rashtrya ujala

Thursday, September 25, 2008

उपदेश नहीं सेवा स्वीकारें

जोरापारा स्थित काली मंदिर में चल रहे श्रीमद्भागवत के विश्राम दिवस वृन्दावन धाम के ललित वल्लभ नागार्च ने कृष्ण के सोलह हजार एक सौ आठ विवाहों का वर्णन किया। महाराज युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के वर्णन में उन्होंने कहा कि कृष्ण सभी लोगों को यज्ञ में उच्च पद प्रदान कर स्वयं यज्ञ में आये अतिथियों के चरण धोने एवं झूठी पत्तल उठाने की सेवा स्वीकार कर उपदेश देते हैं कि कभी भी कोई धार्मिक कार्य हो तो वहां पद स्वीकार न करके सेवा करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि यह धर्म का मर्म है अत: धार्मिक होना सरल है, मार्मिक होना कठिन है। सुदामा प्रसंग में कहा कि सुदामा के जीवन में बड़े-बड़े कष्ट आये फिर भी सुदामा ने संसारी जीवों को छोड़कर साक्षात् परमात्मा से भी कुछ भी नहीं मांगा। भगवान श्रीकृष्ण को यही कहना पड़ा कि सुदामा जैसे अन्य भक्तों के सामने जाने की मेरी सामर्थ्य नहीं है। नागार्च ने कहा कि एक दिन श्रीकृष्ण ने अपने नाती पोताओं को बुलाकर कहा कि मेरी द्वारिकापुरी में संत-महात्मा आते, ठहरते, खाते रहते हैं, आप लोग ऐसा न सोचना कि मेरा खा रहे हैं। यदि संत अपराध हो गया तो मैं नहीं बचा पाऊंगा। नव योगेश्वर, दत्तात्रेय के चौबीस गुरू, कृष्ण उद्धव संवाद, कलियुग दोष, हरिनाम महिमा, शुकदेव पूजन, परिक्षीत मोक्ष, जनमेजय यज्ञ, पुराण लक्षण, मार्कण्डेय चरित्र चरित्र वर्णन के उपरांत मुख्य परिक्षीत रविन्द्र शर्मा ने एवं कार्यक्रम के संयोजक हित रस रसिक मंडल के समस्त सदस्यों ने व्यास जी एवं संग पधारे विद्वान पंडितों, संगीतकारों का पुष्पमाला पहनाकर उत्तरीय उढाकर स्वागत किया। जापर कृपाराम की होई, ता पर कृपा करे सब कोई : विजय कौशल रायपुर, 20 जनवरी। शंकर नर में आयोजित रामकथा के प्रथम दिन पं. विजय कौशल महाराज ने कहा कि राम की कृपा तब होती है जब हम ईश्वर के बनाए हुए प्राकृतिक नियमों के अनुरूप आचरण करते हैं उन्होंने राम नाम का महत्व बताते हुए कलियुग को केवल नाम का आधार बताया राम नाम के श्रवण स्मरण मात्र से ही मुक्ति हो जाती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा जो कानों से श्रवण होता है वह हृद्य में आत्मसात होता है वही ईश्वर साक्षात्कार का मार्ग मिलता है आप भी मेरे बताये हुए रास्तों का अनुसरण कीजिए आपको भी प्रभु के दर्शन अवश्य होंगे। उन्होंने कहा कि पुतना ने स्तनों पर विष लगाकर स्तनपान कराया फिर भी उन्हें मुक्ति मिली तो हम निर्मल मन से उन्हें याद करें तो हमें भी मुक्ति अवश्य मिलेंगी। कथा शुभारंभ के अवसर पर विशिष्ट अतिथि संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सहपरिवार तथा श्रवण किया। राम के गुणगान से काल भी प्रसन्न होते हैं : राजेश्वरानंद रायपुर, 20 जनवरी। रामकृष्ण मिशन विवेकानंद आश्रम में विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में हनुमत् चरित पर प्रवचन इस अवसर पर स्वामी राजेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि हनुमान जी महाकाल हैं। उन्हें कराल महाकाल कालं कृपालम् कहा गया है। हनुमान जी भगवान श्री राम के प्रताप भगवान के गुण गाने से काल भी प्रसन्न हो जाते हैं। हनुमान जी भगवान की कथा सुनाकर लक्ष्मण जी को प्रसन्न कर देते हैं। जिसे अपने बिस्तर पर काल दिखता है, वहीं भगवान की ओर बढ़ता है। उन्होंने कहा कि भगवान की ओर बढ़ने का मार्ग हनुमान जी दिखाते हैं। हनुमान जी संकट में सदा आगे रहते हैं और कुछ पाने में सदा पीछे रहते हैं दूसरों की अवसर देते हैं। उन्होंने बताया कि कुसंग को छोड़कर जो भी व्यक्ति भगवान की शरणागति लेगा, उसकी अनेक जन्मों की बिगड़ी बात अभी बन जाएगी व उसकी वासन की निवृत्ति आज अभी और इसी क्षण हो जाएगी। वह जन्म जन्मांतरों की वासना को नष्ट कर जन्म मरण के बंधन से मुख्य हो जाएगा। इच्छा सभी जन्मों का मूल है। इच्छा, तृष्णा, तृषा की प्यास कभी नहीं पूर्ण होती। इसके कारण मनुष्य सदा अशांत रहते हैं। तन की प्यास तृषा और मन की प्यास तृष्णा है। श्री हनुमान को कोई भी तृष्णा की प्यास नहीं है, क्योंकि वे सर्वदा भगवान का नाम लेते रहते हैं।

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