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Saturday, October 11, 2008

घाटी में पहली रेल सेवा शुरु हुई

मनमोहन सिंह, श्रीनगर में घाटी की पहली रेल लाइन का उद्घाटन करते हुए
भारी सुरक्षा और घाटी में बंद के बीच रेल सेवा का उद्घाटन हुआ
भारत प्रशासित कश्मीर में हड़ताल के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कश्मीर घाटी की पहली रेल लाइन का उद्धाटन किया है. रेल लाइन के जिस हिस्से का उद्घाटन किया है वह 66 किलोमीटर लंबी है और बडगाम में राजवंशेर को अनंतनाग से जोड़ेगी.श्रीनगर के नौगाम स्टेशन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी और रेलमंत्री लालू यादव, लगभग सौ राजनीतिक नेता और पूर्व विधायक मौजूद थे.महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री की कश्मीर यात्रा के दौरान वहाँ पर अलगाववादी संगठनों ने हड़ताल बुलाई गई है और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हैं.शनिवार सुबह श्रीनगर के पुराने शहर के इलाक़े में पुलिस के वाहन गश्त लगा रहे थे, कर्फ़्यू की घोषणा कर दी गई और वहाँ आम जनता को घर से बाहर नहीं निकलने दिया गया. शुक्रवार दोपहर से ही सड़कों पर वाहनों की आवाजाही बंद है.ऐसा श्रीनगर में प्रदर्शनों को रोकने के लिए किया गया है. शुक्रवार को नौहाटा में लोगों ने प्रदर्शन किया था और पुलिस फ़ायरिंग में दो लोग मारे गए थे जबकि कई अन्य घायल हो गए थे.

रेल लाइन पूरी होने में समय लगेगा


कश्मीर में रेल
कश्मीर घाटी में ये पहली रेल सेवा है

जब ये रेल लाइन वर्ष 2009 में पूरी तरह होगी तब ये भारत प्रशासित कश्मीर के उत्तरी हिस्से में बारामूला को दक्षिण में स्थित काज़ीगुंड तक जोड़ेगी. ये फ़ासला 117 किलोमीटर का होगा.शनिवार को फ़ूलों से सजाई गई ट्रेन में बच्चों में सफ़र किया. सामान्य रेल सेवा रविवार से शुरु होगी.इस ट्रेन की क्षमता 90 यात्रियों की है और इसमें आठ कोच हैं.अधिकारियों के अनुसार रेलगाड़ी की बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ विशेष पॉली-कारबोनेटिड शीट से बनाई गई हैं जो आम रेल की खिड़कियों की तरह टूट नहीं सकती है. ये भी बताया गया है कि इसके अंदर लगाए गए सामान में आग नहीं लगेगी.

इसके डीज़ल इंजन में बर्फ़ काटने के यंत्र भी लगे हुए हैं ताकि सर्दी के मौसम में भी रेल सेवा जारी रहे.

'सीमा पर पाबंदियाँ घटें':शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने बगलिहार परियोजना का उद्घाटन किया था. चनाब नदी पर बनी बगलिहार पनबिजली परियोजना राज्य को 450 मेगावाट बिजली देगी.इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा तो नहीं बदली जा सकती है पर सीमाओं पर लगी पाबंदियों को कम किया जा सकता है.उनका कहना था कि ऐसा करने से सीमाओं की अहमियत को कम किया जा सकता है.लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि ज़रूरी है कि पाकिस्तान के साथ एक दोस्ताना माहौल में बातचीत हो और उन सवालों के हल खोजने की कोशिश की जाए जो कश्मीर के सिलसिले में उठते हैं.उन्होंने ये भी कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लोगों से जो वादे किए हैं उन्हें पूरा किया जाएगा. साथ ही उनका कहना था कि कश्मीर के लोगों और इस क्षेत्र की अलग पहचान को बनाए रखने की बात ध्यान में रखी जाएगी.

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