rashtrya ujala

Sunday, November 9, 2008

हर रोग में कारगर हौम्योपैथी



होम्योपैथी में अनेक मानसिक रोगों के कारगर उपचार हैं। मानसिक रोगों के विभिन्न लक्षणों के निदान के लिए किसी योग्य डॉक्टर से होम्योपैथिक दवाएँ ली जा सकती हैं। अनियमित जीवनशैली के कारण मानसिक रोगियों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है। नींद न आना, थकान होना, सिर, छाती और पेट में दर्द की शिकायत होना, भूख न लगना या ज्यादा लगना, वजन का घटना या बढ़ना, दाम्पत्य जीवन में शारीरिक तथा मानसिक दोनों ही स्तरों पर असंतोष की भावना आदि इन मानसिक रोगियों के लक्षण हैं।
* एकोनाइट नैपलस 30- दवा का सेवन उन रोगियों को आराम पहुँचाता है, जिन्हें बेचैनी, छटपटाहट, चलने-फिरने में डर तथा हर समय मृत्यु का डर महसूस होता है। ऐसे रोगी, जिन्हें तेज प्यास लगती है, अंतर्दाह महसूस होता है, परंतु कपड़े उतारते ही सर्दी लगने लगती है,के लिए भी इस दवा का प्रयोग किया जाता है। पसीना न आना, नाड़ी तेज चलना और त्वचा का रुखापन भी इन मरीजों में दिखाई देता है।
* औरम मैट 30- दवा उन लोगों के लिए उपयोगी है, जो जीवन से हताश तथा सुस्त होते हैं। ऐसे लोग आत्महत्या की प्रबल इच्छा भी रखते हैं। ऐसा रोगी सवाल पर सवाल करता है, उत्तर के लिए एक क्षण भी नहीं रुकता। रोगी अक्सर रोता भी है। ऐसा रोगी धर्म संबंधी बातें करता है और एक ही रूप में प्रार्थना करता है।
* आर्सेनिक एल्बम 30- दवा का प्रयोग उन रोगियों के लिए किया जाना चाहिए, जो बेचैनी, शरीर में दाह और अत्यधिक प्यास महसूस करते हैं। इन रोगियों का रोग प्रायः आधी रात के बाद बढ़ता है। ये रोगी पूरी रात करवटें बदलते हैं। रोगी की नाक से गर्म पानी निकलता है, पसीना आता है तथा थोड़े-थो़ड़े पानी की प्यास भी लगती है। ऐसा मरीज हमेशा बेचैन रहता है और शारीरिक रूप से कमजोर भी होता है।
* नैट्रम म्यूर 200- दवा ऐसे लक्षणों में कारगर है, जिनमें रोगी मामूली-सी बातों पर भी चिल्लाकर रोने लगता है। अच्छा खाने पर भी वजन कम होना, ऐसा सिरदर्द होना मानो सिर पर कोई हथौड़े मार रहा हो तथा ऐसा महसूस होना, जैसे जीभ पर कोई बाल आ पड़ा हो जैसे लक्षण होने पर यह दवा फायदेमंद है।
ऐसा रोगी यदि बुजुर्ग है तो वह उदास और रोता रहता है। समझाने पर ये और दुखी हो जाते हैं। ऐसे रोगी नींद से उठकर चलने लगते हैं। उनमें खटाई और नमक खाने की प्रबल इच्छा होती है।
* इग्निशिया अमारा 200- उन रोगियों को दी जाती है, जो उदास और शोकाकुल रहते हैं। ये रोगी किसी से कुछ नहीं कहते और एकांत तथा चुपचाप रहना पसंद करते हैं। ये रोगी कभी हँसते हैं और कभी रोने लगते हैं। तम्बाकू के धुएँ से ऐसे रोगियों का सिरदर्द होने लगता है। भरपेट भोजन करने पर भी इन्हें पेट खाली लगता है।
* स्टैफिसेग्रिया 200- दवा से वे रोगी ठीक होते हैं, जो हमेशा उत्तेजित, चिड़चिड़े, क्रोधी तथा असंतुष्ट रहते हैं। अन्य लक्षण भी हैं जैसे किसी के द्वारा अपमानित होने पर, बार-बार उसी घटना को सोचते रहना, वीर्यस्राव, हर समय यौन संबंधों की बातें करना और सोचना।
* नक्स वोमिका 200- दवा उन रोगियों को आराम देती है, जो क्रोधी, ईर्ष्यालु, कलहप्रिय, दुबला-पतला शराबी तथा आलसी होते हैं। ऐसे रोगी बवासीर तथा कब्ज से ग्रस्त होते है

3 comments:

yousuf said...

very usefull

Anjali said...

good informatio....

Anonymous said...

mera ling chhota hai mai kya karu koi upay batlaye