मजदूरों ने पार की इंसानियत की सारी हदें
जिस समय निष्कासित कर्मचारी कंपनी के अंदर घुसकर तोड़फोड़ कर रहे थे, उस वक्त कंपनी के प्रथम तल पर प्रबंधकों की बोर्ड रूम में बैठक चल रही थी। कर्मचारी हाथों में डंडे व लोहे की राड लेकर वहां पहुंच गए। इससे प्रबंधक इधर-उधर भागने लगे। कई प्रबंधक डर के मारे बाथरूम व सीढि़यों के नीचे छिप गए, लेकिन कर्मचारियों ने उन्हें वहां भी नहीं बख्शा।
कंपनी के प्रबंधक अनिल शर्मा को बाथरूम के अंदर पीटा गया। कंपनी के तीनों बाथरूम के अंदर भारी मात्रा में खून व मांस के टुकड़े मंगलवार को भी पड़े मिले। सीढि़यों का भी यही हाल है। उन पर खून बिखरा पड़ा है, जिसे देखने से लगता है कि निष्कासित मजदूरों ने वहां पर इंसानियत की सारी हदें पार कर दी थीं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कर्मचारियों को पहले से पता था कि कौन सा प्रबंधक कहां बैठता है। इसलिए उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से उन्हीं कमरों को अपना निशाना बनाया, जिन प्रबंधकों के खिलाफ ज्यादा रोष था। कमरों के शीशे व उनमें रखे कंप्यूटरों को चकनाचूर कर दिया गया। जान बचाने के लिए प्रबंधकों ने कर्मचारियों के सामने हाथ तक जोड़े थे, लेकिन उस समय कर्मचारी इतने क्रूर थे कि उन्होंने प्रबंधकों के सिरों पर लोहे की राड से वार करते समय यह तक नहीं सोचा कि इससे उनकी जान भी जा सकती है।
गेट से घुसे हमलावर
कंपनी में अंदर प्रवेश करने के लिए तीन अलग अलग स्थानों पर बड़े द्वार बने हुए हैं। घटना के समय तीनों गेट पर पांच-पांच सुरक्षा गार्ड तैनात थे। गेट को फांद कर कोई अंदर न जा सके, इसके लिए कंटीली तार लगाए गए थे। मजदूरों ने अंदर घुसने के लिए इन तीनों ही गेट का इस्तेमाल किया। घटना से पूर्व उन्होंने इन गेटों को घेर लिया था, ताकि कोई बाहर न जा सके।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार अंदर स्थिति बिगड़ने के बाद कंपनी में काम कर रहे अन्य मजूदर बाहर जाने के लिए उन दो गेट के तरफ भागे, जो सिर्फ सामान लाने ले जाने के लिए खोले जाते हैं। मजदूरों ने यह सोचकर इन गेट को खोला कि निष्कासित कर्मचारी मुख्य गेट पर होंगे, लेकिन जैसे ही उन्होंने बाहर जाने के लिए गेट खोला तो वहां पहले से पचास साठ मजदूर खड़े हुए थे। जिससे जाहिर होता है कि उन्होंने पूर्व नियोजित योजना के तहत तीनों गेट को घेर लिया था। गेट खुलते ही निष्कासित मजूदर मारपीट करते हुए अंदर आ गए। हथियारों से लैस मजदूरों को सुरक्षा गार्ड नहीं रोक सके। हरि नामक मजदूर ने बताया कि निष्कासित कर्मचारियों ने उनको निशाना बनाते हुए लाठी डंडे बरसा दिए। किसी तरह उन्होंने भागकर जान बचाई।
दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी भी थे निशाने पर
निष्कासित कर्मचारियों ने न केवल कंपनी प्रबंधकों को अपना निशाना बनाया, बल्कि दैनिक वेतनभोगी मजूदर भी उनके निशाने पर थे। कर्मचारियों का गुस्सा इन दैनिक वेतनभोगियों पर इसलिए अधिक था क्योंकि कंपनी ने स्थाई मजदूरों को निकाल कर उनको तवज्जो दी। निष्कासित कर्मचारी चाहते थे कि दैनिक वेतनभोगी कंपनी में काम न करें, ताकि काम न होने पर प्रबंधकों पर दबाव बनाया जा सके। इसलिए उनके साथ निष्कासित कर्मचारियों ने जमकर मारपीट की। उपद्रवी कर्मचारी उत्पादन कक्ष में अंदर घुस गए और उन्होंने जाते ही मशीनों पर काम कर रहे मजदूरों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया।
सीईओ हत्या मामले में 137 गिरफ्तार
इटली की बहुराष्ट्रीय कंपनी ग्रेजियानो ट्रांसमिशनी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में सीईओ की पीटकर हत्या और तोड़फोड़ करने के मामले में पुलिस ने सोमवार को देर रात 137 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें से 63 कर्मचारियों को मंगलवार को नोएडा फेस दो स्थित सीजेएम कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिन तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया, जबकि 74 कर्मचारियों को एसडीएम दादरी कोर्ट में पेश किया। कर्मचारियों की तरफ से जमानत की अर्जी पेश न किए जाने पर उन्हें जेल भेज दिया गया। सीईओ की हत्या से कंपनी में दूसरे दिन भी सन्नाटा पसरा रहा। घटना के बाद दहशत में आए कर्मचारी काम छोड़कर चले गए हैं। कंपनी को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है।बुधवार को कंपनी के ग्रुप सीईओ लेमबर्टो इटली से ग्रेटर नोएडा पहुंचकर मौके का जायजा लेंगे और कंपनी को आगे चलाने अथवा बंद करने के बारे में घोषणा करेंगे। वह मंगलवार को इटली से भारत के लिए रवाना हो चुके हैं। उधर, सीईओ ललित किशोर चौधरी के शव पोस्टमार्टम के बाद सुबह परिजन को सौंप दिया गया। दोपहर बाद दिल्ली के निगमबोध घाट पर परिजन व मित्रों ने उनको अंतिम विदाई दी।
उल्लेखनीय है कि उद्योग केंद्र के प्लाट संख्या 14 में स्थित ग्रेजियानो ट्रासमिशनी इंडिया प्रा. लि. से निकाले गए कर्मचारियों ने सोमवार को कंपनी के अंदर जमकर तोड़फोड़ की थी। इस दौरान मजदूरों ने कंपनी के सीईओ एवं एमडी ललित किशोर की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। हमले में कंपनी के करीब तीन दर्जन कर्मचारी व अधिकारी भी घायल हो गए थे।
कंपनी के कारखाना प्रबंधक एलके गुप्ता की शिकायत पर थाना बिसरख में 19 नामजद व सौ से ज्यादा अज्ञात मजदूरों के खिलाफ केस दर्ज किया था। पुलिस ने 63 मजदूरों के खिलाफ हत्या, तोड़फोड़ बलवा व 74 के खिलाफ शांति भंग करने का मामला दर्ज किया था। कंपनी में हिंसा के बाद डरे व सहमे अन्य कर्मचारी काम छोड़कर चले गए हैं। मंगलवार को कंपनी के अंदर सन्नाटा पसरा रहा। उत्पादन कार्य पूरी तरह से ठप हो गया है। सुरक्षा के लिहाज से कंपनी के अंदर सिर्फ गार्ड तैनात थे। कंपनी के बाहर पुलिस व पीएसी तैनात कर दी गई। इटली की ओरलिकॉन ग्रुप ने ग्रेटर नोएडा में ग्रेजियानो ट्रासमिशनी इंडिया प्रा। लि़ के नाम से अपनी यूनिट लगा रखी है। इस यूनिट के सीईओ ललित किशोर चौधरी थे। सोमवार को कंपनी की तरफ से इटली में ओरलिकॉन ग्रुप के सीईओ लेमबर्टो को घटना की सूचना दी गई थी। सूत्रों का कहना है कि इस घटना के बाद कंपनी यहां से अपनी यूनिट किसी दूसरे शहर में शिफ्ट कर सकती है। इटली की भारत में यह पहली कंपनी है।
नोएडा व ग्रेनो में उद्योग चलाना टेढ़ी खीर
आए दिन हो रही हड़ताल, कर्मचारियों की गुंडागर्दी, नेताओं की गंदी राजनीति के चलते नोएडा व ग्रेटर नोएडा में उद्योगों को चलाना टेढ़ी खीर होता जा रहा है। श्रम विभाग, पुलिस व प्रशासन समय पर कार्रवाई नहीं करते। इसके चलते कर्मचारियों के साथ छुटभैया नेता व गुंडे मिलकर उद्योगों को बंद कराने में जुटे हुए हैं। ऐसे में उद्यमी अपनी सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं। इसके चलते पिछले सात वर्ष से जिले में किसी भी बहुराष्ट्रीय कंपनी ने निवेश नहीं किया है, बल्कि यहां की कंपनियां अन्य राज्यों में पलायन कर रही हैं। उद्यमियों के मुताबिक पिछले पांच वर्ष में यहां लगभग तीन सौ से भी कम छोटी इकाइयां लगीं, लेकिन लगभग दो हजार से अधिक उद्योग पलायन कर गए।
ग्रेटर नोएडा में मल्टीनेशनल कंपनी ग्रेजिआनो में मजदूरों ने जिस तरह से सीईओ की हत्या कर दी, इससे साफ हो गया है कि यहां उद्यमी व उद्योगों का भविष्य सुरक्षित नहीं है। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के गौतमबुद्ध नगर चेप्टर के चेयरमैन जितेंद्र पारिक का कहना है कि जिन सपनों के साथ यहां कंपनी लगाई थी, वे दुस्वप्न में बदल गए हैं। उद्योग व उद्यमियों की सुरक्षा के मुद्दे को हर बार उद्योग बंधु की बैठक व पुलिस अधिकारियों के साथ होने वाली बैठक में उठाया जाता रहा है। पुलिस उद्योगों को सुरक्षा देने के नाम पर कुछ नहीं कर रही है। अगर पुलिस ने अपनी कार्यशैली में परिवर्तन करके उद्योगों को सुरक्षा नहीं दी तो वह दिन दूर नहीं जब यहां की मल्टीनेशनल व छोटी कंपनियां डेबू मोटर्स की तरह कर्मचारियों की हिंसा की भेंट चढ़कर बंद हो जाएंगी।
एसोसिएशन ऑफ ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रीज के महासचिव आदित्य घिल्डियाल का कहना है कि आए दिन होती हड़ताल के चलते बडे़ उद्योग ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं। जिले में बिगड़ती सुरक्षा व्यवस्था, श्रम विभाग व प्रशासन की लापरवाही के चलते जो माहौल बिगड़ा है, उसका असर है कि पिछले कई साल से जिले में एक भी मल्टीनेशनल कंपनी ने अपने प्लांट नहीं लगाए हैं। विदेशी निवेश पूरी तरह रुक गया है। एसोसिएशन ऑफ ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष पीपी शर्मा का कहना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो जिले में कंपनी चलाने के लिए उद्यमियों को निजी फोर्स खड़ी करनी पड़ेगी। पुलिस व प्रशासन से मदद न मिलने से स्थिति से नहीं निपटा जा सकता।
फेस-दो इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष पीजेबी खुराना का कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च कर लगाई गई कंपनी व उद्यमी की सुरक्षा करने में पुलिस प्रशासन पूरी तरह नाकाम है।
हर पखवाड़े सुनी जाएंगी समस्याएं:डीएम
जिला अधिकारी श्रवण कुमार शर्मा का कहना है कि घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए हर पखवाड़े जिला प्रशासन उद्यमियों के साथ बैठक कर उनकी मजदूरों व सुरक्षा संबंधित समस्याओं का निराकरण करेगा। अगर किसी कंपनी में मजदूरों को लेकर कोई विवाद पैदा हो रहा है, उसे तत्काल दूर करने का प्रयास किया जाएगा। अगर किसी कंपनी में सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा होने की संभावना होगी तो वहां पर सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी। एसएसपी आरके चतुर्वेदी ने कहा उद्यमियों में किसी प्रकार का भय नहीं होना चाहिए। अगर किसी उद्यमी को लगता है कि किसी बात लेकर मजदूरों में अशांति पैदा होने वाली है तो उसे तुरंत सुरक्षा प्रदान की जाएगी। सोमवार की तत्कालिक घटना थी। इससे पहले कंपनी को सुरक्षा प्रदान की गई थी। कंपनी की तरफ से कहा गया था कि अब कोई विवाद नहीं है इसलिए एक दिन पहले सुरक्षा व्यवस्था हटा ली गई थी। घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस के देरी से पहुंचने की शिकायत मिलने पर बिसरख थाना प्रभारी को निलंबित किया जा चुका है। सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की kजाएग
No comments:
Post a Comment