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Monday, October 19, 2009

महिला और हृदय रोग

डॉ.पुरूषोतम लाल
मेट्रो अस्पताल, नोएडा

धमनियों में खून के थक्के यानी कोलैस्ट्रोल का जमाव, जिससे धमनियों के बंदहो जाने के कारण उचित रक्त का संचार नहीं होता है। इससे छाती में दर्द और हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है। सबसे पहले प्रत्येक महिला को अपनी ब्लड कोलैस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर की जांच करानी चाहिए।
यह सत्य है कि महिलाओं के लिए हृदय रोग आजकल सबसे ज्यादा खतरनाक बीमारी बनती जा रही है और महिलाएं इस खतरनाक रोग को लेकर सचेत नहीं हैं। यह तथ्यपूर्ण बात है कि अधिकतर महिलाएं जीवन के छठवें दशक (साठ वर्ष) बाद इस रोग से पीड़ित होती हैं। इस रोग को लेकर महिलाओं में व्याप्त गलतफहमियां मात्र रोग के बारे में सही ज्ञान अर्जित करने से ही खत्म हो सकती हैं। यह तभी होगा जब हमें रोग की उचित रोकथाम का ज्ञान हो सके। महिलाओं में इस रोग के लक्षण पुरुषों से भिन्न होते हैं। इन लक्षणों को पहचानने के लिए महिलाओं को इस बात की समझ होनी चाहिए कि यह रोग कितना भी गंभीर क्यों न हो, इससे बचा जा सकता है। हृदय रोग चाहे जैसा भी हो, रोकथाम के लिए लंबे इलाज की आवश्यकता होती है। यह बात आश्चर्यजनक हो सकती है लेकिन सत्य है। दुनिया भर में अधिकतर महिलाओं की मृत्यु और अपंगता हृदय रोग से होती है। प्रतिवर्ष इस रोग से मरने वाली महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों की अपेक्षा अधिक होती है। यह बात मेट्रो अस्पताल के प्रबंध निदेशक व पद्म विभूषण, डा.वी.सी.राय अवार्डी डा.पुरुषोत्तम लाल ने बतायी।
हृदय में छेद होने के कारणों में धुम्रपान, उच्च रक्त चाप और कोलैस्ट्रोल प्रमुख हैं जो महिलाएं व पुरुषों पर समान रूप से प्रभाव डालते हैं। लेकिन महिलाएं कुछ विशेष बातों पर ध्यान दें तो वे इस रोग की त्रासदी से बच सकती हैं।
तमहिलाओं में रक्त कोलैस्ट्रोल का स्तर उम्र के साथ बढ़ता है। रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म) के बाद इसका खतरा कुछ अधिक बढ़ जाता है। 45 वर्ष के बाद महिलाओं का रक्त चाप (बल्ड प्रैशर) सामान्य लेकिन हमउम्र पुरुषों की अपेक्षा अधिक पाया जाता है।
तसामान्य से अधिक भार और मोटापे का हृदय रोग से संबंध होता है। मोटापे से ग्रस्त महिलाओं की संख्या विभिन्न देशों में बढ़ रही है।
तविशेष तौर पर 35 से 50 की आयु में कम व्यायाम करना इस रोग के कारणों को बढ़ा देता है और शारीरिक निष्क्रियता के कारण स्ट्रोक (हार्ट अटैक) और सी.वी.डी.से मृत्यु की गुंजाइश दोगुनी बढ़ जाती है।
तजवान महिलाएं यदि धूम्रपान करती हैं अथवा ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, रक्त कोलैस्ट्रोल का उच्च स्तर या परिवार में सी.वी.डी. से ग्रस्त होने के का इतिहास या अनुवांशिकता हो तो जवानी में भी इस रोग से ग्रस्त होने की संभावना रहती है।
हृदय रोग से बचाव हेतु महिलाओं के लिए उपाय
उम्र बढ़ने के साथ हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं और विशेष तौर पर रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म) के बाद। लेकिन धमनियों में खून के थक्को यानी कोलैस्ट्रोल का जमाव, धमनियों के बंदहो जाने के कारण उचित रक्त चाप संचार नहीं होता है। इससे छाती में दर्द और हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।
सबसे पहले प्रत्येक महिला को अपनी ब्लड कोलैस्ट्रोल और बल्ड प्रेशर की जांच करानी चाहिए। यह दोनों समस्या जितनी अधिक होंगी, हृदय रोग, सी.वी.डी. और हार्ट अटैक की संभावानाएं भी उतनी ही प्रबल हाेंगी। लिपिड प्रोफाइल के लिए रक्त की जांच 9 से 12 घंटे उपवास रखने के बाद करानी चाहिए, जिससे खून में मौजूद वसा की मात्रा और कोलैस्ट्रोल के स्तर का पता लग जाय। कोलैस्ट्रोल में एल.डी.एल. हो तो वह खतरनाक है, जबकि एच.डी.एल.अच्छा माना जाता है। रोग का ठीक पता रोगी की अन्य जांच या विवरण के बाद ही लग सकता है। जिसमें स्वास्थ्य संबंधी अन्य जानकारी और पारिवारिक हृदय रोग की हिस्ट्री भी जानना भी जरुरी है ताकि रोग का पक्का पता चल सके। डा.लाल के अनुसार जीवनशैली और खानपान में बदलाव लाकर अधिकतर महिलाएं इस ह्दय रोग को पनपने से रोक सकती हैं, यह बदलाव निम् तरीके के हो सकते हैं।
शारीरिक वजन में कमी-
शरीर का अधिक वजन होने से बल्ड प्रेशर, बल्ड कोलैस्ट्रोल और ट्राईग्लिसराइड स्तर पर प्रभाव पड़ता है। इससे टाइप-2 डायबीटिज का खतरा बढ़ जाता है। जिससे शरीर में इंसूलिन भोजन को उर्जा में बदलने में मदद नहीं करता है। टाइप-2 डायबीटिज से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इससे पांच सौ कैलोरी प्रतिदिन के हिसाब से (जिससे एक पाउण्ड वजन एक हफ्ते में बढ़ सकता है) हमारी 200 कैलोरी उर्जा व्यायाम से खत्म हो जाती है, जबकि शेष तीन सौ कैलोरी हम भोजन से स्वत: कम कर सकते हैं। अत: संतुलित भोजन और व्यायाम से मोटापा पर अंकुश लगाया जा सकता है।
धूम्रपान से तौबा
धूम्रपान करने वाली महिला में हार्ट अटैक की संभावना धूम्रपान न करने वाली महिला से दोगुना अधिक होती है क्योंकि सिगरेट में मौजूद टौक्सीन धमनियों को सीधा प्रभावित करते हैं। जिससे धमनियाें में रक्त संचार के लिए बाधाएं पैदा हो जाती हैं। धूम्रपान से खून की नलियां चिपचिपी हो जाती हैं, जिससे रक्त संचार में अधिक कठिनाई के कारण स्ट्रोक की संभावना बनी रहती है।
सक्रिय रहें:-
लगभग सप्ताह में प्रत्येक दिन कम से कम 30 मिनट का शारीरिक व्यायाम जरुरी है जो बढ़ रही कैलोरी को नष्ट करने में सहायक है।
वसायुक्त भोजन को त्यागें:-कोलैस्ट्रोल को बढ़ाने वाले वसायुक्त भोजन को बदल कर उसके स्थान पर कम वसा वाले पदार्थ का सेवन करें।
शाकाहार अपनाएं:- अध्ययनों के अनुसार फल और सब्जियों से हृदय रोग और रक्तचाप की समस्या को कम किया जा सकता है।
फाइबर डाइट:-संपूर्ण पोषाहार एलडीएल कोलैस्ट्रोल को कम करने में मदद करता है। अनाज से बने ब्रेड का ही सेवन करें।

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

उपयोगी पोस्ट के लिए आभार।

L.Goswami said...

अच्छी जानकारी है ...आभार.