वह दिन दूर नहीं, जब नेत्रहीन भी इंटरनेट सर्फिंग के जरिए देश-विदेश के लोगों से दोस्ती कर दुनिया को करीब से महसूस कर पाएंगे। साथ ही बीपीओ (कॉल सेंटर) में बैठकर हेडफोन लगा काम करेंगे। ऑल इंडिया कंफेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड नेत्रहीन लोगों को इस नई जिम्मेदारी के लिए तैयार करेगा। संस्था ने इस बाबत एमवे अॅपरच्युनिटी फाउंडेशन (एओएफ) के साथ मिलकर रोहिणी सेक्टर 5 स्थित ट्रेनिंग सेंटर में कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया है। इसमें प्रशिक्षण प्राप्त कर नेत्रहीन आईटी सेक्टर में जॉब करेंगे और अपनी योग्यता का परचम लहराएंगे।रविवार को एओएफ के अध्यक्ष विलियम्स पिकनी ने इस पाठ्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण का मकसद नेत्रहीन लोगों को आईटीएस व कॉल सेंटर जॉब के लिए तैयार करना है। मालूम हो कि इस पाठ्यक्रम के उद्घाटन के लिए मुख्यमंत्री शीला दीक्षित आने वाली थीं। लेकिन व्यस्तता के कारण वह नहीं आ सकीं। अंतिम क्षणों में मुख्यमंत्री के नहीं आने की खबर से वहां उपस्थित सभी लोग मायूस हो गए। बाद में उद्घाटन समारोह के दौरान पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री के नहीं आने पर न केवल निराशा जताई। संस्था के महासचिव जेएल कॉल ने कहा कि मुख्यमंत्री से उद्घाटन कराने के लिए लिखित रूप से समय लिया था, ताकि नेत्रहीन छात्र-छात्राओं का मनोबल बढ़ सके। लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय से उनके नहीं आने की सूचना भी नहीं दी गई।इस अवसर पर पार्षद हरीश अवस्थी ने कहा कि यद्यपि हर कार्य करने में संस्था स्वयं सक्षम है, फिर भी एमवे का योगदान महत्वपूर्ण है। उन्होंने संस्था की मांग पर रोहिणी सेक्टर 5 स्थित ट्रेनिंग सेंटर के सामने की सड़क का नामकरण ब्रेल लुई के नाम पर करवाने का आश्वासन दिया। वहीं पार्षद प्रवेश वाही ने संस्था द्वारा दृष्टि बाधित लोगों को दी जा रही व्यावसायिक प्रशिक्षण को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि रोहिणी सेक्टर 6 के पार्क का नामकरण ब्रेल लुई के नाम पर करवाया जाएगा। इससे पहले ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड के अध्यक्ष एके मितल ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसमें दो तरह के प्रशिक्षण दिए जाएंगे। इसे उच्चस्तरीय रोजगार प्रशिक्षण व कॉलेज गोइंग प्रोग्राम नाम दिया गया है। उच्चस्तरीय रोजगार प्रशिक्षण में छात्र-छात्राओं को टेक्नीकल राइटिंग, सर्च इंजन एवं कॉल सेंटर जॉब के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। माना जा रहा है कि प्रशिक्षण लेने के बाद दृष्टि बाधित लोगों को कॉल सेंटर के रूप में कार्य करने का एक नया क्षेत्र मिलेगा, जहां वे अपनी काबिलियत साबित कर सकेंगे। जबकि कॉलेज गोइंग प्रशिक्षण में छात्र-छात्राओं को इंटरनेट आदि की जानकारी दी जाएगी, ताकि वे कॉलेज में दाखिले, परीक्षा आदि की जानकारियां स्वयं हासिल कर सकें। इससे उनकी दूसरे पर निर्भरता नहीं रहेग
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