भारत में गरीबी रेखा के नीचे जिंदगी गुजारने वालों की संख्या कुल आबदी की करीब दो-तिहाई है। ऐसा हम नहीं, बल्कि एशियाई विकास बैंक के आंकड़े बता रहे हैं। |
दरअसल, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में गरीबी रेखा को मापने के लिए के लिए एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने बुधवार को नया मापदंड जारी किया है, जिसका नाम एशियाई गरीबी रेखा (एशियन पावर्टी लाइन) रखा है। इसके तहत करीब 1.35 डॉलर रोजाना कमाई करने वालों को गरीबी रेखा के नीचे रखने की बात कही गई है। नए मापदंड के आधार पर भारत में गरीबी की स्थिति का आंकलन करें, तो देश की करीब दो-तिहाई आबादी, यानी करीब 72 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे बसर कर रहे हैं। इससे पहले एक डॉलर रोजाना कमाई के आधार पर भारत समेत अन्य विकासशील देशों में गरीबी का अनुमान लगाया जाता रहा है। एडीबी के डॉ. अली का कहना है कि भारत और अन्य देशों में पिछले कुछ सालों में तेजी से आर्थिक विकास हुआ है। ऐसे में एक डॉलर के बेंचमार्क को बदलना जरूरी हो गया था। यही वजह है कि एडीबी ने गरीबी रेखा के लिए नया मापदंड जारी किया है।हालांकि विश्व बैंक के मुताबिक, भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में तकरीबन 2 फीसदी की कमी आई है और यह 24.3 फीसदी पर पहुंच गई है। दरअसल, विश्व बैंक एक डॉलर रोजाना कमाई के आधार पर गरीबी रेखा का आंकलन करता है। उसके मुताबिक, आर्थिक विकास से देश में गरीबों की संख्या में कमी आई है।विश्व बैंक के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में भारत की अर्थिक विकास दर 7 फीसदी की दर से बढ़ी है। विश्व बैंक के आंकड़े के मुताबिक, वर्ष 2002 से 2005 के बीच तकरीबन 96 लाख लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं। अगर 1.25 डॉलर प्रतिदिन आय को मानक माना जाए, तो इस दौरान करीब 47 लाख लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं। विश्व बैंक का कहना है कि विकासशील देशों में जीवन-स्तर पर खर्च को एक डॉलर से बढ़कर 1.25 डॉलर प्रतिदिन किया जाना चाहिए। विश्व बैंक का यह आंकड़ा 2003-2005 के बीच का है, ऐसे में पिछले दो सालों में खाद्यान्न की कीमतों में तेजी को शामिल नहीं किया जा सका है। एशियाई विकास बैंक ने गरीबी रेखा के लिए जारी किए नए मापदंड आय का पैमाना एक डॉलर प्रतिदिन से बढ़ाकर 1.35 डॉलर |
Thursday, September 4, 2008
कितने गरीब हैं इस देश में...72 करोड़!
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