नई दिल्लीः बिहार में आई भीषण बाढ़ के मद्देनजर तीनों सेनाओं ने राहत कार्यों के लिए युद्धस्तर पर अपना अभियान तेज कर दिया है। तीनों सेनाओं के अधिकारियों ने बताया कि जहां थलसेना के करीब 4,500 जवान राहत और बचाव कार्यों में लगे हैं, वहीं वायुसेना के बडे़ परिवहन विमानों आईएल-76, एएन-32, डॉर्नियर और हेलिकॉप्टरों से बाढ़ग्रस्त इलाकों के लिए राहत सामग्री भेजने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है।
वायुसेना के एयर कमोडोर जी. एस. चीमा के मुताबिक पूर्णिया का हवाई अड्डा वायुसेना के विमानों के उतरने लायक बनाकर वहां राहत कार्यों की सामग्री पहुंचाने वाले सभी विमान उतारे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वायुसेना को राहत कार्यों में मदद के लिए निर्देश सबसे पहले 20 अगस्त को मिला था। इसके तुरंत बाद कुछ हेलिकॉप्टर राहत सामग्री के साथ रवाना किए गए थे, लेकिन तब बाढ़ की भयावहता का इतना अनुमान नहीं था। अब जलस्तर बरकरार रहने की आशंकाओं के बीच वायुसेना ने देश के विभिन्न वायुसैनिक अड्डों से राहत सामग्री के साथ अपने विमानों को बिहार भेजा है। उन्होंने बताया कि केवल आईएल-76 विमानों ने ही कुल 37 उड़ानें भरी हैं और 292 टन राहत सामग्री पहुंचाई है। इसी तरह एएन-32 विमानों ने सौ से अधिक उड़ानें भरकर 532 टन राहत सामग्री पहुंचाई है। थलसेना के प्रवक्ता ने बताया कि बाढ़ पीड़ित इलाकों के लिए थलसेना के 37 कॉलम (प्रत्येक कॉलम में करीब 125 जवान) तैनात कर दिए गए हैं जो न केवल बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत सामग्री का वितरण कर रहे हैं, बल्कि कठिनाई में फंसे बाढ़ पीडि़तों को सुरक्षित स्थानों पर भी पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। इस तरह अब तक कई हजार लोगों को बचाया जा सका है। नौसेना के प्रवक्ता ने बताया कि नौसेना के करीब 120 गोताखोर बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने की कार्रवाई कर रहे हैं। इसके अलावा देश भर से नौसेना के विभिन्न अड्डों से कुल 450 नौकाएं बाढ़ग्रस्त इलाकों के लिए रवाना की गई हैं।
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