rashtrya ujala

Saturday, August 30, 2008

'विकास के फ़ायदे ग़रीबों तक नहीं'

ग़रीबी
संयुक्त राष्ट्र की विकास रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वृद्धि दर का फ़ायदा ग़रीबों तक नहीं पहुँच पा रहा है.संयुक्त राष्ट्र विकास संगठन (यूएनडीपी) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट जारी की है जिसमें विभिन्न देशों में आय, ग़रीबी के स्तर, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति, शिशु मृत्यु दर वग़ैरा का विश्लेषण किया जाता है.भारत इस बार मानव विकास सूचकाँक में 127 वें नंबर पर है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऊँची आर्थिक वृद्धि दर के फ़ायदे अभी भारत के ग़रीबों तक नहीं पहुँच पाए हैं.हालाँकि भारत की आर्थिक विकास दर विश्व में दूसरे नंबर पर है लेकिन विश्व में मरने वाले हर पाँच बच्चों में से एक भारतीय होता है. अमरीका में औसत उम्र से भारत में लोगों की औसत उम्र 14 साल कम है यानी अमरीकियों के मुक़ाबले एक आम भारतीय 14 साल कम जीता है.भारत में प्रति व्यक्ति आय पिछड़े माने जाने वाले अफ़्रीकी देश होंडूरास और वियतनाम के बराबर है. लेकिन नवजात शिशुओं की मृत्यु दर उनसे कहीं ज़्यादा है. यहाँ सिर्फ़ 42 प्रतिशत शिशुओं को टीका लग पाता है.मानव विकास सूचकांक का संबंध महिलाओं के स्तर से जुड़ा हुआ है. साथ ही आर्थिक बढ़त दर और मानव विकास में सीधा संबंध है.यह रिपोर्ट इस धारणा पर कई सवाल उठाती है. इस रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया के देशों में सबसे अच्छी स्थिति श्रीलंका की है लेकिन बांग्लादेश का स्तर दक्षिण एशिया में सबसे नीचे है.हालाँकि उसने पिछले कुछ वर्षों में चौंका देने वाली उन्नति की है. वह इस सूचकाँक में 14 देशों से आगे हुआ है.यहाँ महिलाओं में कुपोषण 10 प्रतिशत कम हुआ है और प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने वाले स्कूलों में भर्ती रिकॉर्ड रूप में बढ़ी है.

'भारत और चीन विलेन'अर्थशास्त्री और सोनिया गाँधी की राष्ट्रीय सलाहकार समिति के अध्यक्ष जयराम रमेश का कहना है कि इस रिपोर्ट को ग़ौर से देखें तो पता चलता है कि बांग्लादेश इसका हीरो है और भारत और चीन विलेन यानी खलनायक हैं.

इस रिपोर्ट को ग़ौर से देखें तो पता चलता है कि बांग्लादेश इसका हीरो है और भारत और चीन विलेन यानी खलनायक हैं
जयराम रमेश, प्रमुख अर्थशास्त्री

जयराम रमेश का मानना है कि भारत और चीन की जो वृद्धि दर है, उसके अनुरूप उनके मानव विकास सूचकांक नहीं है.कहा जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र विकास रिपोर्ट का यह संस्करण पिछले संस्करणों में ज़्यादा व्यापक है और इसमें जीवन के तमाम पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया गया है.लेकिन इस रिपोर्ट में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में कर, राजस्व का सिर्फ़ 10 फ़ीसदी है और यह पिछले 20 वर्षों में नहीं बढ़ा है.विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सरकार को ग़ैरसरकारी संस्थानों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है. साथ ही व्यवस्था का फ़ायदा ज़मीनी स्तर तक पहुँचाना बेहद ज़रूरी है.संयुक्त राष्ट्र विकास रिपोर्ट में कहा गया है कि ऊँची आर्थिक बढ़त दर के फ़ायदे अभी भारत के ग़रीबों या आम आदमी तक नहीं पहुँच पाए हैं.

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