जम्मू-कश्मीर के चुनाव परिणाम और मिल रहे संकेत राज्य में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठजोड़ की ही सरकार बनती दिखा रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने साफ तौर पर कांग्रेस से समर्थन मांगने की बात कह दी है तो कांग्रेस की औपचारिक 'वेटिंग गेम' के साथ ही वरिष्ठ नेता भी साफ कह रहे हैं कि नेशनल कांफ्रेंस के साथ मिल कर सरकार बनाना ही व्यावहारिक होगा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई कोर ग्रुप की बैठक में वर्तमान स्थिति पर चर्चा के बाद संशय है तो बस इतना कि सरकार में शामिल हों या बाहर से समर्थन दें।कांग्रेस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी [पीडीपी] की पिछली सरकार के अनुभव के बाद नई सरकार के गठन से पहले गठबंधन के फार्मूले को लेकर जबरदस्त मोल-तोल होने की संभावना है। मामला कश्मीर का है, इसलिए सरकार गठन से पहले केंद्र भी नेशनल कांफ्रेंस से कई बातें साफ करना चाहेगा। संभव है कि सोमवार को नेशनल कांफ्रेंस की तरफ से औपचारिक तौर पर समर्थन मांगने की कवायद शुरू हो।नेशनल कांफ्रेंस के फारूक और उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस का समर्थन मांगने की बात कहने के साथ ही यह भी कहा है कि वह भाजपा का समर्थन लेने के बजाय विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे। हालांकि भाजपा ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी अन्य दल को समर्थन देने की बात से इनकार कर दिया है। पीडीपी की महबूबा मुफ्ती जान रही हैं कि पिछली सरकार के वक्त जिस तरह उनकी पार्टी ने कांग्रेस से समर्थन वापस लेकर सरकार गिराई उसे देखते हुए कांग्रेस का उनके साथ आना बेहद मुश्किल है। हालांकि पीडीपी ने जिस तरह संप्रग सरकार बचाने के लिए लोकसभा में सरकार के पक्ष में मतदान किया था, उसे दरकिनार नहीं किया जा सकता। लेकिन उस वक्त नेशनल कांफ्रेंस ने भी सरकार का साथ दिया था। उमर ने तो सरकार के पक्ष में संसद में जम कर तकरीर भी की थी।रविवार की शाम सोनिया के आवास पर प्रणब मुखर्जी, ए के एंटनी, जम्मू-कश्मीर के प्रभारी पृथ्वीराज जैसे वरिष्ठ नेताओं से सभी मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। पार्टी सूत्रों के अनुसार नेशनल कांफ्रेंस के साथ मिली-जुली सरकार बनना तय है। इसके स्वरूप को लेकर कांग्रेस नेतृत्व सोमवार को चर्चा करेगा। इन दोनों दलों के साथ आने का एक बड़ा कारण कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी और उमर अब्दुल्ला की दोस्ती भी रहेगी। चुनावी नतीजों के बाद फारूक अब्दुल्ला ने साफ कर दिया कि नेशनल कांफ्रेंस के नेतृत्व वाली सरकार की कमान उमर ही संभालेंगे। ऐसे में उमर को मुख्यमंत्री स्वीकार करने में कांग्रेस को शायद ही कोई एतराज होगा।पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद भी कांग्रेस के नेशनल कांफ्रेंस के साथ जाने के हिमायती हैं।हालांकि उन्होंने कहा कि इसका फैसला प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को करना है। डा. कर्ण सिंह ने भी अपनी निजी राय की आड़ में कहा है कि नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठजोड़ की सरकार ज्यादा व्यावहारिक नजर आ रही है। पीडीपी के साथ गठबंधन के पिछले अनुभवों को देखते हुए भी आजाद पीडीपी के साथ जाने के हक में नहीं हैं।
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