rashtrya ujala

Thursday, November 27, 2008

ऑटो ड्राइवर विधायक बनने की दौड़ में

सुनीता दिल्ली की एकमात्र महिला ऑटो ड्राइवर हैं और अब वे विधायक बनना चाहती हैं। पैंथर्स पार्टी की ओर से वे बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार वीके मल्होत्रा के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं।


सुनीता कहती हैं बीजेपी और कांग्रेस ने बिलकुल विकास कार्य नहीं किया। इस बार भी जो उम्मीदवार मैदान में हैं, वे स्थानीय नहीं हैं। मल्होत्रा दूसरे इलाके में रहते हैं और कांग्रेस के जितेंद्र कुमार भी ग्रेटर कैलाश के रहने वाले नहीं हैं। मैं स्थानीय उम्मीदवार हूँ। मुझे आम जनता का समर्थन हासिल है। वैसे इस ऑटो रिक्शा ड्राइवर के जीतने की उम्मीद कम ही दिखती है, लेकिन ये जरूर है कि चुनाव प्रचार के दौरान लोग उनकी तरफ आकर्षित जरूर होते हैं। असल में दिल्ली के चुनावों में पैंथर्स पार्टी ने ऐसे ही उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जो वोट न सही तो कम से लोगों को अपनी ओर खींच जरूर सकें।

मसलन, पार्टी के हर्ष मल्होत्रा ने अपनी ही बीवी से छह बार शादी की है और भगवान शिव की तरह सात बार अपनी ही बीवी से शादी करना चाहते हैं। इसी तरह पार्टी ने दो ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं, जो सबसे युवा पुरुष और महिला उम्मीदवार हैं। सुनीता से यह पूछे जाने पर कि क्या उनके जीतने की उम्मीद है, वे सकारात्मक जवाब देते हुए कहती हैं कोई नहीं जानता, कौन जीतेगा। जनता जिसे चाहेगी, वह जीतेगा। मैं तो संघर्ष कर रही हूँ जीतने के लिए। आज नहीं तो कल मैं विधानसभा में जरूर जाऊँगी। वे बताती हैं मैं लाइसेंस के लिए तीन साल तक दौड़ती रही, लेकिन कोई मेरे कागजों पर हस्ताक्षर नहीं करता था। फिर जब मैंने हाईकोर्ट जाने की चेतावनी दी, तब कहीं जाकर मुझे कमर्शियल लाइसेंस मिला। सुनीता ऑटो चलाकर खुश हैं और कहती हैं कि उनके साथ सफर के दौरान महिला और पुरुष सवारियाँ सवाल बहुत करते हैं। वे बताती हैं पहले तो लोग मुझे ध्यान से देखते हैं, थोड़ा आश्चर्यचकित होते हैं फिर पूछने लगते हैं क्यों ये काम करती हो, कैसे करती हो और इसी बातचीत में रास्ता कट जाता है। सुनीता करीब सौ महिलाओं को ऑटो चलाने की ट्रेनिंग भी दे रही हैं और उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में दिल्ली की सड़कों पर कई और महिला ऑटो ड्राइवर भी होंगी।

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