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Friday, September 5, 2008

मस्तिष्क कैंसर की गुत्थी सुलझाने का दावा

वाशिंगटन। कैंसर जैसी बीमारी का नाम सुनते ही कंपकंपी छूटने लगती है। दुनिया भर के चिकित्सक इस घातक बीमारी पर विजय पाने के लिए शोध में जुटे हैं। अब अमेरिकी शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क कैंसर के सबसे प्रचलित व घातक रूप का निदान खोजने का दावा किया है। शोधकर्ताओं का दावा है कि उनके द्वारा खोजी गई विधि से कैंसर को फैलने से पहले ही आपरेशन कर रोका जा सकेगा।शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि तमाम शोधों के बावजूद कैंसर को समझना टेढ़ी खीर बना हुआ है और खास जींस इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं। हापकिंस यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता डा. बर्ट वोजेल्स्टीन कहते हैं, हम जितना जानते हैं, कैंसर को समझना उससे कहीं ज्यादा कठिन है। यदि आप कैंसर के 100 मरीजों को लें तो उनमें 100 अलग-अलग तरीके की बीमारियां दिखेंगी। जो भी दवाएं बनाई जा रही हैं वो एक ही जीन पर प्रभाव डालती हैं जबकि कैंसर होने के कई कारण हैं।शोधकर्ताओं के मुताबिक कैंसर रोकने का सबसे कारगर तरीका ट्यूमर की अनियंत्रित वृद्धि रोकना है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के दौरान पैंक्रियाटिक [अग्न्याशय] कैंसर और ग्विओब्लासटोमा मल्टीफार्म [ब्रेन ट्यूमर] के मरीजों की जांच की। कैंसर के ये ट्यूमर कुछ खास जगहों पर ही होते हैं।एक अन्य शोधकर्ता डा. केनेथ किंजलर के मुताबिक अक्सर जींस में हुआ परिवर्तन ही ट्यूमर की पहचान में मददगार होता है। ब्रेन ट्यूमर के लिए एक 'आईडीएच1' नामक जीन की पहचान की गई है। इसके कारण मरीज की एक साल के अंदर मृत्यु हो जाती है।डा. विक्टर वेल्कुलेस्कु के अनुसार ब्रेन ट्यूमर को अक्सर एक ही बीमारी माना जाता है लेकिन वास्तव में यह दो बीमारियां हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि फार्मास्यूटिकल कंपनियों को काफी हद तक अपनी दवा बनाने की तकनीक में बदलाव लाना चाहिए ताकि वे हर तरह से कैंसर के इलाज में कारगर हो सकें।

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