नई दिल्ली : अब आपको अपने फेवरिट टेलिविजन प्रोग्राम छूटने का मलाल नहीं रहेगा। आप इसे 90 दिनों के भीतर किसी भी समय देख सकते हैं। सरकार द्वारा इंटरनेट प्रोटोकॉल टेलिविजन (आईपीटीवी) में नई अनिवार्य शर्त जोड़ने से यह मुमकिन हुआ है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ट्राई की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए आईपीटीवी गाइडलाइन में इस शर्त को जोड़ा है।
मंत्रालय के सीनियर अधिकारी ने बताया कि हम आईपीटीवी गाइडलाइन में अनिवार्य कंटेंट स्टोरेज क्लॉस को जोड़ रहे हैं, जिसके बाद सर्विस प्रवाइडर को अब 90 दिनों तक अपने प्रसारित कार्यक्रमों को संभाल कर रखना होगा। कंस्यूमर जब प्रोग्राम देखने की डिमांड करेगा तो प्रवाइडर को उसे दिखाना होगा।
आइस-ऐज (इन्फॉर्मेशन, कम्यूनिकेशन और इन्टरटेनमेंट )के बदलाव में आईपीटीवी की सबसे अहम भूमिका है। इससे कम्यूनिकेशन के तीन माध्यम : टेलिफोन, इंटरनेट और सेटेलाइट टेलिविजन सर्विसेज की सुविधा एक ही साथ मिलेंगी। एमटीएनएल, बीएसएनएल, रिलायंस और भारती एयरटेल पहले ही देश के कई हिस्सों में आईपीटीवी का ट्रायल कर चुकी हैं। माना जा रहा है कि सरकार 15 दिनों में आईपीटीवी डाउनलिंकिंग गाइडलाइन सार्वजनिक कर देगी। आईपीटीवी ब्रॉडकास्ट लाइसेंस हासिल करने के लिए टेलिकॉम ऑपरेटरों को तीन महत्वपूर्ण शर्त को पूरा करना होगा। शर्त के मुताबिक ऑपरेटर के पास 100 करोड़ रुपये की पूंजी होनी चाहिए। इसके साथ ही सुरक्षा नियमों के साथ छेड़-छाड़ ना करने की भी शर्त रखी गई है। तीसरी शर्त के मुताबिक सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा लगाए गए निगरानी तंत्र के खर्चे का भार सर्विस प्रवाइडर को ही उठानी होगी।
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