rashtrya ujala

Wednesday, December 3, 2008

आतंकवाद के खिलाफ एक नई जंग

पिछले बुधवार को गेटवे के पास ताज में दहशतगर्दियों ने जो खूनी खेल शुरू किया था आज उसी समय वहीं स्थान लेकिन ना गोलियों की आवाज, न हैंडग्रेनेड के धमाके, ना ही एम्बुलैन्स में जाते शव। सिर्फ था तो लोगों का आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़ने का एक नया संकल्प और पूरी मुंबई जैसे यहाँ सिमट गई थी। यह उन आतंकवादियों को जवाब था जो तीन रातों तक यहाँ पर खूनी खेल खेल रहे थे। लोगों में नेताओं के खिलाफ आक्रोश इस कदर था, जिसका इजहार वह सिर्फ लिख कर ही नहीं कर रहे थे बल्कि जुबाँ से भी कर रहे थे। 72 घंटे बाद ताज पर तिरंगा लहराया गया था, लेकिन आज तो यहाँ हजारों तिरंगे लहरा रहे थे। लोगों की भीड़ को किसी एक पक्ष या संघटन ने नहीं बुलाया था, बल्कि लोग खुद आए थे। लोग शाम पाँच बजे से गेटवे के पास आ रहे थे और देर रात तक आ ही रहे थे। जहाँगीर आर्ट गैलरी से लेकर नरीमन हाऊस तक के रास्ते लोगों से भर गए थे। रास्तों के दोनों ओर सफेद कपड़े लगा कर लोग उस पर अपनी संवेदनाएँ लिख रहे थे। इन लोगों में 20 से 25 उम्र के वह युवा थे जो अपनी रातें डिस्कों में बिताते हैं, लेकिन आज वह भी आतंकवाद और निकम्‍मी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए आगे आए थे।
इनके साथ ही वयस्कों, महिलाओं की संख्या भी बड़ी तादाद में थी। अपंग और विदेशी नागरिक भी श्रद्धांजलि देने गेटवे पहुँच गए थे। गेटवे पर कम से कम 50 हजार लोग इकट्ठा हुए थे। इनके हाथों में बैनर थे जिस पर राज ठाकरे से लेकर देशमुख, पाटील और रामगोपाल वर्मा तक सब पर व्यंग्य कसे गए थे। पहली बार मुंबई की गलियों में पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे भी लगे। इसी भीड़ में तकरीबन मुस्लिमों का एक गुट आया, जिन्होंने हाथ में बैनर लिया था और उस पर लिखा था कि पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करें। इनका लोगों ने तालियों से स्वागत किया। इनमें बुरखाधारी महिलाएँ भी थी। इसी तरह पारसी महिलाओं का एक समुदाय पुलिस मुख्यालय के सामने हाथ में बैनर लेकर खड़ा था। गली-गली में शोर हैं पाकिस्तान चोर है और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों के साथ राष्ट्रगान भी गाया जा रहा था। एक बैनर पर लिखा था 47 में स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी, अब एके-47 हाथ में दो। अब गाँधीगिरी नहीं चलेगी। एक बैनर पर लिखा था देशमुख ताज हमें सौंप दों हम रामगोपाल वर्मा से अच्छी फिल्म बनाएँगे। एक पर लिखा था शरम करो राज, आज के दिन तो बाहर आते। साथ ही युवाओं के बैनर पर लिखा था कि उन्हें आईबी, रॉ और गृह मंत्रालय में काम दिया जाए। एक पर लिखा था नई फिल्म देशमुखी- ए फिल्म बाय रामगोपाल वर्मा एंड द मेन एक्टर- यू नो व्हू? बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस ने गेटवे के पास से लोगों को हटाना शुरू कर दिया था। पूरा माहौल देशभक्ती से भर गया था।

No comments: