संकेत:>दिल्ली में जिन जगहों पर हमले हुए हैं वह एक ख़ास तरह के संकेत देता है.इस बार हमला करने वालों ने कनॉट प्लेस, ग्रेटर कैलाश और करोल बाग़ जैसी जगहों को चुना है जहाँ आमतौर पर पढ़े-लिखे और संपन्न लोग आते हैं.
| गृहराज्य मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया |
तो अब हमलावर पढ़े-लिखे लोगों को भी संकेत देना चाहते हैं कि अब वो भी सुरक्षित नहीं हैं और ऐसा नहीं है कि वो उन इलाक़ों में नहीं पहुच सकते जहाँ वो जाते रहे हैं.इन हमलों से तो हमलावरों के दुस्साहस का ही परिचय मिलता है वो कहीं भी हमला कर सकते हैं और कभी भी हमला कर सकते हैं.
सख़्त क़ानून की ज़रूरत:>गृहराज्यमंत्री शकील अहमद कह रहे हैं कि उनके पास सूचनाएँ थीं कि दिल्ली में आतंकी हमले हो सकते हैं और उसके बाद भी हमले हो गए.यह बहुत अफ़सोस की बात है कि ख़ुफ़िया जानकारी के बाद भी राजधानी में हमले हो गए ऐसे मंत्री को तो अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.इतने लोग मारे गए और आप अभी भी गृहमंत्रालय में बैठे हुए हैं.मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हूँ कि इस देश में एक सख़्त आतंक विरोधी क़ानून की ज़रूरत है बल्कि मैं तो उन लोगों में से हूँ जो मानते हैं कि पोटा जैसा क़ानून भी पुराना पड़ चुका है.जो घटनाएँ देश में हो रही हैं उसे अब पोटा से भी निपटा जा सकता.दिक़्कत यह है कि हम कार्रवाई इतनी देर से करते हैं जब मर्ज़ बहुत बढ़ चुका होता है.
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