rashtrya ujala

Monday, October 13, 2008

दो विमानन कंपनियों का होगा धरती पर मिलन!

पहले विमानन ईंधन की अधिक कीमतों और फिर अब वैश्विक आर्थिक मंदी की चपेट से देश की बड़ी विमानन कंपनियां भी बच नहीं पा रही हैं।

यही वजह है कि देश की सबसे बड़ी फुल-सर्विस विमानन कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमुख विजय माल्या और जेट एयरवेज के नरेश गोयल ने आज विमानन कंपनियों पर ईंधन की बढ़ती लागत का बोझ कम करने के लिए बंद कमरे में बातचीत की। उद्योग जगत में ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों विमानन कंपनियां मिलकर इस मसले पर एक गठजोड़ भी कर सकती हैं, जिसके तहत कंपनियों की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को मिलाया जा सके।किंगफिशर प्रमुख विजय माल्या सोमवार को जेट के अंधेरी स्थित मुख्यालय में नरेश गोयल से इस मसले पर बातचीत करने के लिए पहुंचे। विजय माल्या और नरेश गोयल की इस बैठक के लिए दोनों कंपनियों को हर रोज लगभग 20 करोड़ रुपये का नुकसान भी एक आम वजह है।विमानन कंपनियों को हो रहे नुकसान के चलते हाल ही में जेट एयरवेज ने अपनी मुंबई-सैन फ्रांसिस्को उड़ान को रद्द किया है और वह भी इस उड़ान के शुरू होने के सिर्फ 7 महीने बाद ही। इसी फेहरिस्त में विजय माल्या की किंगफिशर ने भी कई अंतरराष्ट्रीय मार्गों की उड़ानों को मंजूरी मिलने के बावजूद कुछ समय के लिए टाल दिया है।हाल ही में किंगफिशर ने अपने नियंत्रण वाली सस्ती उड़ान सेवा सिम्प्लीफाई डेक्कन को अपने ही ब्रांड तले किंगफिशर रेड के नाम से पेश किया है, वहीं जेट एयरवेज भी एयर सहारा को पिछले साल अप्रैल में जेट लाइट का जामा पहना चुकी है।इसी बात को देखते हुए विमानन उद्योग में ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि माल्या और गोयल की यह बातचीत गठजोड़ से आगे बढ़कर शायद विलय का रूप ले ले। जब जेट की प्रवक्ता को संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, 'हां, डॉ. माल्या और नरेश गोयल दोनों आज मिले थे।' यह पूछने पर कि वित्तीय दबाव से दो-दो हाथ करने के लिए दोनों कंपनियों की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं तो उन्होंने कहा, 'मैं अभी इस समय किसी भी मसले पर टिप्पणी नहीं करना चाहती।' उन्होंने दोनों कॉर्पोरेट प्रमुखों के बीच विलय पर बातचीत होने की संभावना पर किसी भी सवाल का जवाब देने से इंकार कर दिया। उड्डयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार किंगफिशर और किंगफिशर रेड (पहले एयर डेक्कन) और जेट एयरवेज और जेट लाइट अगर इन चारों कंपनियों को मिला दिया जाए तो इनकी भारतीय विमानन उद्योग में 58.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

No comments: