Friday, July 3, 2009
आर्थिक सुधारों के नए दौर का संकेत
देश की आर्थिक व्यवस्था का सालाना लेखा-जोखा वार्षिक आर्थिक सर्वेक्षण केंद्र सरकार की नीतियों का पथ प्रदर्शक तो है ही, भले ही सर्वेक्षण में दिए गए सुझावों को पूरी तरह से लागू न किया जाए। इस लिहाज से संसद के बजट सत्र के पहले दिन पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण को सरकार के संभावित निर्णयों का आधार समझा जा सकता है। जहां सर्वेक्षण में आर्थिक विकास की दर में 2.1 प्रतिशत की गिरावट की आशंका जाहिर की गई है, वहीं इसके अधिक तर सुझाव विनिवेश, सब्सिडी घटाने और टैक्स नीति में सुधार से संबंधित हैं।सब्सिडी को लेकर पिछले कई वर्षो से सरकार के आर्थिक और राजनीतिक एजेंडे के बीच असमंजस रहा है। खाद, रसोई गैस, पेट्रोलियम पदार्थ आदि कुछ ऐसे उत्पाद हैं, जिन्हें वास्तविक लागत से कम पर ही बाजार में उपलब्ध कराया जाता रहा है। पेट्रोलियम पदार्थ के विक्रय दामों को लेकर तो कोई दूरगामी नीति बनाना आसान नहीं है और कुछ वर्ष पूर्व इन्हें डि-रेगुलेट करने के बाद सरकार ने फिर अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया था। अब इन्हें फिर बाजार के अनुसार रखे जाने की सिफारिश की गई है।विनिवेश के जरिए 25,000 करोड़ रुपए अर्जित करने के लक्ष्य को पूरा करने के सुझावों में कोयला खान, बैंक व बीमा क्षेत्र में बाहरी निवेश बढ़ाने के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र की नवरत्न कंपनियों में 5-10 प्रतिशत का विनिवेश और घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की नीलामी शामिल हैं।साथ ही, अनलिस्टेड सरकारी कंपनियों को लिस्टेड करने का सुझाव भी आर्थिक पारदर्शिता की ओर एक कदम है। सार्वजनिक क्षेत्र में विदेशी और निजी निवेश की राह भी कांटों भरी है। इसके बावजूद यूपीए सरकार अपनी मजबूती के बल पर इस सर्वेक्षण के कई सुझावों पर अमल करेगी, ऐसा समझा जा सकता है। टैक्स संरचना में सुधार के कई सुझावों को लागू करने पर भी विचार हो रहा होगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। नए आयकर कोड और एफबीटी पर पुनर्विचार आदि को लेकर आगामी बजट में आम नागरिक राहत की उम्मीद करते हैं।अंतरराष्ट्रीय आर्थिक परिदृश्य, कच्चे तेल, विदेशी मुद्रा व सोने की कीमतों में आने वाले परिवर्तनों के मद्देनजर तमाम सिफारिशों और निर्णयों में आने वाले समय में परिवर्तन होते रहेंगे, पर अगले एक साल का आर्थिक एजेंडा निश्चय ही सुधारवादी है और यदि व्यापक तौर पर इसे लागू किया गया तो यह आर्थिक सुधारों की दिशा में 1991-95 के बाद दूसरा बड़ा कदम होगा।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment