हाल के कई संकेतों से पता लगता है कि मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादियों का उद्देश्य भारत को सैन्य कार्रवाई के लिए भड़काना है। भारतीय सीमा से लगे पाक क्षेत्र में पाकिस्तानी वायुसेना की गतिविधियाँ बढ़ गई हैं और स्थिति यहाँ तक पहुँच गई है कि भारत को अपनी वायु रक्षा तैयारी का जायजा लेने के लिए विवश होना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में पाकिस्तान की ओर से यह आरोप लगाया गया था कि भारतीय विमानों ने पाक हवाई सीमाक्षेत्र का अतिक्रमण किया है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत की ओर से सुरक्षा तैयारियों को सुनिश्चित किया जा रहा है, ताकि पाक वायुसेना हमारी वायु सीमा का उल्लंघन न करे। पाकिस्तानी लड़ाकू विमान अपनी सीमा में रहते हुए आक्रामक तेवर दिखा रहे हैं, ताकि भारत को युद्ध के लिए भड़काया जा सके और उनकी आतंकवादी गतिविधियों पर से दुनिया का ध्यान हट सके। हालाँकि अभी तक पाकिस्तानी विमानों ने भारतीय हवाई सीमा का उल्लंघन नहीं किया है, लेकिन वे भारतीय वायु सीमा के बहुत करीब उड़ान भर रहे हैं। भारत इन परिवर्तनों पर नजर रखे हुए है।
बुधवार को ही भारतीय वायुसेना ने दिल्ली की सुरक्षा के लिए तीन मिग-29 विमानों को पश्चिमी उप्र के हिंडन एयरबेस पर तैनात किया था। इसके लिए आपातकाल में अम्बाला या बरेली से विमान मँगाए जाने की जरूरत नहीं समझी गई। गुरुवार को रक्षामंत्री एके एंटनी ने तीनों सेनाओं के प्रमुख और रक्षा सचिव के साथ सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और सेना की तैयारियों का जायजा लिया।
रक्षामंत्री ने तीनों सेना प्रमुखों से भी पूछा कि वे संबंधित खुफिया सूचनाओं के मद्देनजर किस प्रकार से प्रतिरक्षा की समुचित व्यवस्था को सुनिश्चित करने जा रहे हैं। इस बैठक में कुछ महत्वपूर्ण बातें यह भी रखी गईं कि युद्ध होने की स्थिति में कौन-से महत्वपूर्ण उपकरणों की जरूरत होगी और कौन-कौन-से हथियार हमें मिलने वाले हैं, ताकि उन्हें जल्दी से जल्दी पाने की कोशिश की जाए। इस बैठक में समुद्र तटीय और समुद्री किनारों पर स्थित संपत्तियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सभी एजेंसियों से मिली खुफिया जानकारी को साझा करने और उसके अनुरूप तैयारी रखने की बात भी कही गई। हालाँकि भारत ने यह बात बार-बार दोहराई है कि भारतीय वायुसेना ने पाक अधिकृत कश्मीर के आतंकवादी शिविरों की टोह लेने की कोशिश नहीं की है फिर भी पाकिस्तान की ओर से ऐसी कार्रवाइयाँ की जा रही हैं, ताकि भारत भड़ककर हमला कर दे। यह कार्रवाइयाँ राजनयिक स्तर से लेकर सैन्य स्तर तक चल रही हैं।
इस स्थिति के मद्देनजर भारत इसराइल से स्पाइडर लो लेवल क्विक रिएक्शन मिसाइलों को लेना चाहता है। 18 ऐसी मिसाइलों की खरीद के बाद भी सरकार 14 और मिसाइलें लेने की तैयारी कर रही है। इनके मिलने से हमें पाक वायुसेना की तैयारियों की तुलना में बेहतर स्थिति प्राप्त होगी। इनके अलावा भारत को 126 लड़ाकू विमान खरीदना हैं और अग्रिम रक्षापंक्ति के लिए रूस से सुखोई-तीस लड़ाकू विमानों को प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है, ताकि देश के लड़ाकू विमानों के बेड़े को मजबूत बनाया जा सके। साथ ही देश अपनी मिसाइल रक्षा कवच तैयारियों को भी बढ़ाना चाहता है। मुंबई पर हमला करने वाले आतंकियों का मकसद भी भारत को सैन्य कार्रवाई के लिए उकसाने का था। उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2001 में संसद पर हुए हमले के बाद भी ऐसा हुआ था और तब अगर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का बहाना बनाकर पाक एक लाख पाकिस्तानी फौजी अफगानिस्तान सीमा से हटाकर भारतीय सीमा की ओर भेज देता तो इससे वहाँ अमेरिका और अफगानिस्तान के साथ जंग में उलझे तालिबान और अल कायदा को साँस लेने की फुरसत मिल जाती। वे वहाँ नए सिरे से अपनी मुहिम को आगे बढ़ा पाते। अगर तब भारत और पाकिस्तान के बीच में युद्ध शुरू हो जाता तो स्वाभाविक है कि सारी दुनिया का ध्यान अल कायदा और तालिबान से हट जाता।
पाकिस्तान के इस खेल का नतीजा पाकिस्तान के विघटन के रूप में सामने आ सकता था जो भारत के लिए कम खतरनाक नहीं होता, क्योंकि अभी तक तालिबान और अल कायदा के जो तत्व पाकिस्तान तक सीमित हैं वे सीधे भारत पर हमला करने की स्थित में होते। पाकिस्तान यह सब करने के इरादे से ही सक्रिय है, इसलिए उसके हाथ में खेलने का तो कोई औचित्य नहीं है। अगर दूसरे तरीके से सोचें तो मुंबई के हमलों की तुलना अमेरिका के 9/11 से की जा सकती है। सिर्फ पैमाने के स्तर पर ही देखें तो 9/11 के हमलों में मुंबई के 15 गुने से भी ज्यादा लोग मारे गए थे। पिछले 60 सालों में अमेरिका पर बाहरी हमले की यह पहली घटना थी। इस घटना ने दुनिया के बारे में अमेरिका का नजरिया बदल दिया। मुंबई हमला ठीक-ठीक उसी तरह भारत का विश्व-दृष्टिकोण बदल पाएगा, इसमें संदेह है। यह तुलना हमारी सोच को यहाँ तक ले जाती है कि 9/11 के बाद अमेरिका द्वारा शुरू किया गया ग्लोबल वार ऑन टेरर बिलकुल ठीक था इसलिए भारत को भी आगा-पीछा सोचे बिना पाकिस्तान पर हमला कर देना चाहिए, जबकि पाकिस्तान तो यही चाहता है कि दोनों देशों के बीच युद्ध हो और पहले से कुंद हो चुके वार ऑन टेरर की धार और भी कुंद हो सके। जबकि वास्तविकता यही है कि बुश की रची यह लड़ाई बुरी तरह नाकाम साबित हुई।
यह दस लाख से ज्यादा मौतों की वजह बनी, इस्लामोफोबिया का दानव इसने ही खड़ा किया और आतंकवाद तथा वैश्विक असुरक्षा में इससे जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली। क्या हम पाकिस्तान पर हमला करके तालिबान और अल कायदा के उन तत्वों का सफाया कर सकते हैं जो पाकिस्तान में न केवल अपनी जड़ें जमा चुके हैं, वरन पाक के कट्टरपंथी समाज का आधार स्तम्भ बन चु्के हैं? भारत पर जो हमला हुआ है वह क्या आईएसआई और उसके पैदा किए गए आतंकवादी संगठनों की मदद के बिना पूरा हो सकता था? भारत में जो आतंकवादी घटनाएँ होती हैं क्या वे अपने आप होती हैं? आज पाकिस्तान में यह स्थिति है कि प्रशिक्षित आतंकवादी संगठनों को आईएसआई या पाक सेना भी नियंत्रित नहीं कर सकती है। इसलिए यह नहीं माना जा सकता है कि लश्कर-ए-तोइबा, आईएसआई, पाकिस्तानी सेना और वहाँ की निर्वाचित सरकार के बीच किसी तरह के सीधे समीकरण हों, क्योंकि पाक सरकार का भी इन पर कोई सीधा नियंत्रण नहीं है। इसलिए पाकिस्तानी सरकार का सबसे बड़ा हथियार यही बन गया है कि अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई या दबाव का सामना करने के लिए भारत को युद्ध के लिए भड़का दिया जाए। इसलिए भारत के लिए इस मामले में सही रास्ता यही है कि वह अपने आंतरिक सुरक्षा उपायों को पुख्ता करे और पाकिस्तान को अपने यहाँ मौजूद आतंकवादी ढाँचों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई के लिए मजबूर करे। आक्रामकता को अभी इससे ज्यादा खींचना देश के लिए अच्छा नहीं रहेगा, क्योंकि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन, सेना और आईएसआई यही चाहते हैं कि भारत बौखलाकर हमला कर दे। अगर हम भी ऐसा करते हैं तो इससे पाकिस्तान में आतंकवादी तत्वों के ही मंसूबे पूरे हो जाएँगे।
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बुधवार को ही भारतीय वायुसेना ने दिल्ली की सुरक्षा के लिए तीन मिग-29 विमानों को पश्चिमी उप्र के हिंडन एयरबेस पर तैनात किया था। इसके लिए आपातकाल में अम्बाला या बरेली से विमान मँगाए जाने की जरूरत नहीं समझी गई। गुरुवार को रक्षामंत्री एके एंटनी ने तीनों सेनाओं के प्रमुख और रक्षा सचिव के साथ सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और सेना की तैयारियों का जायजा लिया।
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इस स्थिति के मद्देनजर भारत इसराइल से स्पाइडर लो लेवल क्विक रिएक्शन मिसाइलों को लेना चाहता है। 18 ऐसी मिसाइलों की खरीद के बाद भी सरकार 14 और मिसाइलें लेने की तैयारी कर रही है। इनके मिलने से हमें पाक वायुसेना की तैयारियों की तुलना में बेहतर स्थिति प्राप्त होगी। इनके अलावा भारत को 126 लड़ाकू विमान खरीदना हैं और अग्रिम रक्षापंक्ति के लिए रूस से सुखोई-तीस लड़ाकू विमानों को प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है, ताकि देश के लड़ाकू विमानों के बेड़े को मजबूत बनाया जा सके। साथ ही देश अपनी मिसाइल रक्षा कवच तैयारियों को भी बढ़ाना चाहता है। मुंबई पर हमला करने वाले आतंकियों का मकसद भी भारत को सैन्य कार्रवाई के लिए उकसाने का था। उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2001 में संसद पर हुए हमले के बाद भी ऐसा हुआ था और तब अगर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का बहाना बनाकर पाक एक लाख पाकिस्तानी फौजी अफगानिस्तान सीमा से हटाकर भारतीय सीमा की ओर भेज देता तो इससे वहाँ अमेरिका और अफगानिस्तान के साथ जंग में उलझे तालिबान और अल कायदा को साँस लेने की फुरसत मिल जाती। वे वहाँ नए सिरे से अपनी मुहिम को आगे बढ़ा पाते। अगर तब भारत और पाकिस्तान के बीच में युद्ध शुरू हो जाता तो स्वाभाविक है कि सारी दुनिया का ध्यान अल कायदा और तालिबान से हट जाता।
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यह दस लाख से ज्यादा मौतों की वजह बनी, इस्लामोफोबिया का दानव इसने ही खड़ा किया और आतंकवाद तथा वैश्विक असुरक्षा में इससे जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली। क्या हम पाकिस्तान पर हमला करके तालिबान और अल कायदा के उन तत्वों का सफाया कर सकते हैं जो पाकिस्तान में न केवल अपनी जड़ें जमा चुके हैं, वरन पाक के कट्टरपंथी समाज का आधार स्तम्भ बन चु्के हैं? भारत पर जो हमला हुआ है वह क्या आईएसआई और उसके पैदा किए गए आतंकवादी संगठनों की मदद के बिना पूरा हो सकता था? भारत में जो आतंकवादी घटनाएँ होती हैं क्या वे अपने आप होती हैं? आज पाकिस्तान में यह स्थिति है कि प्रशिक्षित आतंकवादी संगठनों को आईएसआई या पाक सेना भी नियंत्रित नहीं कर सकती है। इसलिए यह नहीं माना जा सकता है कि लश्कर-ए-तोइबा, आईएसआई, पाकिस्तानी सेना और वहाँ की निर्वाचित सरकार के बीच किसी तरह के सीधे समीकरण हों, क्योंकि पाक सरकार का भी इन पर कोई सीधा नियंत्रण नहीं है। इसलिए पाकिस्तानी सरकार का सबसे बड़ा हथियार यही बन गया है कि अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई या दबाव का सामना करने के लिए भारत को युद्ध के लिए भड़का दिया जाए। इसलिए भारत के लिए इस मामले में सही रास्ता यही है कि वह अपने आंतरिक सुरक्षा उपायों को पुख्ता करे और पाकिस्तान को अपने यहाँ मौजूद आतंकवादी ढाँचों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई के लिए मजबूर करे। आक्रामकता को अभी इससे ज्यादा खींचना देश के लिए अच्छा नहीं रहेगा, क्योंकि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन, सेना और आईएसआई यही चाहते हैं कि भारत बौखलाकर हमला कर दे। अगर हम भी ऐसा करते हैं तो इससे पाकिस्तान में आतंकवादी तत्वों के ही मंसूबे पूरे हो जाएँगे।
1 comment:
लगता है गीदड़ शहर की तरफ भागने की सोच रहा है।
W.V. हटा लें तो अच्छा रहेगा।
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