पढ़ाई-लिखाई में होनहार हैं-तो प्रतिभा का सही इस्तेमाल करिए। विश्वविद्यालय या कालेज के शिक्षक बनने का सपना देखिए। आने वाला समय डिग्री शिक्षकों का है। उनका सम्मान और बढ़ना ही है, साथ ही वेतनमान भी इतना आकर्षक होगा कि शिक्षक खुद को गौरवान्वित महसूस करेंगे। इतना ही नहीं, सेवानिवृत्ति आयु भी पैंसठ साल हो सकती है। अधिक काबिल हैं तो कुछ और भी मौके मिलेंगे।विश्वविद्यालयों व कालेजों के शिक्षकों के नए वेतनमान व सुविधाओं के लिए गठित 'वेतन समीक्षा समिति' के चेयरमैन प्रो. जीके चढ्डा ने अपनी रिपोर्ट तो अभी यूजीसी को नहीं दी है, लेकिन शिक्षकों के और सुनहरे भविष्य के संकेत जरूर दिए हैं। शनिवार से शुरू दो दिनी बैठक के बाद रविवार को उन्होंने पत्रकारों से कहा,'समिति के दिमाग में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए हाल में लागू हुई छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट भी है। लेकिन हमारी कोशिश इस रिपोर्ट से भी आगे बढ़कर शिक्षकों के लिए और बेहतर करने की है। हम चाहते हैं कि शिक्षक बनने वाला कोई भी व्यक्ति तनख्वाह के मामले में हीन न महसूस करे'।उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा से जुड़े शिक्षकों के वेतनमान व सुविधाओं में कई विसंगतियां हैं। दक्षतारोध [स्टेगनेशन] एक बड़ी समस्या है। समिति इसे सुधारने की मंशा रखती है। लिहाजा सालाना वेतनवृद्धि के अलावा हर एक साल छोड़कर खास वेतनवृद्धि की सिफारिश की जा सकती है। चेयरमैन के मुताबिक समिति पढ़ाने के क्षेत्र में आने वालों को उनकी नियुक्ति और सेवानिवृत्ति-दोनों मौकों पर खास प्रोत्साहन दिए जाने का ख्याल रखती है। शिक्षकों के रिटायरमेंट की आयु सीमा में अभी बहुत भिन्नता है। यह कहीं 55, कहीं 58 तो कहीं-कहीं 60 और 65 साल भी है। समिति राष्ट्रीय स्तर पर इसमें एकरूपता की हिमायती है। उसकी मंशा सेवानिवृत्ति की आयु 65 साल करने की है। सेवानिवृत्ति के बाद भी शिक्षक को फिर से नौकरी में रखने का रास्ता भी खोला जा सकता है। इसी तरह किसी शिक्षक में ज्यादा काबलियत और संभावनाएं दिखती हैं-तो उसे खास पैकेज देकर नियुक्ति कर ली जानी चाहिए।प्रो. चढ्डा ने यह खुलासा तो नहीं किया कि शिक्षकों की जवाबदेही किस रूप में तय की जाएगी, लेकिन यह जरूर कहा कि उनके कामकाज का मूल्याकंन होगा। मूल्यांकन में छात्रों को भी शामिल किया जा सकता है। यह देखा जाएगा कि शिक्षक संस्थान को कितना समय देता है और उसके पढ़ाने के नतीजे क्या आते हैं। समिति विश्वविद्यालयों व कालेजों के भीतर शिक्षकों की वरिष्ठता व कनिष्ठता के आधार पर अलग-अलग स्तर तय करने की हिमायती है।मालूम हो कि यूजीसी ने वेतन समीक्षा समिति को रिपोर्ट के लिए एक साल का समय दिया था जो दस दिन पहले खत्म हो चुका है। इसे बढ़ाया भी जा सकता है। प्रो. चढ्डा ने पत्रकारों के बार-बार पूछने पर यह नहीं बताया कि रिपोर्ट कब देंगे, लेकिन उम्मीद है कि तीन महीने के भीतर उनकी रिपोर्ट आ जाएगी।
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