rashtrya ujala

Wednesday, December 3, 2008

अब हवाई आतंक का खतरा भारत पर

मुंबई में भारतीय समुद्रतटों की सुरक्षा पहले ही भेदी जा चुकी है, इसके बाद रक्षामंत्री एके एंटनी ने बुधवार को सशस्त्र बलों को हवाई रास्ते से संभावित खतरे के प्रति आगाह किया जैसा कि अमेरिका में 9/11 का हमला था।
एंटनी ने सशस्त्र बलों को हवाई रास्ते से संभावित आतंकवादी खतरे का जवाब देने के लिए तैयार रहने और अल कायदा द्वारा वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले जैसे घटनाक्रम की पुनरावृत्ति न होने देने के लिए तैयार रहने को कहा। तीनों सेनाओं के प्रमुखों और रक्षा अधिकारियों के साथ बैठक में एंटनी ने सभी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय का आह्वान किया। बैठक में नौसेना प्रमुख एडमिरल सुरीश मेहता वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल फली होमी मेजर थलसेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर और रक्षा सचिव विजयसिंह मौजूद थे। मुंबई आतंकी हमलों के बाद पाकिस्तान द्वारा अपनी सेना को हाई अलर्ट करने की खबरों के मद्देनजर बैठक में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर स्थिति की समीक्षा की गई। सूत्रों ने कहा कि एंटनी ने आतंकवादियों द्वारा जमीनी मार्ग से घुसपैठ को रोकने के लिए एलओसी के आसपास सुरक्षा और सतर्कता मजबूत करने के सशस्त्र बलों के कदमों पर बातचीत की। दरअसल आतंकवादियों के प्रशिक्षण और भर्ती के लिहाज से पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) एक महत्वपूर्ण इलाका माना जाता है।
शीर्ष रक्षा अधिकारियों ने समुद्रतटों की सुरक्षा बढ़ाने की योजना पर तथा तटीय रडारों और इंटरसेप्टर नौकाओं सहित अन्य प्रणालियों को खरीदने की प्रक्रिया तेज करने पर चर्चा की। सू़त्रों ने कहा कि बैठक में विशेष तौर पर देश में हवाई अड्डों के आतंकवादियों के निशाने पर होने की खुफिया चेतावनी पर चिंता जताई गई और नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो से सभी महत्वपूर्ण हवाई अड्डों की सुरक्षा के संबंध में रेड अलर्ट जारी करने पर भी बात हुई। संकेत दिया गया कि खुफिया एजेंसियाँ महत्वपूर्ण तिथियों जैसे छह दिसंबर 26 जनवरी आदि से पहले नियमित चेतावनी देती रही हैं, लेकिन रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि एंटनी ने बलों और खासतौर पर वायुसेना से अधिक सतर्क रहने के लिए और किसी भी खतरे को रोकने के लिए कहा। एंटनी विशेष तौर पर रक्षा और खुफिया एजेंसियों में समन्वय की कमी को लेकर नाखुश थे। उन्होंने सशस्त्र बलों और खासतौर पर नौसेना तथा तटरक्षक के प्रति खुफिया एजेंसियों से मिली विशेष जानकारी पर ध्यान नहीं दिए जाने पर निराश जताई, जबकि एजेंसियों ने समुद्री मार्ग से आतंकी हमलों के बारे में आगाह किया था। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि दोनों ओर से समन्वय की कमी देखी गई चाहे यह रक्षा बलों से हो या खुफिया एजेंसियों से। इसलिए दोनों को दी गई चेतावनी के बिंदुओं पर स्पष्ट रुख अख्तियार करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि जानकारियों पर कार्रवाई हो, जिससे कि मुंबई जैसे हमलों के समय सोते न रह जाए।

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