भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के एक सर्वेक्षण के अनुसार पिछले साल अगस्त से अक्टूबर महीने के बीच निर्यात आधारित कंपनियों में 65 हजार से ज्यादा लोगों की नौकरियाँ गईं। ये सर्वेक्षण मात्र 121 कंपनियों में हुई छटनी का है, अगर पूरे निर्यात क्षेत्र की बात करें तो बताया जाता है कि कम से कम 50 लाख लोगों को आर्थिक मंदी के चलते अपनी नौकरी गँवानी पड़ी है। ये आँकड़ा उन लोगों का बताया जाता है जो इस क्षेत्र से सीधे जुडें हैं, लेकिन परोक्ष रुप से जुड़े लोगों की संख्या जो आर्थिक मंदी से प्रभावित हुए हैं और अपने रोजगार खो बैठे हैं, इस आँकडें में जो़ड़ दी जाए तो ये संख्या कहीं ज्यादा है। निर्यात क्षेत्र में रोजगार जाने या कम होने की बात की जाए तो कपड़ा, चमड़ा, आभूषण, हथकरघा और सूचना प्रद्योगिकी जैसे उद्योग सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
कपड़ा उद्योग: भारत में निर्यात क्षेत्र में सबसे बड़ा उद्योग कपड़ा उद्योग है। भारतीय निर्यात संगठन के संयोजक सुभाष मित्तल का कहना है कि हालात अभी सुधरे नहीं हैं, बल्कि और बिगड़ने का डर है।
अंकुर वत्स का कहना है, 'कहा जा रहा है कि कपड़ा उद्योग में 50 लाख लोगों की नौकरियाँ गई हैं। लेकिन कम से कम लगभग 10 लाख नौकरियाँ इस क्षेत्र में गई ही हैं। इसकी वजह है अंतरराष्ट्रीय बाजार में माँग कम हुई है और जो माँग है भी वो सस्ती दरों पर है। मतलब है कि लागत ज्यादा है और माँग है नहीं नतीजा, उद्योगों को अपनी लागत नीचे लाने के लिए कदम उठाने पड़ रहे हैं।' इस उद्योग में बड़ी तादाद में लोगों ने रोजगार खोए हैं और जिन लोगों ने रोजगार खोए हैं, उसमें सबसे बड़ी संख्या आम मजदूर की है। ऐसा क्यूँ है कि आर्थिक मंदी की मार भी सबसे पहले उस पर पड़ी जिसमें ये मार झेलने की सबसे कम क्षमता है।अंकुर कहते हैं, 'कोई भी उद्योग पिरामिड की तरह काम करता है, और जब उद्योग के पास काम नहीं होता तो सबसे पहले मजदूर की ही नौकरी जाती है, क्योंकि मजदूरों की जो भी तादाद हो आपको मैनेजर, क्वालिटी मैनेजर जैसे लोग तो रखने ही होते हैं, तो पहली मार मजदूरों पर ही पड़ती है।'
निर्यात क्षेत्र: निर्यात क्षेत्र से जुड़े जहाँ लाखों ऐसे लोग हैं जिनपर आर्थिक मंदी की मार पड़ी है, वहीं ऐसे लोग भी हैं जो सीधे तौर पर तो इस क्षेत्र से जुडे उद्योगों में काम नहीं करते हैं पर उनकी जीविका इस क्षेत्र से आती है।
निर्यात क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण उद्योग है आभूषण उद्योग। राजीव शर्मा जो आभूषण तैयार करने वाली एक पूरी फैक्ट्री चलाते हैं कहते हैं कि किस तरह से एक छोटी सी मोतीयों की माला बनाने में या फिर कोई शो पीस बनाने में कितने लोग शामिल होते हैं। राजीव शर्मा बताते हैं कि कुछ लोग तो सीधे उनके कारखाने में आकर काम करते हैं, लेकिन आभूषण उद्योग में काफी काम ऐसा होता है जो गाँवों में वो परिवार करते हैं जिनका ये पुश्तैनी काम है। आर्थिक मंदी के चलते आभूषणों की माँग में भारी गिरावट आई है और परिणाम स्वरुप जहाँ लोगों के रोजगार गए जो सीधे कारखाने में काम करते हैं वहीं ऐसे हजारों परिवारों की जीविका छिन गई है जो पुश्तैनी काम के तौर पर आर्डर पर काम करते हैं। निर्यात क्षेत्र पर आर्थिक मंदी और उसके प्रभाव के चलते इस क्षेत्र में रोजगार जाने की बात हो और सूचना प्रद्योगिकी की बात ना तो बात अधूरी रह जाएगी।
सूचना प्रद्यओगिकी: आईटी बूम ने भारत के लाखों नौजवानो को हजारों सपने दिए, लाखों नौजवानों के सपने पूरे भी हुए। जब तक आर्थिक मंदी की मार शुरु नहीं हुई थी। इस क्षेत्र में नौ प्रतिशत प्रति तिमाही रोजगार बढ़ रहे थे जो अब घट कर 2.3 प्रतिशत रह गया है। मोहित पति ने जब सॉफ्टवेयर इंजिनयरिंग की पढ़ाई शुरु की थी तो सपने कुछ और ही थे और सपने लगभग हकिकत में बदल ही गए थे पर फिर आर्थिक मंदी की ऐसी नजर लगी की बस सब कुछ मिनट में काफूर हो गया। वो कहते हैं, 'मै जब अपने अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहा था तो मुझे एचसीएल में प्लेसमेंट मिल गई थी पर जब मेरी पढ़ाई पूरी हुई तो आर्थिक मंदी का दौर शुरु हो गया और हमारी ज्वाईनिंग की तारिख टलती गई। एक साल हो चुका है, अब मैं एमबीए की तैयारी कर रहा हूँ, शायद इसका बाद कोई अच्छी नौकरी मिल जाए।' कुल मिलाकर हालात सूचना प्रद्योगिकी क्षेत्र के भी अभी अच्छे नहीं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में हालात अच्छे नहीं हैं। जब तक हालात ना सुधरें तब तक क्या किया जाए। निर्यात क्षेत्र के लोगों ने सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं। सरकार ने आश्वासन दिए हैं। पर इस क्षेत्र से जु़ड़े एक व्यक्ति ने कहा कि निर्यात का क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद का मामूली हिस्सा है। सरकार की प्राथमिकताओं में उसका नंबर काफी नीचे है।
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