rashtrya ujala

Friday, October 31, 2008

क्या यह दोस्ती है ....? तेरा साथ देता है असीम सुख



'दोस्ती' और 'प्यार' में कहने को तो लफ्जों का ही अंतर है परंतु इनकी गुत्थमगुत्थी में दोस्ती कब प्यार बन जाती है और दोस्त कब प्रेमी, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। जिंदगी के हर मोड़ पर कई लोग हमसे टकराते हैं, उनमें से कुछ ऐसे होते है, जो हमारे दिल पर अपनी गहरी छाप छोड़ जाते हैं। ऐसे लोग हमारे दोस्त, प्रेमी या हमसफर बन जाते हैं। दोस्त का हमेशा साथ रहना धीरे-धीरे अच्छा लगने लगता है। कल तक हर वक्त झगड़ने वाला दोस्त अब हमें अच्छा लगने लगता है। उसकी डाँट में भी प्यार का एहसास छुपा होता है और वही एहसास हमारे दिल में जगह कर जाता है।

* दोस्त है मेरा हमराज :- हमारे दर्द का मरहम सच्चा दोस्त है। दोस्त ही हमें दु:ख-दर्दों के थपेड़ों से बचाकर हमें सुरक्षा प्रदान करता है। जो राज़ हम अपनों से नहीं कह पाते वह हम अपने दोस्त को बताकर उसके सामने एक खुली किताब से बन जाते हैं।


इस दुनिया में पति-पत्नी, माँ-बाप सभी मिल जाते हैं परंतु हमें समझने वाला एक अच्छा दोस्त बड़ी मुश्किल से मिलता है। जमाना भले ही इसे कुछ भी नाम दे पर दोस्ती की कोई परिभाषा नहीं होती।

ऐसा इसलिए होता है कि हमारा दोस्त ही हमें समझ सकता है। वही जानता है कि हमें किस चीज की कब जरूरत है। प्यारा सा लगने वाला यह 'हमराज' कब हमारा 'हमसफर' बन जाता है, पता ही नहीं चलता।
* जीवन भर बना रहे तेरा साथ :- बचपन और लड़कपन का यह साथ, जिसे हम दोस्ती कहते हैं, इतना अच्छा लगने लगता है कि इस रिश्ते को जीवनभर निभाने का दिल करता है। जो दोस्त बनकर अब तक हमारे साथ चल सकता है। वो अगर 'हमसफर' बनकर जीवनभर हमारा साथ भी निभाए तो इसमें हर्ज ही क्या है?
* सच्चा दोस्त नहीं मिलता :- इस दुनिया में पति-पत्नी, माँ-बाप सभी मिल जाते हैं परंतु हमें समझने वाला एक अच्छा दोस्त बड़ी मुश्किल से मिलता है। जमाना भले ही इसे कुछ भी नाम दे पर दोस्ती की कोई परिभाषा नहीं होती। इस रिश्ते में दिखावे का कोई काम नहीं होता। इसे तो दिल से जिया जाता है।

1 comment:

समयचक्र said...

समझने वाला एक अच्छा दोस्त बड़ी मुश्किल से मिलता है.
sach hai sahamat hun. bahut badhiya dhanyawad.