सिस्टर अल्फ़ोंज़ा संत बननेवाली पहली भारतीय महिला मानी जा रही ह |
भारत के दक्षिणा राज्य केरल की नन सिस्टर अल्फ़ोंज़ा को वेटिकन में पोप ने रविवार को संत की उपाधि प्रदान की है.:लगातार बीमार रहने की वजह से सिस्टर अल्फ़ोंज़ा की कम उम्र में ही मृत्यु हो गई थी.इसके साथ ही वो भारत की पहली महिला ईसाई संत बन गई हैं. उन्हें मदर टेरेसा से पहले यह उपाधि दी गई है.इससे पहले भारत में 19वीं सदी में मुंबई के नज़दीक जन्मे सेंट गोंसालो गार्सिया को संत की उपाधि मिली थी.सिस्टर अल्फ़ोंज़ा का जन्म 1910 में हुआ था और 36 वर्ष की उम्र में 1946 में उनका निधन हो गया था.1986 में जब पोप जॉन पॉल द्वितीय भारत आए थे तो उन्होंने सिस्टर अल्फ़ोंज़ा को ‘धन्य’ घोषित किया था जिसे धार्मिक शब्दावली में ‘बीटिफ़िकेशन’ कहा जाता है.इससे पहले मदर टेरेसा को 2003 में 'धन्य' घोषित किया जा चुका है लेकिन उन्हें संत की उपाधि प्रदान करने की प्रक्रिया अभी चल रही है.
कार्यक्षेत्र:_सिस्टर अल्फ़ोंज़ा का असली नाम अन्ना मुत्तथुमदथु था और उन्हें एक उदार महिला के रुप में याद किया जाता है.हालांकि उनकी तबियत अक्सर ख़राब रहती थी लेकिन वे धार्मिक कार्यों में जुटी रहीं और 1928 में उन्हें सिस्टर अल्फ़ोंज़ा का नाम दिया गया.सिस्टर अल्फ़ोंज़ा की मौत के बाद केरल के लोगों ने उनके बारे में कई चमत्कार की बातें बताईं.जब सिस्टर अल्फ़ोंज़ा को ‘धन्य’ घोषित किया गया था तब एक लकवे के शिकार एक बच्चे के चमत्कार के मामले का परीक्षण किया गया था जिसके बारे में कहा जाता है कि वह सिस्टर अल्फ़ोंज़ा की प्रार्थनाओं से ठीक हो गया था.दक्षिण केरल के भारानंगनम में जहाँ सिस्टर अल्फ़ोंज़ा का अंतिम संस्कार किया गया था वह एक तीर्थस्थल बन गया है.
No comments:
Post a Comment