम्मच और सूखे पोदीने का चूर्ण 1 चम्मच। इतनी मात्रा एक बार प्रयोग करने की है। इसे एक सप्ताह में एक बार या दो सप्ताह में एक बार अवकाश के दिन प्रयोग करना चाहिए।

सभी सामग्री पर्याप्त मात्रा में पानी लेकर भिगो दें और दो घण्टे तक रखा रहने दें। पानी इतना लें कि लेप गाढ़ा रहे, ताकि बालों में लगा रह सके। यदि बालों में रंग न लाना हो तो इस नुस्खे से कॉफी और कत्था हटा दें। पानी में दो घण्टे तक गलाने के बाद इस लेप को सिर के बालों में खूब अच्छी तरह, जड़ों तक लगाएँ और घण्टेभर तक सूखने दें।

इसके बाद बालों को पानी से धो डालें। बालों को धोने के लिए किसी भी प्रकार के साबुन का प्रयोग न करके, खेत या बाग की साफ मिट्टी, जो कि गहराई से ली गई हो, पानी में गलाकर, कपड़े से पानी छानकर, इस पानी से बालों को धोना चाहिए। मिट्टी के पानी से बाल धोने पर एक-एक बाल खिल जाता है जैसे शैम्पू से धोए हों।

लाभ : इस नुस्खे का प्रति सप्ताह प्रयोग करने से जहाँ बाल सुन्दर व मजबूत रहते हैं, वहीं सिर दर्द, अनिद्रा, शरीर की अतिरिक्त गर्मी, आँखों की जलन आदि व्याधियाँ दूर होती हैं। जिनके बाल अधपके होंगे वे इस नुस्खे के प्रयोग से काले दिखाई देंगे। खिजाब (हेयर डाई) लगाने की अपेक्षा इस नुस्खे का प्रयोग करना श्रेष्ठ है, क्योंकि खिजाब में जो केमिकल्स होते हैं, वे त्वचा पर बुरा असर करते हैं और रहे-सहे काले बाल भी सफेद हो जाते हैं। इस नुस्खे के सेवन से ऐसा कोई दुष्परिणाम नहीं होता।

* आमलकी रसायन आधा चम्मच प्रतिदिन सेवन करने से बाल प्राकृतिक रूप से जड़ से काले हो जाते हैं।

* एक छोटी कटोरी मेहँदी पावडर लें, इसमें दो बड़े चम्मच चाय का पानी, दो चम्मच आँवला पावडर, शिकाकाई व रीठा पावडर, एक चम्मच नीबू का रस, दो चम्मच दही, एक अंडा (जो अंडा न लेना चाहें वे न लें), आधा चम्मच नारियल तेल व थोड़ा-सा कत्था। यह सामग्री लोहे की कड़ाही में रात को भिगो दें। सुबह हाथों में दस्ताने पहनकर बालों में लगाएँ, त्वचा को बचाएँ, ताकि रंग न लगने पाए। दो घंटे बाद धो लें। यह आयुर्वेदिक खिजाब है, इससे बाल काले होंगे, लेकिन इन्हें कोई नुकसान नहीं होगा।

* सफेद बालों को कभी भी उखाड़ें नहीं, ऐसा करने से ये ज्यादा संख्या में बढ़ते हैं। सफेद बाल निकालना हों तो कैंची से काट दें या उन्हें काला करने वाला उपाय अपनाएँ।

* त्रिफला, नील, लोहे का बुरादा- तीनों 1-1 चम्मच लेकर भृंगराज पौधे के रस में डालकर रात को लोहे की कड़ाही में रख दें। प्रातः इसे बालों में लगाकर, सूख जाने के बाद धो डालें।

* जपा (जवाकुसुम या जास्बंद) के फूल और आँवला, एक साथ कूट-पीसकर लुगदी बनाकर, इसमें बराबर वजन में लौह चूर्ण मिलाकर पीस लें। इसे बालों में लगाकर सूखने के बाद धो डालें।

* रात को सोते समय नाक में दोनों तरफ षडबिन्दु तेल की 2-2 बूँद नियमित रूप से टपकाते रहें।

ये सभी प्रयोग धीरे-धीरे बालों को काला करने वाले हैं। कोई भी एक प्रयोग लगातार 5-6 माह तक करते रहें। षडबिन्दु तेल का प्रयोग अन्य प्रयोग करते हुए भी कर सकते हैं।
आयुर्वेदिघरेलू लेप

सामग्री : 1 किलो शुद्ध मेहँदी, 25 ग्राम साबुत आँवला, 25 ग्राम आँवला पावडर, 25 ग्राम साबुत शिकाकाई, 25 ग्राम शिकाकाई पावडर, 25 ग्राम साबुत भृंगराज, 25 ग्राम भृंगराज पावडर, 25 ग्राम साबुत ब्राह्मी, 25 ग्राम ब्राह्मी पावडर।

लोहे की बड़ी कड़ाही में 5 लीटर पानी डालें व सभी सामग्री डालकर 3-4 घण्टे तक पकने दें। ठंडा करके फ्रिज में रख लें व पहले सप्ताह में दो बार, बाद में एक बार फिर महीने में तीन बार, तत्पश्चात्‌ महीने में दो बार लगाते रहें।

इस प्रयोग से बाल लाल नहीं, बल्कि कालापन लिए हुए दिखने लगेंगे व सफेद बाल इन काले बालों में ऐसे मिल जाएँगे कि देखने वाला भी उसकी मात्रा का अन्दाजा नहीं लगा पाएगा।

आवश्यकतानुसार अण्डे या दही का प्रयोग भी कर सकते हैं, ताकि बालों में रूखापन न रहे। पैक लगाने के दूसरे दिन सिर में आयुर्वेदिक तेल की मालिश अवश्य करें।

सफेद बालों हेतु तेल

नुस्खा 1 : मेहँदी, नीम और बेर की पत्तियाँ, पोदीना और अमरबेल, इन सबको पानी से धो साफ करके, सिल पर पानी के छींटे मारते हुए पीसकर लुगदी बना लें। लोहे की कढ़ाई में काले तिल या नारियल का तेल डालकर लुगदी डाल दें और आँच पर चढ़ाकर गर्म करें।

इसे इतनी देर तक तपाएँ कि लुग्दी जलकर काली पड़ जाए और तेल से झाग उठने लगें। अब कढ़ाई उतारकर किसी सुरक्षित स्थान पर ढँककर तीन दिन रखें। चौथे दिन तेल को कपड़े से छानकर ढक्कनदार काँच की बोतलों में भर लें। बस तेल तैयार है।

रात को सोने से पहले कटोरी में तेल लेकर, दोनों हाथों की उँगलियाँ तेल में डुबोकर बालों की जड़ों में लगाकर 15-20 मिनट तक मालिश करें। इस प्रयोग से बाल जड़ से काले पैदा होने लगते हैं, सिर में ठण्डक बनी रहती है और गहरी नींद आती है, यानी अनिद्रा रोग गायब हो जाता है।

इस तेल का प्रयोग करते समय किसी भी प्रकार का तेल, साबुन या शैम्पू का प्रयोग करना सख्त मना है। बालों को धोने के लिए मुल्तानी मिट्टी या खेत की मिट्टी पानी में गलाकर कपड़े से छान लें और छना हुआ पानी बालों में लगाकर मसलें फिर साफ पानी से बालों को पोंछकर सुखा लें। बाल गीले न रखें, पूरी तरह बाल सूखने पर ही तेल लगाएँ।
नुस्खा 2 : नारियल तेल एक लीटर, मेथी दाना 25 ग्राम, करी पत्ता 25 ग्राम, तेज पत्ता 5 पत्ते, त्रिफला चूर्ण 25 ग्राम, शिकाकाई पावडर 25 ग्राम, जासवंद पावडर 25 ग्राम।


सभी सामग्रियों को मिलाकर तेल में पकाएँ। ठंडा होने पर छानकर रख लें। सप्ताह में दो बार यह तेल लगाएँ।
नुस्खा 3 : मुल्तानी मिट्टी को रात को दही के साथ भिगो दें, दूसरी ओर एक अन्य बर्तन में त्रिफला चूर्ण और शिकाकाई भी भिगो दें, फिर त्रिफला चूर्ण वाला पानी निथारकर मुल्तानी मिट्टी वाले बर्तन में डालकर अच्छी तरह फेंट लें। इससे सिर के बालों को सप्ताह में 2 बार, नहीं तो कम से कम एक बार तो अवश्य धोएँ, बाल मुलायम रहेंगे और काले बने रहेंगे। बाल यदि झड़ते हों तो वह रोग भी इस प्रयोग से खत्म हो जाएगा।

Thursday, November 13, 2008

महंगाई दर कम, सरकार खुश पर बरकरार है गम

थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर एक नवंबर को समाप्त सप्ताह में इससे पिछले सप्ताह की तुलना में 1.74 प्रतिशत की जबरदस्त गिरावट के साथ 8.98 प्रतिशत अंक पर आ गई। इससे पिछले सप्ताह यह 10.72 प्रतिशत पर थी। लगातार पाँच सप्ताह तक गिरावट के रुख में रही मुद्रास्फीति की दर में 25 अक्टूबर को मामूली मजबूती आई, लेकिन 01 नवंबर को समाप्त सप्ताह में कई आवश्यक वस्तुओं के दाम गिरने के बाद इस दर में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई।इस दौरान सभी उपभोक्ता वस्तुओं का आधिकारिक थोक मूल्य सूचकांक 1।3 प्रतिशत गिरकर 235।5 अंक पर आ गया, जो पिछले सप्ताह 238.5 अंक था। पिछले साल इसी अवधि में मुद्रास्फीति की दर 3.35 प्रतिशत पर थी।
रुपया 13 साल के सबसे निम्न स्तर पर
देश के शेयर बाजारों में भारी बिकवाली से विदेशी निवेशकों के धन निकालने की संभावनाओं के बीच अंतरबैंकिंग मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपए में बुधवार को पिछले करीब 13 वर्ष की सर्वाधिक गिरावट दर्ज की गई।कारोबार की समाप्ति पर एक डॉलर की कीमत मंगलवार के 48।1250-48.1400 की तुलना में एक रुपए 18 पैसे अर्थात 2.4 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि के साथ 49.30-49.32 पर पहुँच गई। पाँच दिसंबर 1996 के बाद यह पहला मौका है, जब डॉलर के मुकाबले रुपए में प्रतिशत के लिहाज से इतनी अधिक गिरावट आई है। सत्र के प्रारंभ से ही डॉलर के मुकाबले रुपया भारी दबाव में था। कारोबार की शुरुआत में एक डॉलर की कीमत 48।58 से ऊपर खुली थी। देश के शेयर बाजारों में पिछले दो दिन से भारी बिकवाली बनी हुई है। दो दिन के कारोबार में बंबई शेयर बाजार के सेंसेक्स में एक हजार अंक से अधिक की गिरावट आ चुकी है।
औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि
वैश्विक मंदी के बीच देश में त्यौहारी मौसम के दौरान उपभोक्ता वस्तुओं की माँग में सुधार के परिणास्वरुप सितम्बर-08 में औद्योगिक उत्पादन में अगस्त के 1।4 प्रतिशत की तुलना में 4.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। हालाँकि यह वृद्धि पिछले साल सितम्बर के सात प्रतिशत की तुलना में कम है। अगस्त के प्रारंभिक आँकड़ों में औद्योगिक उत्पादन की बिक्री 1.3 प्रतिशत दर्शाई गई थी। अब इसे संशोधित कर 1.4 प्रतिशत किया गया है।
औद्योगिक उत्पादन के आज जारी आँकड़ों के मुताबिक माह के दौरान उपभोक्ता वस्तुओं, उपभोक्ता टिकाऊ, उपभोक्ता गैर टिकाऊ और खनन क्षेत्र का प्रदर्शन पिछले साल की तुलना में बेहतर रहा। माह के दौरान कारखाना उत्पादन की वृद्धि दर पिछले साल के 7।45 प्रतिशत की तुलना 4.8 प्रतिशत रही। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार 4.9 प्रतिशत रही। सितम्बर-08 में उपभोक्ता वस्तुओं के उद्योग में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पिछले साल इस दौरान यह 0.2 प्रतिशत नकारात्मक थी। उपभोक्ता टिकाऊ उद्योग भी पिछले साल सितम्बर में 7.3 प्रतिशत नकारात्मक रहा था, जबकि इस बार इसमें 13.1 प्रतिशत की वृद्धि रही।
गैर टिकाऊ क्षेत्र की वृद्धि रफ्तार 2.6 प्रतिशत के मुकाबले 2.8 प्रतिशत और पूँजीगत वस्तुओं के क्षेत्र की रफ्तार 20.9 प्रतिशत से घटकर 18.8 प्रतिशत रही। खनन क्षेत्र में 5.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि पिछले साल यह 4.9 प्रतिशत थी। बिजली क्षेत्र की वृद्धि गत वर्ष के साढे़ चार प्रतिशत की तुलना में मामूली घटकर 4।4 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2007-08 में औद्योगिक उत्पादन की गति 8।1 प्रतिशत, जबकि 2006-07 में यह दहाई अंक 11.6 प्रतिशत थी।
सुनामी से भी बड़ा है आर्थिक संकट
मालदीव के नए विदेशमंत्री डॉक्टर अहमद शहीद ने कहा है कि नए राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के समक्ष सबसे गंभीर चुनौती आर्थिक संकट हैं, जिससे निपटने के लिए सरकार विश्वभर के अपने सहयोगियों की मदद लेगी। डॉक्टर शहीद ने राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के शपथ लेने के बाद कहा कि सुनामी के बाद देश में पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिसके कारण दस करोड़ डॉलर का बजटीय घाटा हुआ था, लेकिन आज की स्थिति सुनामी से भी ज्यादा गंभीर है। यह घाटा बढ़कर करीब 40 करोड़ डॉलर से भी अधिक तक पहुँच गया है, जो कुल बजट का करीब 20 प्रतिशत है। शहीद ने कहा कि किसी भी देश के बजट का 20 प्रतिशत बजटीय घाटा होना कितनी गंभीर समस्या हो सकती है, यह आसानी से समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इतने अधिक घाटे का अंदाजा गत वर्ष के मध्य में ही हो गया था। उन्होंने कहा कि मालदीव अपने सहयोगी राष्ट्रों की मदद ले सकता है। उन्होंने कहा कि केवल मदद से ही समस्या का हल संभव नहीं है, इसलिए सरकार अपने खर्चों में अधिक से अधिक कमी लाएगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति भवन छोड़कर किसी सामान्य घर में रहने का निर्णय भी इसी कारण लिया गया है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले सरकार ही अपने खर्चों में कटौती करते हुए मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या में 70 से 80 प्रतिशत तक कटौती कर सकती है। पिछली सरकार में कुल मिलाकर 125 मंत्री थे।
निर्यात में चीन को पछाड़ा भारत ने
वर्ष 2007-08 के दौरान बांग्‍लादेश को निर्यात के मामले में भारत ने चीन को पछाड़ दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने बांग्‍लादेश को भारत से चावल आयात करने के लिए मजबूर कर दिया। इससे बांग्‍लादेश को भारत का निर्यात चीन से अधिक हो गया। पिछले दो वर्ष से बांग्‍लादेश को चीन का निर्यात भारत से अधिक रहा था। वर्ष 2007-08 के दौरान बांग्‍लादेश को चीन का निर्यात 3.1 अरब डॉलर का रहा, जबकि भारत ने इसी अवधि में 3.4 अरब डॉलर का निर्यात किया। इसी अवधि में बांग्‍लादेश ने भारत से 87 करोड़ 40 लाख डॉलर का चावल खरीदा, जबकि इससे पिछले वर्ष यह आँकड़ा 18 करोड़ डॉलर का था। इस वर्ष देश में बाढ़ से लगभग 20 लाख टन चावल की फसलें बरबाद हो गई। भारत से बांग्‍लादेश खाद्य पदार्थ, कपड़ा और मशीनरी आयात करता है, जबकि चीन से वह कपड़ा, मशीनरी और रसायन मँगाता है।
वित्तीय प्रणाली में बदलाव चाहता है ईयू
फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने कहा है कि अगले हफ्ते वाशिंगटन में होने वाली समूह-20 देशों की बैठक में यूरोपीय संघ वैश्विक वित्तीय प्रणाली में बदलाव किए जाने पर जोर देगा। सरकोजी ने 27 देशों की बैठक के दौरान कहा कि वह और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि इस वैश्विक आर्थिक मन्दी के संकट से कैसे निपटा जाए।
उन्होंने कहा कि सभी देशों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि वॉशिंगटन में होने वाली अहम बैठक में सख्त और दूरगामी निर्णय लिए जाए। वित्तीय प्रणाली के मौजूदा तन्त्र के नियमों को बदले जाने की जरूरत है। सरकोजी ने बताया कि यूरोपीय देशों के नेताओं ने फ्रांस के उस पाँच सूत्री कार्यक्रम का समर्थन किया है, जिसमें अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के लिए मजबूत भूमिका निभाने और वित्तीय आकलन करने वाली एजेंसियों पर निगरानी की बात कही गई है। सरकोजी ने कहा कि 15 नवंबर से वाशिंगटन में होने वाली बैठक में कई ठोस प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा और अगले सौ दिनों में होने वाली दूसरी शिखर बैठक में इसकी समीक्षा की जाएगी। उधर मर्केल ने कहा कि हम संकट समाप्त होने के लिए दूसरे वर्ष का इंतजार नहीं कर सकते हैं। ब्रिटिश प्रधानमंत्री गोर्डन ब्राउन ने सरकोजी के इस सुझाव का समर्थन करते हुए कहा कि यह समय आईएमए जैसी संस्थाओं में सुधार करने का है और सभी देशों की सरकारों को इस हफ्ते कर्जों में कटौती करने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह समय लघु स्तर के निवेश में कटौती करने का नहीं है और इस बात पर सहमति बन गई है कि आर्थिक वृद्वि को बनाए रखने के लिए वित्तीय नीतियों को मौद्रिक नीतियों के अनुरूप काम करना चाहिए।

Wednesday, November 12, 2008

नवजात ने दी बच्चों को रोशनी

पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के एक दंपत्ति ने अपने नवजात बच्चे की आँखें दान कर एक मिसाल पेश की है। इस दंपत्ति के यहाँ शादी के चार साल बाद बच्चा पैदा हुआ था, लेकिन जन्म के पंद्रह दिन बाद ही उसकी मौत हो गई। उनके इस फैसले से अब दो दृष्टिहीन बच्चों के जीवन में रोशनी आ गई है और वे इस खूबसूरत दुनिया को देखने के लायक हो गए हैं।


मिसाल : कोलकाता से सटे हावड़ा जिले के सांतरागाछी में रहने वाले शुभदीप और डोला सांतरा ने इस फैसले से डॉक्टरों के साथ-साथ अपने घरवालों और पड़ोसियों का भी दिल जीत लिया है।
डोला शादी के चार साल बाद पहली बार गर्भवती हुई थीं। उन्हें 26 अक्टूबर को एक स्थानीय नर्सिंग होम में दाखिल कराया गया था। अगले ही दिन उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया था।
नवजात शिशु जन्म के समय से ही गंभीर हृदय रोग से पीड़ित था। उसे सघन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में रखा गया था। वहाँ उसकी मंगलवार सुबह मौत हो गई। इससे सांतरा दंपत्ति टूट गए, लेकिन दुःख की इस घड़ी में भी उन्होंने धैर्य नहीं खोया और डॉक्टरों से पूछा कि क्या वे अपने बच्चे के अंग दान कर सकते हैं। शुभदीप एक मोबाइल फोन कंपनी में काम करते हैं। बच्चे की मौत के बाद वे और उनकी पत्नी सदमे में हैं और किसी से बात करने की स्थिति में नहीं हैं। शुभदीप के एक दोस्त इंद्रजीत राय कहते हैं बच्चे की मौत के बाद जब दोनों ने उसके अंग दान करने की इच्छा जताई तो हमने रामराजातला नवीन संघ आई बैंक और मेडिकल कॉलेज अस्पताल से संपर्क किया। आई बैंक के स्वपन पांजा कहते हैं पहले तो हमारे डॉक्टर ऐसा अनुरोध सुन कर हैरत में पड़ गए। इससे पहले उन लोगों ने कभी इतने छोटे शिशु की कार्निया नहीं निकाली थी।
पहली बार : वे बताते हैं अब तक जो सबसे छोटा कार्निया निकाला गया था, वह चार महीने के एक शिशु का था, उसे 2005 में कोलकाता के टालीगंज इलाके में निकाला गया था, लेकिन हमने राज्य सरकार के आई बैंक के निदेशक से बात की। उन्होंने कहा ऐसा किया जा सकता है। इसके बाद मंगलवार दोपहर सांतरा दंपत्ति के मृत शिशु का ॉर्निया निकालकर राज्य सरकार के रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थालमोलॉजी को सौंप दिया गया है। पहले बच्चे के जन्म के दो हफ्ते बाद ही उसे खोने के गम में डूबे होने के बावजूद इस दंपति ने जो फैसला किया, वह दूसरों के लिए मिसाल बन सकता है।

मुंबई की सच्ची तस्वीर पेश करेगी देशद्रोही-खान

महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के साथ किए जा रहे व्यवहार के मुद्दे को लेकर बनाई गई फिल्म 'देशद्रोही' के निर्माता सह मुख्य अभिनेता कमाल आर. खान ने बुधवार को कहा फिल्म के माध्यम से उन्होंने इन घटनाओं की सच्चाई सामने रखने की कोशिश की है।
फिल्म के रिलीज से पूर्व यहाँ खान ने कहा कि वे स्वयं उत्तरप्रदेश के निवासी हैं और फिल्म के माध्यम से वही दिखाने की कोशिश की है, जो उन्होंने स्वयं मायानगरी मुंबई में महसूस किया। उन्होंने बताया फिल्म को प्रदर्शित करने के लिए काफी समय पूर्व ही नवंबर का चयन कर लिया था, लेकिन यह महज संयोग है कि जब इस फिल्म का प्रदर्शन होने जा रहा है तो मराठी, गैर मराठी के मुद्दे ने इतना तुल पकड़ लिया। उन्होंने कहा फिल्म के माध्यम से क्षेत्रवाद की राजनीति करने वाले वर्तमान राजनेताओं चेहरे को उजागर करने की कोशिश की गई है। फिल्म अभिनेता ने फिल्म में अपनी भूमिका के बारे में बताया कि इस फिल्म में उन्होंने एक शिक्षित युवक का किरदार निभाया है, जो रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र जाता है, जहाँ उसे उत्तर भारतीय होने का दंश झेलना पड़ता है। इसके बाद फिल्म अभिनेता के साथ कुछ ऐसी घटनाएँ घटती है, जिसके कारण उसे अपराध की दुनिया में कदम रखना पड़ता है। इस मौके पर फिल्म से जुड़े कई कलाकार भी उपस्थित थे।

Sunday, November 9, 2008

हर रोग में कारगर हौम्योपैथी



होम्योपैथी में अनेक मानसिक रोगों के कारगर उपचार हैं। मानसिक रोगों के विभिन्न लक्षणों के निदान के लिए किसी योग्य डॉक्टर से होम्योपैथिक दवाएँ ली जा सकती हैं। अनियमित जीवनशैली के कारण मानसिक रोगियों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है। नींद न आना, थकान होना, सिर, छाती और पेट में दर्द की शिकायत होना, भूख न लगना या ज्यादा लगना, वजन का घटना या बढ़ना, दाम्पत्य जीवन में शारीरिक तथा मानसिक दोनों ही स्तरों पर असंतोष की भावना आदि इन मानसिक रोगियों के लक्षण हैं।
* एकोनाइट नैपलस 30- दवा का सेवन उन रोगियों को आराम पहुँचाता है, जिन्हें बेचैनी, छटपटाहट, चलने-फिरने में डर तथा हर समय मृत्यु का डर महसूस होता है। ऐसे रोगी, जिन्हें तेज प्यास लगती है, अंतर्दाह महसूस होता है, परंतु कपड़े उतारते ही सर्दी लगने लगती है,के लिए भी इस दवा का प्रयोग किया जाता है। पसीना न आना, नाड़ी तेज चलना और त्वचा का रुखापन भी इन मरीजों में दिखाई देता है।
* औरम मैट 30- दवा उन लोगों के लिए उपयोगी है, जो जीवन से हताश तथा सुस्त होते हैं। ऐसे लोग आत्महत्या की प्रबल इच्छा भी रखते हैं। ऐसा रोगी सवाल पर सवाल करता है, उत्तर के लिए एक क्षण भी नहीं रुकता। रोगी अक्सर रोता भी है। ऐसा रोगी धर्म संबंधी बातें करता है और एक ही रूप में प्रार्थना करता है।
* आर्सेनिक एल्बम 30- दवा का प्रयोग उन रोगियों के लिए किया जाना चाहिए, जो बेचैनी, शरीर में दाह और अत्यधिक प्यास महसूस करते हैं। इन रोगियों का रोग प्रायः आधी रात के बाद बढ़ता है। ये रोगी पूरी रात करवटें बदलते हैं। रोगी की नाक से गर्म पानी निकलता है, पसीना आता है तथा थोड़े-थो़ड़े पानी की प्यास भी लगती है। ऐसा मरीज हमेशा बेचैन रहता है और शारीरिक रूप से कमजोर भी होता है।
* नैट्रम म्यूर 200- दवा ऐसे लक्षणों में कारगर है, जिनमें रोगी मामूली-सी बातों पर भी चिल्लाकर रोने लगता है। अच्छा खाने पर भी वजन कम होना, ऐसा सिरदर्द होना मानो सिर पर कोई हथौड़े मार रहा हो तथा ऐसा महसूस होना, जैसे जीभ पर कोई बाल आ पड़ा हो जैसे लक्षण होने पर यह दवा फायदेमंद है।
ऐसा रोगी यदि बुजुर्ग है तो वह उदास और रोता रहता है। समझाने पर ये और दुखी हो जाते हैं। ऐसे रोगी नींद से उठकर चलने लगते हैं। उनमें खटाई और नमक खाने की प्रबल इच्छा होती है।
* इग्निशिया अमारा 200- उन रोगियों को दी जाती है, जो उदास और शोकाकुल रहते हैं। ये रोगी किसी से कुछ नहीं कहते और एकांत तथा चुपचाप रहना पसंद करते हैं। ये रोगी कभी हँसते हैं और कभी रोने लगते हैं। तम्बाकू के धुएँ से ऐसे रोगियों का सिरदर्द होने लगता है। भरपेट भोजन करने पर भी इन्हें पेट खाली लगता है।
* स्टैफिसेग्रिया 200- दवा से वे रोगी ठीक होते हैं, जो हमेशा उत्तेजित, चिड़चिड़े, क्रोधी तथा असंतुष्ट रहते हैं। अन्य लक्षण भी हैं जैसे किसी के द्वारा अपमानित होने पर, बार-बार उसी घटना को सोचते रहना, वीर्यस्राव, हर समय यौन संबंधों की बातें करना और सोचना।
* नक्स वोमिका 200- दवा उन रोगियों को आराम देती है, जो क्रोधी, ईर्ष्यालु, कलहप्रिय, दुबला-पतला शराबी तथा आलसी होते हैं। ऐसे रोगी बवासीर तथा कब्ज से ग्रस्त होते है

मुँह का कैन्सर और तंबाकू





दुनिया में करीब 60 करोड़ लोग तम्बाकू खाने से बच जाएँ तो वे स्वयं को कैन्सर के खतरे से बचा सकते हैं, लेकिन अधिकांश लोगों को इस आदत से पनपने वाले खतरों के बारे में जानकारी नहीं है।
दक्षिण एशिया और पश्चिम के कुछ जातीय समूहों में तम्बाकू लोकप्रिय है। तम्बाकू चबाने या फिर पान खाने से मुँह के कैन्सर का खतरा काफी बढ़ जाता है। यदि आँकड़ों पर गौर फरमाएँ तो भारत में 10 मरने वालों में से चार लोग मुँह के कैन्सर से मरते हैं। ब्रिटेन में हर साल तीन हजार लोग मुँह के कैन्सर से प्रभावित होते हैं, जिनमें से आधे लोगों की मौत हो जाती है। चिंताजनक बात तब होती है, जब मुँह में छाले हो गए हों और ठीक ही नहीं हो रहे हों या मुँह में सफेद रंग के धब्बे हो गए हों और मुँह खोलने में परेशानी आ रही हो। यदि ऐसा है तो तुरंत तम्बाकू का सेवन बंद कर देना चाहिए और डॉक्टर से इलाज कराना चाहिए। इन दाग-धब्बों को नजरअंदाज करने पर ये गंभीर रूप ले लेते हैं।

Saturday, November 8, 2008

देवउठनी एकादशी पूजन विधान

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कब- विशेष पूजन कार्तिक शुक्ल नवमी, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से पूर्णिमा, देवउठनी एकादशी (मतांतर)।
सामग्री- गंगा जल, शुद्ध मिट्टी, कुश, सप्तधान्य, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पंचरत्न, लाल वस्त्र, कपूर, पान, घी, सुपारी, रौली, दूध, दही, शहद, फल, शकर, फूल, नैवेद्य, गन्नो, हवन सामग्री, तुलसी पौधा, विष्णु प्रतिमा।
तैयारी- तीन महीने पहले से तुलसी के पौधे को रोज जल चढ़ाएँ तथा पूजा करें। कादशी को पंचांग से विवाह मुहूर्त निकाल मंडप तैयार करें। चार गन्नों को क्रॉस में खड़ा कर नया पीला कपड़ा बाँधकर मंडप बनाएँ। हवन कुंड बनाएँ। नांदीमुख श्राद्ध कर कुश आसन पर बैठकर आचमन कर संकल्प करें-
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ॐ अद्येतादि देश कालौ संकीर्त्य (आराधक नाम) अहं, गोत्रः (गोत्र) ममाऽखिल-षिविंधिपांतकशमनपूर्वाकाभीष्ट सिद्ध द्वारा श्री महाविष्णु प्रीत्यर्थ तुलसी विवाह करिष्ये। तदंगत्वेन गणेश पूजन स्वस्ति पुण्याहवाचनं ग्रहयज्ञश्य करिष्ये।
संकल्प के बाद श्री गणेश पूजन करें, नवग्रह पूजा करें व कलश में जल भरकर पाटे पर कपड़ा बिछाकर तुलसी एवं श्रीविष्णु की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करें-
ॐ इदं विष्णु विचक्रमेत्रेधानिदधेपदम्‌। समूढस्ययपा गुं पुरे।
ॐ भूर्भुवः स्वर्षिपणो इहागच्छ। तुलसी श्री सखि शुभे पापहारिणी पुण्यदे। नमस्ते नारदनुते नारायण सदा प्रिये।
ॐ भूर्भुवः स्वस्ततुलसी इहागच्छ इह तिष्ठेति।
देशकालौ संकीर्त्य मम सर्वपातक निवृतये श्रीविष्णु प्रीतये च तुलसी विवाहांगतया पुरुषसुक्तेन षोडशोपचारैर्महाविष्णु पूजनं करिष्ये।
सारी सामग्री चढ़ाएँ। जल, दूध, दही, घी, शहद, शकर व जल से स्नान कराएँ। पीले वस्त्र, लच्छा, यज्ञोपवीत चढ़ाएँ। इसी विधि से तुलसी पूजा करें-
वा दृष्ट्वा निखिलाघसंघ शमनी स्पृष्ट्वा वपुः पावनी।
शेभाणामभिवन्दितां। निग्सनी सिक्तऽन्तत्रासिनी। प्रंत्यासन्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य सरोपिता।
न्यास्तातच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यैनमः।
इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा तुलसी के सम्मुख रखकर दोनों को एक वस्त्र से छुआकर मंगलाष्टक पदों का पाठ करें। दोनों पर अक्षत चढ़ाकर भगवान श्रीविष्णु को तुलसी का दान करें। इसके बाद संक्षिप्त हवन करके तुलसी विवाह संपन्न करें।

खाड़ी देश भारत के लिए दौलत की खान-मनमोहन

दुनिया में आए आर्थिक संकट के मद्देनजर खाड़ी क्षेत्र भारत में निवेश और विकास कार्यक्रमों के लिए धन राशि हासिल करने का बड़ा जरिया हो सकता है। वह भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति का विश्वसनीय स्रोत है। यह बात प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह ने कही। शनिवार से शुरू हो रही अपनी ओमान और कतर यात्रा के पूर्व उन्होंने कहा कि दुनिया के मौजूदा आर्थिक हालात में इन देशों के पास उपलब्ध भारी धन राशि को भारत की ओर आकर्षित किया जा सकता है। उन्होंने कहा ओमान और कतर के नेताओं से बातचीत के दौरान व्यापार और निवेश बढ़ाने पर विशेष चर्चा होगी। उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र में इन देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी कायम करने पर भी जोर दिया।

डॉ. सिंह यात्रा के पहले चरण में आठ और नौ नवम्बर को ओमान के नेताओं से मुलाकात करेंगे। उनके साथ प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री वयलार रवि और विदेश राज्यमंत्री ई. अहमद तथा व्यापारियों का बड़ा प्रतिनिधिमंडल भी जा रहा है। प्रधानमंत्री का ओमान के सुल्तान कबूस इब्न सईद से मिलने का कार्यक्रम भी है। ओमान प्राकृतिक गैस के भंडार वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है। वहाँ भारत ने एक उर्वरक कंपनी में बड़ा निवेश किया है।डॉ। सिंह 9 नवम्बर की शाम को कतर पहुँचेंगे। किसी भारतीय प्रधानमंत्री की कतर की यह पहली यात्रा होगी। प्रधानमंत्री कतर के सुल्तान शेख हमद बिन खलीफा अल थानी से भी मिलेंगे। विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) एन। रवि ने बताया खाड़ी देश भारतीय विदेश नीति की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इस क्षेत्र में 45 लाख भारतीय कार्यरत हैं, जो प्रति वर्ष 9 अरब डॉलर की धनराशि अर्जित करते हैं। प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।

Friday, November 7, 2008

स्वास्थ्य चालीसा रोज करें



स्वस्थ रहें ,सुखी रहें डॉ.बी.पी.सिंह ,प्रयाग होस्पिटल ,सेक्टर -४१ नॉएडा
* एक चुटकी कच्चा चावल मुँह में रखकर पानी से निगल जाना। इससे लीवर मजबूत होता है और पित्त की शिकायत नहीं रहती। जिन्होंने उपयोग किया, उन्हें बड़ा लाभ हुआ।
* उषापान करना। ठण्डा पानी आधा सेर से एक सेर तक पीना। यदि पानी तांबे के बर्तन में रखा हुआ हो तो अधिक लाभप्रद होगा।
* ताड़ासन करना। यानी दोनों पैरों के बल पर खड़े होकर दोनों हाथ जितने ऊपर ले जाएँ ले जाना।
* रात में एक तोला त्रिफला एक पाव ठण्डे पानी में भिगो सुबह छानकर उससे आँख धोना और बचे हुए जल को पी जाना।
* दाँत को कपड़छान किए नमक में कहुआ (सरसों का) तेल मिलाकर दाँत और मसूढ़ों को रगड़कर साफ करना। इससे दाँत मजबूत होते हैं, यहाँ तक कि पायरिया की बीमारी तक ठीक होती है।
* नित्य क्रिया के बाद प्राणायाम 5 से 10 या 15 से 20 मिनट तक अपनी शक्ति के अनुसार करना।
* प्राणायाम के बाद शक्ति के अनुसार व्यायाम करना। जो व्यायाम शाला न जा सके वह घर पर ही योगासन करे।
* उम्र के कारण या आलस के कारण यदि व्यायाम या आसन न कर सकें तो सुबह या संध्या 1-2 मील तक घूमना।
* रोज ठण्डे पानी से नहाना। नहाते समय कपड़े से रगड़ कर नहाना करना और फिर सूखे तौलिए से रगड़ कर शरीर को गर्म करना।
* शक्ति के अनुसार सूर्य स्नान करना। इससे शरीर में विटामिन 'डी' की प्राप्ति होती है।
* हो सके तो रोज या सप्ताह में एक बार तेल की मालिश करना।



* भोजन करने के लिए बैठने के पहले हाथ अवश्य धोना।
* भोजन भूख से कम करना।
* हरी साग-सब्जी और मौसमी फलों का उपयोग करना।
* भोजन खूब चबा-चबाकर खाना। दाँतों का काम आँतों से न लेना।
* भोजन करते समय अन्त में पानी नहीं पीना, भोजन करने के एक घंटे बाद पानी पीना।
* भोजन के अन्त में छाछ पीना।
* भोजन करने के बाद कुल्ला कर दाँत अवश्य साफ करना।
* भोजन के बाद लघुशंका अवश्य करना।
* मैदे की बनी चीजें, तली हुई चीजें और बाजार की चीजों से परहेज करना।
* चाय-कॉफी, कोको और बोतलों के पानी से परहेज करना।
* बियर, ब्राण्डी, शराब आदि से दूर रहना।
* सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू, भांग, चरस जैसी नशीली चीजों से दूर रहना।
* हर समय माथा ठण्डा, पैर गरम और पेट ठण्डा रखना।
* सप्ताह में केवल एक दिन का उपवास नींबू पानी पीकर करना। इससे अपना स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा और देश में अन्न की भी बचत होगी।
* यदि पूरा उपवास न कर सकें तो फल खाकर या फल के रस लेकर उपवास करें।
* दिन में केवल दो बार भोजन, सुबह और संध्या के पूर्व करना।
* जो दो बार भोजन करके न रह सकें वे तीन बार भोजन करें, सुबह, दोपहर, संध्या।
* पचास से अधिक उम्र के लोग जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी है, दिन में एक बार ही अन्न खाए। बाकी समय दूध और फल पर रहें, इसका फल भी तुरन्त मिलेगा और बीमारी पास नहीं आएगी।


* भोजन में मौसमी फलों का उपयोग जरूर करें, क्योंकि प्रकृति ने उन्हें हमारे उपयोग के लिए बनाया है पर लोगों में गलत भावना है। जैसे लीची, आम गर्मी में आते हैं और लोग उन्हें नहीं खाते कि गरमी करेंगे। संतरा ठण्ड में आता है, लोग उसे नहीं खाते, कहते हैं सर्दी लग जाएगी।
* बासी भोजन करने से रोग होता है।
* भोजन करते समय और सोते समय किसी प्रकार की चिन्ता, क्रोध या शोक नहीं करना चाहिए।
*आँख, नाक, कान, जीभ तथा जननेन्द्रिय ये पाँच ज्ञानेन्द्रिय हैं, इनका संयम आवश्यक है।
* सोने से पहले पैरों को धोकर पोंछ लें, कोई अच्छी स्वास्थ्य सम्बन्धी पुस्तक पढ़ें, अपने इष्टदेव को स्मरण करते हुए सोने से नींद अच्छी आती है।
* रात्रि का ठोस भोजन सोने से तीन घण्टे पहले करना। फल, दूध लेने वाले एक घण्टा पहले भोजन खत्म कर दें।
* सोते समय मुँह ढँककर नहीं सोना। खिड़कियाँ खोल कर सोना चाहिए।
* सोने की जगह बहुत मुलायम न हो।
* रात्रि के दस बजे तक सो जाना।
* दिन में एक बार खुलकर हँसना और परोपकार करने की भावना रखना।
* सातों स्वरों का प्रभाव और सम्बन्ध वात, पित्त और कफ से रहता है। रोग और दोष के अनुकूल स्वरों का विशेष प्रयोग करते हुए, संगीत उपचार द्वारा कई रोगों की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है।

Thursday, November 6, 2008

कम बोलें लेकिन उचित बोलें

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प्रकृति ने हमें कान तो दो दिए हैं, जबकि जीभ एक ही दी है। जो इस बात का संकेत करते हैं कि हम सुनें अधिक और बोलें कम। जैसे कम खाना और अच्छा खाना स्वास्थ्य की रक्षा के लिए हितकारी और बुद्धिमानी का काम होता है वैसे ही यदि आप किसी को अच्छा न ही कह सकते हों तो आपको बुरा कहने का भी कोई अधिकार नहीं होता। वैसे भी ज्यादा खाना व ज्यादा बोलना अहितकारी और मूर्खता का काम होता है। सोच-समझकर न बोलने वाला, ज्यादा बक-बक करने वाला, उचित विचार किए बिना बोलने वाला, जिस विषय का ज्ञान न हो उस विषय में बोलने वाला, झूठ बोलने वाला और गलत बात बोलने वाला अक्सर लज्जा का पात्र होता है। इसलिए मनुष्य को सोच-समझकर उतना ही बोलना चाहिए जितना आवश्यक हो। जैसे कौआ और कोयल दिखने में तो एक जैसे होते हैं, पर जब तक दोनों बोलते नहीं तब तक जानना मुश्किल होता है कि कोयल है या कौआ। अर्थात कोई बातचीत नहीं करता, बोलता नहीं जब तक उसकी अच्छाई या बुराई प्रकट नहीं होती। कहीं-कहीं ऐसे व्यक्ति भी होते हैं, जो कभी बोलते नहीं और बोलते हैं तो सोच-समझकर। ऐसे स्वभाव वाले व्यक्ति को लज्जित नहीं होना पड़ता है और न ही पछताना पड़ता है। अतः कम बोलना और उचित बोलना ही अच्छा होता है। यह सत्य एक लघु कहानी के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत है।

प्रकृति ने हमें कान तो दो दिए हैं, जबकि जीभ एक ही दी है। जो इस बात का संकेत करते हैं कि हम सुनें अधिक और बोलें कम। जैसे कम खाना और अच्छा खाना स्वास्थ्य की रक्षा के लिए हितकारी और बुद्धिमानी का काम होता है।

एक उच्च शिक्षित परिवार का युवक बहुत कम बोलता था और प्रायः चुप ही रहता था। एक व्यक्ति ने उससे पूछा कि तुम चुप क्यों रहते हो? युवक ने उत्तर दिया- गलत और बुरा बोलने की अपेक्षा न बोलना ही अच्छा है। हम जो भी बोलते हैं, वह व्योम में हमेशा के लिए अंकित हो जाता है। कौए की तरह काँव-काँव करने से अच्छा है चुप रहना। एक बार एक लड़की से भेंट हुई, उससे पूछा तुम्हारी बहन का परीक्षाफल क्या रहा? उसने कहा वह फेल हो गई, क्योंकि किसी कारणवश आपस में बोलचाल नहीं थी। कुछ दिनों बाद पता लगा कि उसकी बहन तो द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुई थी। तब हमने सोचा कि अपने ही घर के शीशे तोड़ देते हैं। वह कौए की तरह काँव-काँव करते रहने की अपेक्षा कोयल की तरह मधुर कूक करते तो कितना अच्छा होता। नीति में कहा है- मूर्ख का बल चुप रहना है। और बुद्धिमान के लिए यह श्रेष्ठ और आवश्यक गुण है। गाँधीजी ने सच ही कहा है- बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो, बुरा मत कहो। मौन रहना मूर्खों का तो बल होता ही है, पर विद्वानों का यह आभूषण होता है।