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Monday, August 17, 2009

प्रताड़ित पतियों का शिमला घोषणापत्र

शिमला। पत्नियों के सताए पतियों ने प्रण लिया है कि अब वे किसी भी पुरुष को प्रताड़ित नहीं होने देंगे। सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन के बैनर तले एकजुट हुए प्रताड़ित पतियों ने 'शिमला घोषणापत्र' जारी किया है। मांग की है कि पत्नी द्वारा पति की प्रताड़ना रोकने के लिए अलग से पुरुष कल्याण मंत्रालय खोला जाए।उल्लेखनीय है कि पत्नी द्वारा कानून की धाराओं का दुरुपयोग कर जो जुल्म पति और उसके परिजनों के साथ किए जाते हैं, उससे कई हंसते-खेलते परिवार खत्म हो गए हैं। पतियों के साथ हो रहे अन्याय पर चर्चा के लिए शिमला में देशभर से लोग जुटे थे। दो दिन की चर्चा के बाद उक्त घोषणा पत्र जारी किया गया है। इसमें मांग की गई है कि पत्नियों द्वारा दहेज उत्पीड़न के नाम पर मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने और घरेलू हिंसा के मामलों के तहत दर्ज होने वाले मुकदमों को जमानती बनाया जाए। इसके लिए एक राष्ट्रस्तरीय कमेटी का गठन भी किया जाए। क्योंकि पतियों और उनके परिवार के खिलाफ दहेज प्रताड़ना के 98 फीसदी मामले झूठे पाए गए हैं। घोषणा पत्र में महिलाओं की तर्ज पर राष्ट्रीय पुरुष आयोग के गठन की भी मांग की गई है।स्वतंत्रता दिवस पर फाउंडेशन द्वारा आयोजित सेव इंडियन फेमिली के दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में संस्था के 21 राज्यों से करीब 150 प्रतिनिधियों ने दो दिन चर्चा की। कानून की किन धाराओं का लाभ उठा कर पत्नियां पतियों को प्रताड़ित करती हैं उन पर भी चर्चा हुई। वक्ताओं ने बताया कि राष्ट्रीय अपराध अन्वेषण ब्यूरो के 2006 के आंकड़ों के मुताबिक देश में 100 में से आत्महत्या करने वाले 63 पुरुषों में से 45 फीसदी शादीशुदा होते हैं। जबकि 100 में से 37 महिलाएं आत्महत्या करती हैं। इनमें से मात्र 25 फीसदी ही शादीशुदा होती हैं। महिलाएं आत्महत्या करें तो उसे दहेज प्रताड़ना व घरेलू हिंसा कहा जाता है, लेकिन जब पुरुष आत्महत्या करे तो कारण तनाव व अन्य बताए जाते हैं।

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