स्वयं को जनप्रतिनिधि कहलाने वाले राजनेताओं के दिमाग से देश भक्ति एवं जनसेवा की भावना शायद समाप्त हो चुकी है। सत्ताधारी नेता ज्यादातर समारोहों में केवल अपना चेहरा दिखाने पहुंचते हैं और फिर समारोह के में ही उठ कर चल देते हैं। ऐसा ही एक प्रकरण २६/११ की सभा में सामने आया। महराष्ट्र के मुख्यमंत्री को दूसरे कार्यक्रम में जाकर लोगों से वाहवाही लूटने की इतनी जल्दी थी कि उन्होंने राष्ट्रगान के दौरान पूरे समय मंच पर खड़ा रहना भी उचित नहीं समझा। राष्ट्रगान को पूरा होने में दो मिनट का समय लगता है। मुख्यमंत्री राष्ट्रगान के लिए इतना समय भी देने के लिए तैयार नहीं थे। आयोजकों ने उन्हें रोकने का प्रयास भी किया, इसके बाद भी उन्होंने रुकना उचित नहीं समझा और समारोह को छोड़कर चले गए। मुख्यमंत्री की बचकाना हरकत ने साफ कर दिया कि शहीदों की शहादत उनकी नजर में कोई कीमत नहीं है। मुख्यमंत्री शायद भूल गए कि जवानों के कारण ही देश की जनता एवं राजनेता सुरक्षित हैं
No comments:
Post a Comment