rashtrya ujala

Monday, August 25, 2008

नवाज ने सरकार से वापस लिया समर्थन

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की राजनीति कुंलाचे भर रही है। लोकतंत्र वापसी को छह महीने ही हुए हैं कि सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पीएमएल(एन) ने गठबंधन सरकार से अपना हाथ खींच लिया। असल में मुशर्रफ के शासन में अपदस्थ किए गए जजों की बहाली का मसला विभाजन का कारण बना है। पीएमएल(एन) ने पीपीपी की अगुवाई वाली सरकार से यह कहते हुए समर्थन वापस ले लिया कि वह अपदस्थ जजों की बहाली के अपने वादे से हट गई है। शरीफ ने खचाखच भरे एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'पीपीपी ने हमसे किए वादे पूरे नहीं किए।' तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के आपात शासनकाल में अपदस्थ किए गए जजों की बहाली के मुद्दे पर शरीफ और पीपीपी सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी के बीच तीखे मतभेद के चलते 6 माह पुराना गठबंधन टूट के कगार पर पहले ही पहुंच चुका था। शरीफ ने कहा, 'पीपीपी ने हमें हिमायत वापस लेने और विपक्ष में बैठने के लिए मजबूर किया।' मुशर्रफ को अभयदान देने के मुद्दे पर भी पीपीपी और पीएमएल(एन) के बीच मतभेद है। पूर्व प्रधानमंत्री ने अपदस्थ जजों को एक संसदीय प्रस्ताव के माध्यम से बहाल करने के लिए सोमवार की समय सीमा तय की थी लेकिन जरदारी ने कहा कि इस मकसद के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की जा सकती है। पीएमएल(एन) नेता ने जरदारी पर अपने वादे से मुकरने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार के गठन के तुरंत बाद दोनों पार्टियों के बीच वार्ता में यह फैसला किया गया था कि जजों को 30 दिन के अंदर बहाल किया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। शरीफ ने कहा कि जरदारी ने दुबई में उनके साथ बातचीत में वादा किया था कि जजों को 12 मई को बहाल कर दिया जाएगा। 12 मई की यह तारीख भी गुजर गई। इससे शरीफ गठबंधन सरकार से अपनी पार्टी से जुड़े मंत्रियों को हटाने के लिए बाध्य हो गए। पीएमएल(एन) से ताल्लुक रखने वाले इन 9 मंत्रियों ने 31 मार्च को पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। पीएमएल(एन) जरदारी की इस टिप्पणी से भी नाराज थी कि अपदस्थ जजों की बहाली के मुद्दे पर पीपीपी के समझौते कोई मकद्दस किताब नहीं है और बदलती राजनीतिक स्थिति के अनुरूप उसमें फेरबदल किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त जरदारी ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान में मुशर्रफ के रहने का स्वागत है। जरदारी की इन टिप्पणियों ने शरीफ का पारा गरम कर दिया।
शरीफ ने कहा कि जरदारी के साथ उनका समझौता हुआ था कि अगर संसद भंग करने और प्रधानमंत्री को बर्खास्त करने के राष्ट्रपति के अधिकार खत्म नहीं किए गए तो राष्ट्रपति पद के लिए दलगत राजनीतिक से अलग रहने वाला कोई निष्पक्ष उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि पीपीपी सह-अध्यक्ष ने इस समझौते का उल्लंघन किया। 59 वर्षीय पीएमएल (एन) नेता ने कहा कि उनकी पार्टी 'रचनात्मक विपक्ष' की भूमिका निभाएगी और पाकिस्तान में वास्तविक लोकतंत्र लाने के लिए कोशिश जारी रखेगी। शरीफ ने वादा किया वे और उनकी पार्टी पाकिस्तान में स्वस्थ लोकतंत्र, स्वतंत्र न्यायापालिका और संवैधानिक शासन के लिए काम करती रहेगी। शरीफ ने यह भी कहा कि जब तक अपदस्थ जजों को बहाल नहीं किया जाता उनकी पार्टी संघर्ष करती रहेगी। बता दें कि पीपीपी ने 6 सितंबर को प्रस्तावित राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए जरदारी को अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि शरीफ ने पूर्व चीफ जस्टिस सईदुज्जमां सिद्दीकी को सोमवार को अपनी पार्टी का उम्मीदवार नामित किया। पार्टी की बैठक के बाद शरीफ ने कहा कि पार्टी ने पूर्व चीफ जस्टिस से राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने का आग्रह किया है।

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