rashtrya ujala

Wednesday, July 30, 2008

मिशन और मनी आकर्षित करने में असफल

जुलाई को दो बड़ी फिल्म ‘मिशन इस्तांबुल’ और ‘मनी है तो हनी है’ प्रदर्शित हुईं, लेकिन दोनों फिल्में इतनी खराब बनी हैं कि दर्शकों ने दूर रहना ही उचित समझा। इस वजह से दोनों की शुरुआत बेहद खराब रही। ‘मनी है तो हनी है’ के उन दृश्यों में दर्शकों को खीज पैदा होती है, जिनमें हँसाने की कोशिश की गई है। ढेर सारे कलाकारों की उपस्थिति भी इस फिल्म को रोचक नहीं बना सकी। ‘मिशन इस्तांबुल’ भी खराब लिखी गई फिल्म है। यूँ भी विवेक ओबेरॉय और ज़ायद खान इतने बड़े सितारे नहीं हैं कि दर्शक उनके नाम पर महँगा टिकट खरीदे। इनके साथ ‘मिशन : द लास्ट वार’ नामक फिल्म भी प्रदर्शित हुई है। यह फिल्म कितने वर्षों में बनकर तैयार हुई है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इसमें अमरीश पुरी और युनूस परवेज़ जैसे कलाकार हैं, जिन्हें इस दुनिया को छोड़े कई वर्ष हो गए हैं। 18 जुलाई को प्रदर्शित हुई ‘किस्मत कनेक्शन’ ने शानदार शुरुआत की थी, लेकिन तीन-चार दिन बाद ही इसके कलेक्शन में भारी गिरावट आ गई। ‘जब वी मेट’ जैसी रोमांटिक फिल्म की आशा लिए देखने गए दर्शकों को निराशा हाथ लगी। फिर भी पहले सप्ताह में इसके आँकड़े अच्छे रहे। देश के 244 सिनेमाघरों के उपलब्ध आँकड़ों के मुताबिक इस फिल्म लगभग 10 करोड़ 72 लाख का व्यवसाय किया। ‘कांट्रेक्ट’ का पहला सप्ताह बेहद बुरा रहा। लोगों को पता भी नहीं चला कि रामगोपाल वर्मा की कोई फिल्म आई है। उम्मीद है कि इसका नतीजा देखने के बाद रामू भविष्य में अंडरवर्ल्ड पर और फिल्म नहीं बनाएँगे। देश के 160 सिनेमाघरों में इस फिल्म ने लगभग 1 करोड़ 40 लाख का व्यवसाय किया। ‘बेटमैन 2 : डार्क नाइट’ को पसंद किया गया। हिंदी और अंग्रेजी दोनों वर्जनों में भीड़ देखी गई। ‘जाने तू... या जाने ना’ अभी भी रेस में बनी हुई है।

सप्ताह की टॉप पाँच फिल्म
1) किस्मत कनेक्शन (पहला सप्ताह)



2) जाने तू... या जाने ना (तीसरा सप्ताह)



3) बैटमेन 2 : द डार्क नाइट (पहला सप्ताह)



4) कांट्रेक्ट (पहला सप्ताह)



5) हैनकॉक (दूसरा सप्ताह)

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