rashtrya ujala

Sunday, December 5, 2010

भूख बेचती सरकार

देश के सबसे बड़े खाद्यान्न घोटोले में उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मामले की जांच कर रही सीबीआई को छह महीने की मोहलत देते हुए उत्तर प्रदेश को भ्रष्टतम प्रदेश करार दिया। लगभग 30 हजार करोड़ के इस घोटाले से यह बात साफ हो गया है कि पैसे की हवस में शासन-प्रशासन इस कदर अंधा हो चुका है कि उसने गरीबों की पेट का भी सौदा कर दिया। करोड़ों लोगों का निवाला छीनने वाले भ्रष्ट अधिकारी बिना किसी राजनीतिक वरदहस्त के इस घोटाले को अंजाम नहीं दे सकते। माननीय उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश पर जो टिप्पणी की है वह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि उत्तर प्रदेश में जो हो रहा है उसे चुपचाप सहन नहीं किया जाना चाहिए। एक तरह से देखा जाए तो देश घोटालों के शिकंजे में फंस चुका है जिसमें उत्तर प्रदेश घपलों की फेहरिस्त में अव्वल बन गया है। वंचित समुदायों की हितैषी कहलाने वाली प्रदेश की मुखिया मायावती के शासन में आज उन्हीं वंचितों को अनाज से वंचित किया जा रहा है लेकिन उन्हें इसकी फिक्र कहां? उन्हें फिक्र होना भी नहीं चाहिए क्र्योंकि बहुजन और शोषित समाज की दंभ भरने वाली मायावती खुद पूरी तरह पंचसितारा संस्कृति में ढल चुकी हैं। दिल्ली में उनकी कोई भी प्रेस वार्ता फाइव स्टार होटल के सिवा नहीं नहीं होता। हालांकि कोर्ट ने सीबीआई को भले ही छह महीने की मोहलत प्रदान की हो,लेकिन सीबीआई की कार्यशैली पर लोगों को भरोसा नहीं रह गया है। जनता के बीच यह बात आम हो चुकी है कि किसी भी मामले को ठंडे बस्ते में डालना हो तो उसे सीबीआई के हवाले कर दो। देखा जाए तो यह तल्ख टिप्पणी काफी हद तक सही भी है। नोएडा में आरुषि हत्याकांड का मामला हो या लखनऊ में अमरमणि त्रिपाठी केस में सीबीआई की लापरवाही पर सवाल खड़े किए जा जुके हैं। कहने को सीबीआई एक स्वतंत्र संस्था है लेकिन सीबीआई में राजनीतिक घुसपैठ ने इसे भी राजनीति की तरह भ्रष्ट बना दिया है। बहरहाल उच्च न्यायालय द्वारा खाद्यान घोटाले में संज्ञान लिए जाने के बाद कहीं न कहीं यह उम्मीद जगी है कि इस मामले पर से पर्दा जल्द उठेगा और घोटाले में शामिल अधिकारी और राजनेता बेनकाब होंगे।

1 comment:

Fauziya Reyaz said...

bahut sahi kaha aapne...