rashtrya ujala

Tuesday, September 9, 2008

जजों से पूछे जाने वाले सवाल तय

उत्तर प्रदेश में ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के रजिस्टार जनरल वीके जैन को 11 वरिष्ठ न्यायाधीशों से पूछे जाने वाले सवालों की सूची सौंप दी है.:इन पर ग़ाज़ियाबाद ज़िला अदालत के खजाने के पैसे से अनुचित धन और सामान ख़रीदने के गंभीर आरोप हैं.इनमें एक सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान जज है तथा 10 अन्य जज इलाहाबाद, उत्तरांचल और कोलकाता हाईकोर्ट के हैं. इनमें से तीन जज रिटायर हो चुके हैं.इन जजों से 10 से 20 सवाल पूछे गए हैं. इससे पहले रजिस्टरार जनरल वीके जैन ने मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की ओर से ग़ाज़ियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया था कि वह सभी आरोपित जजों से पूछे जाने वाले सवालों की सूची उपलब्ध करा दें.ये सवाल संबंधित जजों को स्पष्टीकरण के लिए भेजे जाएँगे. वीके जैन ने ये भी कहा था कि अगर जाँच अधिकारी सवालों के उत्तर से संतुष्ट नहीं होगें तो मुख्य न्यायाधीश गुण-दोष के आधार पर इन जजों से जाँचकर्ता को आमने-सामने सवाल पूछने की अनुमति देने पर भी विचार करेंगे.इससे पहले ग़ाज़ियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक रतन ने 25 मई को मुख्य न्यायाधीश को अपने पत्र में जजों से पूछताछ करने की अनुमति माँगी थी.

प्रमाण:इस पत्र के साथ ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने मुख्य न्यायाधीश को उन रसीदों एवं अन्य दस्तावेज़ों की प्रतिलिपि भी उपलब्ध कराई थी जिसमें इन जजों को दिए गए सामान देने का प्रमाण है.मामले के मुख्य अभियुक्त आशुतोष अस्थाना ने 28 अप्रैल को मजिस्ट्रेट के सामने अपने इकबालिया बयान में बताया कि उन्होंने भविष्य निधि खाते से करोड़ों रूपए निकाले तथा उससे 36 जजों को नकद एवँ फ़र्नीचर, मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप, एसी, फ़्रीज आदि सामान दिया गया.ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने इस बयान की छानबीन करने के बाद पहली नज़र में पाया कि जजों के खिलाफ आरोपों में बल है और सभी 11 वरिष्ठ जजों के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तथा ज़िला अदालतों के 24 जजों के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हेमंत लक्ष्मण गोखले से अग्रिम कार्रवाई की अनुमति माँगी थी.इसी बीच ग़ाज़ियाबाद बार एसोसिएशन का कहना है कि यूँ तो ये अनुमति माँगने की ज़रुरत नहीं थी और यदि माँगी गई तो अनुमति अब तक दे देनी चाहिए थी. सवालों की सूची माँगने का क़ानून में प्रावधान नहीं है.ग़ाज़ियाबाद बार एसोसिएशन का ये भी कहना है कि यूपी पुलिस न्यायपालिका के इस सबसे बड़े घोटाले की जाँच करने में सक्षम नहीं है और इसकी जाँच सीबीआई को सौंप देनी चाहिए.उनकी अपील पर सुप्रीम कोर्ट में गुरूवार को सुनवाई होनी है.उल्लेखनीय है कि इस मामले में ग़ाज़ियाबाद ज़िला अदालत के अनेक कर्मचारियों समेत 70 लोगों को ग़िरफ़्तार किया जा चुका है और वे सभी जेल में ह

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