यह कोई पहला मौका नहीं है जिसमें हिन्दुत्व की रक्षा करने का दावा करने वाले संगठन आतंकी
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केंद्र सरकार के पास जो भी सबूत थे, उनके आधार पर उसने सिमी के खिलाफ रोक जारी रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिए। कुछ पार्टियों ने रोक को हटाए जाने की माँग करके गलत काम किया है। गैरकानूनी गतिविधियों (की रोकथाम) के कानून के अंतर्गत 2004 में संशोधित की गई सूची में शामिल 32 संगठनों में सिमी के साथ-साथ लश्करे-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद, हिज्ब-उल-मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी गुटों के अलावा खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन, बब्बर खालसा इंटरनेश्नल आदि संगठन भी शामिल हैं। आज जब बजरंग दल और दूसरे ऐसे संगठनों के खिलाफ साफ देखे जा सकने वाले प्रमाण मौजूद हैं तो केंद्र सरकार को उनके विरुद्ध भी ऐसे ही कदम उठाने चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई जितनी राजनीतिक है उतनी ही प्रशासनिक भी है। इसका आधार लोगों की एकजुटता होना चाहिए। हालांकि ये संगठन इस या उस धर्म के नाम पर काम करते हैं, हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही समुदायों के ज्यादातर लोग ऐसी हिंसा के खिलाफ हैं जिसमें निर्दोष लोग मारे जाते हैं। यही हमारे देश की वास्तविक शक्ति है। आतंकवाद को किसी धर्म विशेष से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। आतंकवाद के विरुद्ध भारत को एकजुट करना है तो धर्मनिरपेक्षता की राजनीति जरूरी है।
5 comments:
देश में बहुत से शहरों में विस्फोट हुए हैं. जांच चल रही है. जांच पूरी होने पर मामला अदालत में जायेगा. अदालत फ़ैसला करेगी. सब्र रखिये. जिन्होनें अपराध किए हैं उन्हें देश के कानून के ख़िलाफ़ सजा मिलेगी.
अब रही कुछ संगठनों पर पाबंदी लगाने की बात. सरकार के पास अगर सबूत हैं तो पाबंदी लगाए. पर शायद ऐसा नहीं है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अनुसार पाबंदी लगाने के लिए जरूरी सबूत नहीं हैं. प्रधानमन्त्री का भी यही कहना था. राष्ट्रीय एकता परिषद् की मीटिंग में सरकार ने आतंकवाद को मुद्दा ही नहीं बनाया. यह तो आप भी जानते होंगे कि इस सरकार के पास अगर सबूत होते तो पाबन्दी बहुत पहले लग चुकी होती.
कुल मिलाकर इस मामले मैं जितनी बेशर्मी मीडिया ने दिखाई है वो गौर तलब है ...मान लिया जाये कि बम विस्फोट किये गये (जबकि अभी साबित हाना बाकि है)...फिर भी... जिस तरीके से मीडिया ने इस बात को बिलावजह हाईलाईट किया और संघ जैस राष्ट्रवादी संगठन को लपेटने की कोशिश की हैं वह निहायत ही शर्मनाक हैं....आज और संघ और विश्व हिंदु परिषद पर प्रतिबंध की मांग करने वालों ने कभी कम्यूनिस्ट पार्टियों पर प्रतिबंध की मांग की.... जो हत्यारे नक्सलियों को सरेआम समर्थन देते हैं...पिछले पचास साल के इतिहास मैं गिनकर चार घटनाएं गिनाई आपने जिनमें भी कोई सबूत नहीं मिला ...याने बहुत ही सामान्य सी घटनाएं ...जिनका कि रुख किसी भी तरफ मुङ सकता हैं ...को लेकर इतना बबाल क्या ये साबित नहीं करता कि भारतीय मीडिया एक कठपुतली बन चुका है ...जिसकी डोर कोई हिलाता हैं और कोी भी घटना को तिल का ताङ बनाया जा सकता हैं...इसलिए ये उजाला के नाम पर अंधेरा फैलाना बैद करें आप ...जनता बहुत समझदार है
thanks.....
जिन्हें धर्म कहा जा रहा है उन से निजात पानी होगी।
बहुत अच्छा िलखा है आपने । कई प्रश्नों को उठाकर प्रखर वैचािरक अिभव्यिक्त की है । अपने ब्लाग पर मैने समसामियक मुद्दे पर एक लेख िलखा है । समय हो तो उसे भी पढे और अपनी राय भी दें -
http://www.ashokvichar.blogspot.com
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