भारी सुरक्षा और घाटी में बंद के बीच रेल सेवा का उद्घाटन हुआ |
रेल लाइन पूरी होने में समय लगेगा
कश्मीर घाटी में ये पहली रेल सेवा है |
जब ये रेल लाइन वर्ष 2009 में पूरी तरह होगी तब ये भारत प्रशासित कश्मीर के उत्तरी हिस्से में बारामूला को दक्षिण में स्थित काज़ीगुंड तक जोड़ेगी. ये फ़ासला 117 किलोमीटर का होगा.शनिवार को फ़ूलों से सजाई गई ट्रेन में बच्चों में सफ़र किया. सामान्य रेल सेवा रविवार से शुरु होगी.इस ट्रेन की क्षमता 90 यात्रियों की है और इसमें आठ कोच हैं.अधिकारियों के अनुसार रेलगाड़ी की बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ विशेष पॉली-कारबोनेटिड शीट से बनाई गई हैं जो आम रेल की खिड़कियों की तरह टूट नहीं सकती है. ये भी बताया गया है कि इसके अंदर लगाए गए सामान में आग नहीं लगेगी.
इसके डीज़ल इंजन में बर्फ़ काटने के यंत्र भी लगे हुए हैं ताकि सर्दी के मौसम में भी रेल सेवा जारी रहे.
'सीमा पर पाबंदियाँ घटें':शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने बगलिहार परियोजना का उद्घाटन किया था. चनाब नदी पर बनी बगलिहार पनबिजली परियोजना राज्य को 450 मेगावाट बिजली देगी.इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा तो नहीं बदली जा सकती है पर सीमाओं पर लगी पाबंदियों को कम किया जा सकता है.उनका कहना था कि ऐसा करने से सीमाओं की अहमियत को कम किया जा सकता है.लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि ज़रूरी है कि पाकिस्तान के साथ एक दोस्ताना माहौल में बातचीत हो और उन सवालों के हल खोजने की कोशिश की जाए जो कश्मीर के सिलसिले में उठते हैं.उन्होंने ये भी कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लोगों से जो वादे किए हैं उन्हें पूरा किया जाएगा. साथ ही उनका कहना था कि कश्मीर के लोगों और इस क्षेत्र की अलग पहचान को बनाए रखने की बात ध्यान में रखी जाएगी.
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