वे यह कैसे कह सकती हैं कि भारत तथा चीन के लोगों की खुराक में सुधार के कारण विश्व में खाद्यान्न संकट पनपा है। उनकी टिप्पणी में दोनों देशों की सरकारों पर किया गया यह कटाक्ष भी उतना ही अपमानजनक है कि खुराक में सुधार को देखते हुए दोनों सरकारें खाद्यान्न एकत्र करने में जुटी हैं इसलिए दुनिया में खाद्यान्न कम पड़ रहा है।
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धन्यवाद मैडम कोंडालिजा राइस आपके सत्य ने विकासशील देशों और उनके नागरिकों की आँखें खोल दी हैं जो अब तक अमेरिकी मदद को मानवता की सेवा समझ रहे थे। जो अमेरिकी सहानुभूति को ताकतवर की संवेदनशीलता मान रहे थे। जो अमेरिका के साथ खड़े होकर यह समझते थे कि वे भी मानवता, उसके अधिकार की रक्षा की प्रतिबद्धता के साथ खड़े हैं। अच्छा हुआ एक बयान ने उनकी आँखें खोल दीं। अब भी जिनकी आँखें न खुलें, उनके लिए यह बहस व्यर्थ है। उनके लिए चेतावनी भी व्यर्थ है। लेकिन जिनकी आँखें खुली हैं, वे ठोकर को यूँ ही स्वीकार कैसे कर सकते हैं? अस्मिता के दीवानों के लिए यह गंभीर मुद्दा गौरतलब है। उम्मीद है कि भारत सरकार अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडालिजा राइस के बयान का इतना कड़ा विरोध तो करेगी कि राइस मैडम कम से कम बयान वापस तो ले लें। इतना नहीं तो बयान का वह अर्थ ही जाहिर कर दें जो उन्होंने बोलने के पहले तय किया था। इतना भी नहीं तो बयान को तोड़ने-मरोड़ने का ठीकरा मीडिया के सिर ही फोड़ दें। खालिस भारतीय राजनीतिज्ञों के अंदाज में। कम से कम, कुछ तो करें ताकि उन्हें भी अहसास हो कि जो कुछ उन्होंने कहा वह गलत है।
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