थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर एक नवंबर को समाप्त सप्ताह में इससे पिछले सप्ताह की तुलना में 1.74 प्रतिशत की जबरदस्त गिरावट के साथ 8.98 प्रतिशत अंक पर आ गई। इससे पिछले सप्ताह यह 10.72 प्रतिशत पर थी। लगातार पाँच सप्ताह तक गिरावट के रुख में रही मुद्रास्फीति की दर में 25 अक्टूबर को मामूली मजबूती आई, लेकिन 01 नवंबर को समाप्त सप्ताह में कई आवश्यक वस्तुओं के दाम गिरने के बाद इस दर में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई।इस दौरान सभी उपभोक्ता वस्तुओं का आधिकारिक थोक मूल्य सूचकांक 1।3 प्रतिशत गिरकर 235।5 अंक पर आ गया, जो पिछले सप्ताह 238.5 अंक था। पिछले साल इसी अवधि में मुद्रास्फीति की दर 3.35 प्रतिशत पर थी।
रुपया 13 साल के सबसे निम्न स्तर पर
रुपया 13 साल के सबसे निम्न स्तर पर
देश के शेयर बाजारों में भारी बिकवाली से विदेशी निवेशकों के धन निकालने की संभावनाओं के बीच अंतरबैंकिंग मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपए में बुधवार को पिछले करीब 13 वर्ष की सर्वाधिक गिरावट दर्ज की गई।कारोबार की समाप्ति पर एक डॉलर की कीमत मंगलवार के 48।1250-48.1400 की तुलना में एक रुपए 18 पैसे अर्थात 2.4 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि के साथ 49.30-49.32 पर पहुँच गई। पाँच दिसंबर 1996 के बाद यह पहला मौका है, जब डॉलर के मुकाबले रुपए में प्रतिशत के लिहाज से इतनी अधिक गिरावट आई है। सत्र के प्रारंभ से ही डॉलर के मुकाबले रुपया भारी दबाव में था। कारोबार की शुरुआत में एक डॉलर की कीमत 48।58 से ऊपर खुली थी। देश के शेयर बाजारों में पिछले दो दिन से भारी बिकवाली बनी हुई है। दो दिन के कारोबार में बंबई शेयर बाजार के सेंसेक्स में एक हजार अंक से अधिक की गिरावट आ चुकी है।
औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि
औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि
वैश्विक मंदी के बीच देश में त्यौहारी मौसम के दौरान उपभोक्ता वस्तुओं की माँग में सुधार के परिणास्वरुप सितम्बर-08 में औद्योगिक उत्पादन में अगस्त के 1।4 प्रतिशत की तुलना में 4.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। हालाँकि यह वृद्धि पिछले साल सितम्बर के सात प्रतिशत की तुलना में कम है। अगस्त के प्रारंभिक आँकड़ों में औद्योगिक उत्पादन की बिक्री 1.3 प्रतिशत दर्शाई गई थी। अब इसे संशोधित कर 1.4 प्रतिशत किया गया है।
औद्योगिक उत्पादन के आज जारी आँकड़ों के मुताबिक माह के दौरान उपभोक्ता वस्तुओं, उपभोक्ता टिकाऊ, उपभोक्ता गैर टिकाऊ और खनन क्षेत्र का प्रदर्शन पिछले साल की तुलना में बेहतर रहा। माह के दौरान कारखाना उत्पादन की वृद्धि दर पिछले साल के 7।45 प्रतिशत की तुलना 4.8 प्रतिशत रही। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार 4.9 प्रतिशत रही। सितम्बर-08 में उपभोक्ता वस्तुओं के उद्योग में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पिछले साल इस दौरान यह 0.2 प्रतिशत नकारात्मक थी। उपभोक्ता टिकाऊ उद्योग भी पिछले साल सितम्बर में 7.3 प्रतिशत नकारात्मक रहा था, जबकि इस बार इसमें 13.1 प्रतिशत की वृद्धि रही।
गैर टिकाऊ क्षेत्र की वृद्धि रफ्तार 2.6 प्रतिशत के मुकाबले 2.8 प्रतिशत और पूँजीगत वस्तुओं के क्षेत्र की रफ्तार 20.9 प्रतिशत से घटकर 18.8 प्रतिशत रही। खनन क्षेत्र में 5.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि पिछले साल यह 4.9 प्रतिशत थी। बिजली क्षेत्र की वृद्धि गत वर्ष के साढे़ चार प्रतिशत की तुलना में मामूली घटकर 4।4 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2007-08 में औद्योगिक उत्पादन की गति 8।1 प्रतिशत, जबकि 2006-07 में यह दहाई अंक 11.6 प्रतिशत थी।
सुनामी से भी बड़ा है आर्थिक संकट
औद्योगिक उत्पादन के आज जारी आँकड़ों के मुताबिक माह के दौरान उपभोक्ता वस्तुओं, उपभोक्ता टिकाऊ, उपभोक्ता गैर टिकाऊ और खनन क्षेत्र का प्रदर्शन पिछले साल की तुलना में बेहतर रहा। माह के दौरान कारखाना उत्पादन की वृद्धि दर पिछले साल के 7।45 प्रतिशत की तुलना 4.8 प्रतिशत रही। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार 4.9 प्रतिशत रही। सितम्बर-08 में उपभोक्ता वस्तुओं के उद्योग में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पिछले साल इस दौरान यह 0.2 प्रतिशत नकारात्मक थी। उपभोक्ता टिकाऊ उद्योग भी पिछले साल सितम्बर में 7.3 प्रतिशत नकारात्मक रहा था, जबकि इस बार इसमें 13.1 प्रतिशत की वृद्धि रही।
गैर टिकाऊ क्षेत्र की वृद्धि रफ्तार 2.6 प्रतिशत के मुकाबले 2.8 प्रतिशत और पूँजीगत वस्तुओं के क्षेत्र की रफ्तार 20.9 प्रतिशत से घटकर 18.8 प्रतिशत रही। खनन क्षेत्र में 5.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि पिछले साल यह 4.9 प्रतिशत थी। बिजली क्षेत्र की वृद्धि गत वर्ष के साढे़ चार प्रतिशत की तुलना में मामूली घटकर 4।4 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2007-08 में औद्योगिक उत्पादन की गति 8।1 प्रतिशत, जबकि 2006-07 में यह दहाई अंक 11.6 प्रतिशत थी।
सुनामी से भी बड़ा है आर्थिक संकट
मालदीव के नए विदेशमंत्री डॉक्टर अहमद शहीद ने कहा है कि नए राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के समक्ष सबसे गंभीर चुनौती आर्थिक संकट हैं, जिससे निपटने के लिए सरकार विश्वभर के अपने सहयोगियों की मदद लेगी। डॉक्टर शहीद ने राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के शपथ लेने के बाद कहा कि सुनामी के बाद देश में पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिसके कारण दस करोड़ डॉलर का बजटीय घाटा हुआ था, लेकिन आज की स्थिति सुनामी से भी ज्यादा गंभीर है। यह घाटा बढ़कर करीब 40 करोड़ डॉलर से भी अधिक तक पहुँच गया है, जो कुल बजट का करीब 20 प्रतिशत है। शहीद ने कहा कि किसी भी देश के बजट का 20 प्रतिशत बजटीय घाटा होना कितनी गंभीर समस्या हो सकती है, यह आसानी से समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इतने अधिक घाटे का अंदाजा गत वर्ष के मध्य में ही हो गया था। उन्होंने कहा कि मालदीव अपने सहयोगी राष्ट्रों की मदद ले सकता है। उन्होंने कहा कि केवल मदद से ही समस्या का हल संभव नहीं है, इसलिए सरकार अपने खर्चों में अधिक से अधिक कमी लाएगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति भवन छोड़कर किसी सामान्य घर में रहने का निर्णय भी इसी कारण लिया गया है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले सरकार ही अपने खर्चों में कटौती करते हुए मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या में 70 से 80 प्रतिशत तक कटौती कर सकती है। पिछली सरकार में कुल मिलाकर 125 मंत्री थे।
निर्यात में चीन को पछाड़ा भारत ने
निर्यात में चीन को पछाड़ा भारत ने
वर्ष 2007-08 के दौरान बांग्लादेश को निर्यात के मामले में भारत ने चीन को पछाड़ दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने बांग्लादेश को भारत से चावल आयात करने के लिए मजबूर कर दिया। इससे बांग्लादेश को भारत का निर्यात चीन से अधिक हो गया। पिछले दो वर्ष से बांग्लादेश को चीन का निर्यात भारत से अधिक रहा था। वर्ष 2007-08 के दौरान बांग्लादेश को चीन का निर्यात 3.1 अरब डॉलर का रहा, जबकि भारत ने इसी अवधि में 3.4 अरब डॉलर का निर्यात किया। इसी अवधि में बांग्लादेश ने भारत से 87 करोड़ 40 लाख डॉलर का चावल खरीदा, जबकि इससे पिछले वर्ष यह आँकड़ा 18 करोड़ डॉलर का था। इस वर्ष देश में बाढ़ से लगभग 20 लाख टन चावल की फसलें बरबाद हो गई। भारत से बांग्लादेश खाद्य पदार्थ, कपड़ा और मशीनरी आयात करता है, जबकि चीन से वह कपड़ा, मशीनरी और रसायन मँगाता है।
वित्तीय प्रणाली में बदलाव चाहता है ईयू
वित्तीय प्रणाली में बदलाव चाहता है ईयू
फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने कहा है कि अगले हफ्ते वाशिंगटन में होने वाली समूह-20 देशों की बैठक में यूरोपीय संघ वैश्विक वित्तीय प्रणाली में बदलाव किए जाने पर जोर देगा। सरकोजी ने 27 देशों की बैठक के दौरान कहा कि वह और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि इस वैश्विक आर्थिक मन्दी के संकट से कैसे निपटा जाए।
उन्होंने कहा कि सभी देशों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि वॉशिंगटन में होने वाली अहम बैठक में सख्त और दूरगामी निर्णय लिए जाए। वित्तीय प्रणाली के मौजूदा तन्त्र के नियमों को बदले जाने की जरूरत है। सरकोजी ने बताया कि यूरोपीय देशों के नेताओं ने फ्रांस के उस पाँच सूत्री कार्यक्रम का समर्थन किया है, जिसमें अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के लिए मजबूत भूमिका निभाने और वित्तीय आकलन करने वाली एजेंसियों पर निगरानी की बात कही गई है। सरकोजी ने कहा कि 15 नवंबर से वाशिंगटन में होने वाली बैठक में कई ठोस प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा और अगले सौ दिनों में होने वाली दूसरी शिखर बैठक में इसकी समीक्षा की जाएगी। उधर मर्केल ने कहा कि हम संकट समाप्त होने के लिए दूसरे वर्ष का इंतजार नहीं कर सकते हैं। ब्रिटिश प्रधानमंत्री गोर्डन ब्राउन ने सरकोजी के इस सुझाव का समर्थन करते हुए कहा कि यह समय आईएमए जैसी संस्थाओं में सुधार करने का है और सभी देशों की सरकारों को इस हफ्ते कर्जों में कटौती करने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह समय लघु स्तर के निवेश में कटौती करने का नहीं है और इस बात पर सहमति बन गई है कि आर्थिक वृद्वि को बनाए रखने के लिए वित्तीय नीतियों को मौद्रिक नीतियों के अनुरूप काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सभी देशों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि वॉशिंगटन में होने वाली अहम बैठक में सख्त और दूरगामी निर्णय लिए जाए। वित्तीय प्रणाली के मौजूदा तन्त्र के नियमों को बदले जाने की जरूरत है। सरकोजी ने बताया कि यूरोपीय देशों के नेताओं ने फ्रांस के उस पाँच सूत्री कार्यक्रम का समर्थन किया है, जिसमें अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के लिए मजबूत भूमिका निभाने और वित्तीय आकलन करने वाली एजेंसियों पर निगरानी की बात कही गई है। सरकोजी ने कहा कि 15 नवंबर से वाशिंगटन में होने वाली बैठक में कई ठोस प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा और अगले सौ दिनों में होने वाली दूसरी शिखर बैठक में इसकी समीक्षा की जाएगी। उधर मर्केल ने कहा कि हम संकट समाप्त होने के लिए दूसरे वर्ष का इंतजार नहीं कर सकते हैं। ब्रिटिश प्रधानमंत्री गोर्डन ब्राउन ने सरकोजी के इस सुझाव का समर्थन करते हुए कहा कि यह समय आईएमए जैसी संस्थाओं में सुधार करने का है और सभी देशों की सरकारों को इस हफ्ते कर्जों में कटौती करने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह समय लघु स्तर के निवेश में कटौती करने का नहीं है और इस बात पर सहमति बन गई है कि आर्थिक वृद्वि को बनाए रखने के लिए वित्तीय नीतियों को मौद्रिक नीतियों के अनुरूप काम करना चाहिए।
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