rashtrya ujala

Sunday, January 31, 2010

...जहां सात फेरों को तरसते हैं पुरुष

अभी तक तो बेटी के पिता को ही अपनी लड़की के विवाह की फिक्र सताती थी मगर शिवपुरी जिले में ऐसे एक दो नहीं, बल्कि पूरे दो दर्जन से अधिक गांव हैं, जहां कुंवारे युवकों की पूरी फौज मौजूद है और इन गांवों को कुंआरों के गांव के नाम से पुकारा जाने लगा है। दरअसल इन गांवों में फ्लोराइड युक्त पानी होने के कारण लोग अस्थि विकार का शिकार हो जाते हैं। इसी वजह से आसपास के गांवों के लोग इन गांवों में अपनी बेटी ब्याहने से कतराते हैं। इन गांवों के लोग अपनी लड़कियों की शादी छोटी उम्र में करके उन्हें तो इस बीमारी से बचा लेते हैं, लेकिन सेहरा बांधने की हसरत में उनके लड़कों की उम्र ढल रही है। सूत्रों का कहना है कि फ्लोराइड युक्त पानी वाले गांवों की संख्या और भी तेजी से बढ़ रही है। फ्लोरोसिस से पीडि़त गांवों में लोग अपनी बेटियां ब्याहने से कतराते हैं और पिछले लंबे समय से यहां यह स्थिति देखी जा रही है। अब तो हालत यह है कि लोग इन गांवों को कुंआरों के गांव के नाम से भी पुकारने लगे हैं।शिवपुरी जिले के नरवर और करैरा विकासखंड अंतर्गत मौजूद इन गांवों के पानी में फ्लोरोसिस का जहर घुला हुआ है। ग्राम हथेड़ा, मिहावरा, गोकुंदा, टोडा आदि में फ्लोराइड के आधिक्य ने पानी को विषैला कर डाला है। इस विषैले पानी के सेवन से लोग अस्थि विकृति के शिकार हो रहे है।
इस बीमारी की चपेट में आने वाले लोगों में जवानी में ही बुढ़ापे की झलक साफ देखने को मिलती है। दांतों की कतारें बदरंग हो जाती है और कम उम्र में ही दांत गिरने लगते हैं। इन गांवों में अपाहिजों की तादाद भी तुलनात्मक तौर पर चौंकाने वाली है।बकौल डा। डी के सिरोठिया, फ्लोरोसिस एक दफा अपना प्रभाव जमा ले तो फिर उससे निजात मिलना असंभव सा कार्य है। इसके लिए तो यही कहा जाएगा कि फ्लोरोसिस से बचाव ही इसका इलाज है। उन्होंने बताया कि फ्लोराइड की मात्रा फूलपुर, हतेड़ा आदि क्षेत्रों में तो 5 पीपीएम तक है जबकि एक से 1.5 पीपीएम तक फ्लोराइड की मात्रा पानी में मानव उपयोगार्थ स्वीकार्य है। नरवर के टुकी क्षेत्र के गोपाल यादव का कहना है कि वह दो जवान बेटियों का बाप है परंतु हतेडा, गोकुंदा आदि ग्रामों में लड़के होते हुए भी वह अपनी बेटियों की शादी इन गांवों में नहीं करेगा। उसका कहना है कि वहां उनकी बेटी की ही नहीं, उसकी भावी संतानों की भी जिंदगी खराब हो जाएगी।फ्लारोसिस की दहशत ने लड़की वालों को इस कदर अपनी जकड़ में ले रखा है कि यहां के पूरे पूरे गांव शहनाई की आवाज को तरस गए हैं। ग्राम फूलपुर के कोमलसिंह, मंशाराम, राजाराम सिंह आदि के घर जवान बेटे मौजूद हैं, जिनकी शादी की उम्र निकलती जा रही है, इनकी शादी की सभी संभावनाएं फीकी है। राजाराम निराश भाव से कहता है कि अब तो उसने रिश्तों की बाट देखना भी बंद कर दिया है।
फूलपुर टोडा हथेडा, महावरा, जरावनी, गोकुंदा आदि में महिला पुरुष अनुपात बेहद असंतुलित है। यहां की बेटियों की शादी तो कम उम्र में आसानी से हो जाती है, लेकिन युवकों का दुल्हन नहीं मिल पाती।
ग्रामीण हरज्ञान पाल का कहना है कि फ्लोरोसिस यहां दशकों से है, किन्तु जब से प्रचार माध्यमों ने प्रचारित किया है तभी से गांवों में कुंआरों की संख्या लगातार बढ़ने लगी हैं। फ्लोरोसिस नामक बीमारी के फैलाव का मुख्य और एक मात्र कारण इन गांवों में पानी के स्त्रोतों का फ्लोराइड प्रभावित होना है। फ्लोराइड ने लोगों के अस्थि तंत्र, तांत्रिका तंत्र और अन्य अंगों को प्रभावित कर डाला है।
स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने इस त्रासदी से निपटने के लिए स्थान-स्थान पर डी फ्लोरीडेशन संयत्र स्थापित करने के अलावा नल-जल योजनाओं के जरिए दीगर स्थानों से पानी लाए जाने का प्रयास किया है। क्षेत्र के 30 से अधिक हैंडपंप फ्लोराइड की स्वीकार्य मात्र से अधिकता वाले जल की उपलब्धता के कारण बंद कर लाल रंग से चिंहित कर दिए गए हैं।रतिराम यादव कहता है कि सब कुछ किया जा रहा है परंतु गांव के बारे में जो धारणा बन चुकी है उसे बदल पाना संभव नहीं है। सरकार हमारी शादी का प्रबंध करने के लिए भी कुछ करे तो बात बने।
साभार mediaclubofindia

1 comment:

संगीता पुरी said...

पूरा का पूरा गांव इस तनाव में .. और प्रशासन सोयी हुई .. इस देश का भगवान ही मलिक है !!