rashtrya ujala

Friday, June 5, 2009

ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे
तू बहुत देर से मिला है मुझे

तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल
हार जाने का हौसला हैं मुझे

दिल धड़कता नहीं तपकता है
कल जो ख़्वाहिश थी आबला है मुझे

हमसफ़र चाहिए हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे

3 comments:

समयचक्र said...

बहुत अच्छी रचना धन्यवाद.
पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प लें

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।

RAJNISH PARIHAR said...

क्या बात है सर...बहुत ही गहराई से निकली रचना है..बधाई!!!!