Monday, January 12, 2009
अटल-आडवाणी का मिश्रण बनना चाहते हैं मोदी
भाजपा में अटल और आडवाणी के बाद पार्टी का चेहरा बनने के दावेदार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी अटलजी (विकास पुरुष) और आडवाणीजी (लौह पुरुष) का मिश्रण बनना चाहते हैं। वाइब्रेंट गुजरात शो के दौरान मोदी राज्य में 2002 में हुए दंगों के दाग को भी धोना चाहते हैं। इसलिए उनके इस शो के दौरान बड़ी संख्या में मुस्लिम देशों या मुस्लिम बहुल देशों के प्रतिनिधि भी भाग लेने वाले हैं। इस मेले में अरब लीग से जुड़े देश भी आएँगे जिनमें इराक, जॉर्डन, मिस्र, लेबनान, सउदी अरब, यमन और सीरिया के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया, मालदीव, ओमान, ब्रुनेई, ईरान और इंडोनेशिया के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे। मोदी के समर्थकों का मानना है कि उनके नेता का यह नया अवतार भाजपा के अन्य चेहरों को दावेदारी में पीछे छोड़ देगा।हालाँकि मोदी को पार्टी में भले ही पूरी तरह से स्वीकार कर लिया जाए पर राजग के कई घटकों के लिए उन्हें स्वीकार करना आसान नहीं होगा।
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4 comments:
मोदी का चरम विरोधी मैं भी हूं किन्तु वे जिस तरह से 'लो प्रोफाइल' में बने रहकर गुजरात सरकार को चला रहे हैं उसकी प्रशंसा मेरे कई गुजराती मित्र करते हैं। वे मोदी को 'घिनौना व्यक्ति और अच्छा मुख्यमन्त्री' कहते हैं।
मोदी अन्तत: मोदी ही बने रहेंगे। जब वे अपनी ही पार्टी में सर्वस्वीकार्य नहीं हैं तो राजग में तो उन्हें स्वीकार करने का अन्देशा भी नहीं है।
मोदी की अपनी सीमाएं हैं। जिस दिन वे अपनी सीमाएं छोडेंगे, उस दिन मोदी भी नहीं रह पाएंगे।
मोदी के खिलाफ कांग्रेसी और कम्युनिष्ट तो अपनी छातिया पीटते ही रहते हैं ये सत्ता में रह कर देश के पैसे को स्विस बैंकों में जमा करने के अलावा कुछ भी न कर सके. मोदी को घिनौना कहने वालों की तो अक्ल पर सिर्फ तरस ही खाया जा सकता है
जो सर्वस्वीकार्यता की बात करते हैं वो बीते हुये कल को देखें! क्या बीते हुये कल को किसी ने सोचा था कि चन्द्रबाबू, ममता या जनता दल राजग में शामिल हो सकते थे? क्या किसी ने सोचा था कि कांग्रेस विरोध के नाम पर पैदा हुये राजद के चाराचोर सोनिया के चंपू बन जायेंगे?
आने वाले कल का भविष्य आप बीते हुये कल पर निर्धारित नहीं कर सकते.
बैरागी जी, आप मोदी के चरम विरोधी क्यों हैं? आप अपने पूर्वाग्रहों को छोड़ कर गुजरात जाईये और खुद की आंखों से देखिये कि मोदी क्या है! आपकी तरह सुहैल सेठ भी कल तक मोदी के चरम विरोधी थे और आज उनसे मोदी के बारे में पूछिये.
सच तो यह है कि अब लोग मोदी के नाम या मोदी से नफ़रत, घृणा या कोफ़्त महसूस करने की बजाय "डरने" लगे हैं… जिस तरह से वह व्यक्ति देश के नीच और गिरे हुए नेताओं की छवि के विपरीत अपना कद बढ़ाता जा रहा है, उसे लेकर विरोधियों में हताशा के साथ-साथ एक "डर" का भाव पैदा हो गया है… जिस तरह मायावती एक दिन भारत की प्रधानमंत्री जरूर बनेगी, उसी तरह मोदी भी एक बार तो बनेंगे… चाहे कोई कुछ भी कर ले…
गुजरात से बाहर रह कर मोदी के बारे में और गुजराती उनके बारे में क्या सोचते है यह नहीं जाना जा सकता.
मोदी सर्वोत्त्म मुख्यमंत्री है.
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