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Friday, December 26, 2008

कम होंगे दिल के घाव

अमेरिकी डॉक्टर ऐसी दवा बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे दिल के दौरे से होने वाले स्थायी नुकसान को कम किया जा सके। अमेरिकी शोधार्थियों ने पाया कि चूहों में बनने वाली एक खास प्रोटीन का रास्ता बंद करने से दिल को हुआ नुकसान कुछ हद तक कम हो गया।


इस शोध का विवरण 'नेचर ेल बायोलॉजी' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। जब दिल के दौरे के दौरान इसे रक्त की आपूर्ति करने वाली किसी एक धमनी के बंद हो जाने से दिल को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत होती है तो यह कई प्रकार से दिल को नुकसान पहुँचाती है। इस शुरुआती क्षति से सूजन होती है, जिससे कोलेजन (एक तरह का प्रोटीन) स्कार कोशिका का जन्म होता है। इस प्रक्रिया को उस अंग का फाइब्रोसिस कहते हैं, जो इसके रक्त पंप करने की क्षमता में स्थायी रूप से बाधा डाल सकती है।
चूहों पर प्रयोग : यूनीवर्सिटी ऑफ विस्कांसिस मेडिसन और न्यूयॉर्क की कोर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधार्थी ऐसे केमिकल मैसेंजर की तलाश कर रहे हैं, जो रक्त प्रवाह जारी रखने में मदद करता रहे।
वे खासतौर पर एसएफआरपी-2 नामक प्रोटीन की भूमिका पर गौर कर रहे हैं, जिसका संबंध इससे पहले कोलेजन के निर्धारण के साथ नहीं माना जाता था।उन्होंने परीक्षण के लिए ऐसे चूहों पर प्रयोग किया, जिनमें इस प्रोटीन का अभाव था। उन्होंने इस पर गौर किया कि दिल के दौरे के बाद इनमें क्या अंतर रहता है। उन्होंने पाया कि इस प्रोटीन के अभाव वाले चूहों के दिलों में घाव बहुत कम थे।
इसके एक शोधार्थी प्रोफेसर डेनियल ग्रीनस्पान ने कहा महत्वपूर्ण है कि हमने पाया कि जब हमने फाइब्रोसिस का स्तर कम किया तो चूहों में दिल की कार्यक्षमता स्पष्ट रूप से बढ़ती गई। हालाँकि इस प्रोटीन एसएफआरपी-2 को प्रयोग अभी तक मानव में नहीं किया गया है, फिर भी उम्मीद है कि ऐसी दवा मानव में दिल के दौरे के कुछ घंटों में ही इसका प्रभाव कम कर सकेगी। लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज में मॉलिक्युलर कार्डियोलॉजी के रीडर डॉ. पॉल रिले ने कहा कि यह खोज उत्साहवर्धक है। उन्होंने कहा फाइब्रोसिस बहुत महत्वपूर्ण है। निश्चित रूप से हमें कोलेजन के जमा होने को बचने की जरूरत है। उनके अनुसार ऐसे इलाज करने का सवाल ही पैदा नहीं होता, जिसमें नई माँसपेशियाँ या रक्तवाहिनियाँ विकसित की जाएँ, क्योंकि अगर ज्यादा घाव होंगे तो यह इसे ठीक प्रकार से काम करने से रोकेगा। इसके बजाय फाइब्रोसिस को कम करने से ज्यादा सफलता की उम्मीद है। शोधार्थियों ने कहा कि जिगर और फेफेड़ों की दूसरी ऐसी बीमारियों में भी इस प्रोटीन का रास्ता बंद करने से फायदा हो सकता है, जिनमें बड़े घाव और नुकसान होते हैं।

2 comments:

संगीता पुरी said...

इस बडी सफलता के लिए डाक्‍टरों की पूरी पूरी टीम को बहुत बहुत बधाई।

seema gupta said...

" एक बहुत बडी उपलब्धि बधाई "
Regards