इस बात से तो सभी वाकिफ है कि यश चोपड़ा उन चुनिंदा फिल्मकारों में से हैं जिनकी हर फिल्म मास्टर पीस होती है। उन्हें ना कहने का साहस और दुर्भाग्य बॉलीवुड में शायद ही कोई कर सकता है मगर यह साहस किया है श्रीदेवी ने, जिन्होंने अपनी बेहतरीन फिल्मों में से दो फिल्में ‘चांदनी" और ‘लम्हें", यश चोपडा के निर्देशन में की।
‘वीरज़ारा" के बाद यश चोपडा फिल्म निर्माण में एक बार फिर सक्रिय होने जा रहे हैं। इसके लिए कहानी के साथ साथ उन्होंने कलाकार, जिनमें अमिताभ और श्रीदेवी का नाम ज़ेहन में सोच रखा है। इस फिल्म के लिए अमिताभ काफी उत्साहित हैं मगर अफसोस पति बॉनी कपूर की रज़ामंदी ना होने के कारण श्रीदेवी ने इस फिल्म से इंकार कर दिया है।
यह बात सभी जानते हैं कि अगर यश चोपड़ा की सोची हुई योजना अंजाम तक नहीं पहुंचती है तो वह उसके साथ बिना कोई समझौता किए बगैर उसे यूं ही रहने देते हैं। अगर अमिताभ और श्रीदेवी की यह फिल्म बनती है तो ‘खुदा गवाह" के बाद यह उनकी चौथी फिल्म होगी।
वैसे यश चोपडा के साथ कौन काम नहीं करना चाहेगा और अगर ग्यारह साल बाद एक बार फिर यशराज की फिल्म से बॉलीवुड में विशाल प्रवेश मिलता हो तो श्रीदेवी के मुंह में भी पानी आ गया होगा मगर क्या करे बिचारी। यह काफी दुख की बात है कि देश को आज़ाद हुए 61 साल हो गए हैं मगर हमारी महिलाएं, खास तौर से बहादुर कही जानेवाली और अपने पैरों पर खडी महिलाएं आज भी अपने पति की गुलाम हैं।
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