नकारात्मक बदला:उम्र बढ़ने के साथ मोतियाबिंद व काला मोतिया नामक रोगों के होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। साथ ही कम रोशनी में देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है। उजाले से अंधेरे और अंधेरे से उजाले में जाने पर सहज होने में समय लगने लगता है। रंगों में भेद करना मुश्किल हो जाता है। आंखों में सूखापन रहने लगता है। हमारी दृष्टि विस्तार (फील्ड ऑफ विजन) में किनारे की हलचल को पहचानना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा अंधेरे में कम दिखना, चौंधियाहट, दो वस्तुएं दिखना, रोशनी के चारों ओर गोले दिखना व काले धब्बे दिखना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इन समस्याओं के शुरुआती दौर में ही नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करे, क्योंकि समय रहते चिकित्सकीय परामर्श न लेने पर मर्ज बढ़ सकता है।
इन पर करे अमल:पौष्टिक आहार नेत्रों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। अपने आहार में विटामिंस, मिनरल्स व साबुत अनाजों को वरीयता दें। विटामिंस व मिनरल्स, ड्राई फ्रूट्स, मौसमी फलों व हरी सब्जियों में पाए जाते है।पर्याप्त निद्रा भी नेत्रों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। कम से कम से 6 से 8 घंटे तक की नींद जरूर लें। ऐसा करने से ऑप्टिक नर्व्स (आंखों की नाड़ियों) को राहत मिलती है और उनकी कार्यप्रणाली सही रहती है।नियमित व्यायाम से समस्त शरीर के साथ नेत्रों में भी रक्त संचार (ब्लड सर्कुलेशन) की प्रक्रिया समुचित रूप से होती है। नेत्रों को पर्याप्त मात्रा में रक्त की आपूर्ति होने से उनकी कार्यप्रणाली सुचारु रूप से संचालित होती है। आप किसी योगासन विशेषज्ञ से परामर्श लेकर सर्वागासन कर सकते है।चश्मे का प्रयोग यदि आपकी पास या दूर की दृष्टि क्षमता ठीक नहीं है, तो नेत्र विशेषत्र से जांच करवाकर चश्मे का प्रयोग करे।
उचित दूरी जरूरी है खासकर तब जब आप टेलीविजन देख रहे हों। तीन मीटर से कम की दूरी से टीवी न देखें। साथ ही टीवी या कंप्यूटर पर बैठकर काम करते समय पलकों को जल्दी-जल्दी झपकाएं। ऐसा करने से आंखों पर पड़ने वाला दबाब कम होता है। नतीजतन आंखों में दर्द या सिरदर्द सरीखी शिकायतों के होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। टेलीविजन देखते समय या कंप्यूटर पर काम करते समय लगभग 90 मिनट बाद ठंडे पानी से नेत्रों पर छीटे मारे। इससे नेत्रों की थकान मिटती है।
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