rashtrya ujala

Friday, August 8, 2008

आखिर क्या है सिमी की हकीकत?

नई दिल्ली : किसी भी आतंकी वारदात के बाद सुरक्षा एजेंसियां उसके पीछे सिमी का हाथ होने की आशंका जताती रही हैं। बावजूद इसके सबूतों के अभाव में ट्रिब्यूनल कोर्ट ने सिमी पर बैन बढ़ाने से इनकार कर दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर स्टे दे दिया है लेकिन इसके बाद सिमी के बारे में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं।
मेकिंग ऑफ सिमी- स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का गठन 25 अप्रैल 1977 को यूपी के अलीगढ़ में हुआ। इसके फाउंडर प्रेजिडेंट मोहम्मद अहमदुल्ला सिद्दीकी थे।
सिमी के सिद्धांत- मानव जीवन को पवित्र कुरान के हिसाब से चलाना, इस्लाम का प्रसार और इस्लाम की खातिर जिहाद करना सिमी का मूल विचार है।
सिमी
के लीडर- सिमी पर प्रतिबंध लगने से पहले तक शाहिद बदर फलाह इसके नैशनल प्रेजिडेंट और सफदर नागौरी सेक्रेटरी थे। 28 सितंबर 2001 को पुलिस ने फलाह को दिल्ली के जाकिर नगर इलाके से गिरफ्तार किया। माना जा रहा है कि फिलहाल सिमी नागौरी के नेतृत्व में गुपचुप तरीके से अपनी गतिविधियां चला रहा है।
सिमी के तार- सिमी को वर्ल्ड असेंबली ऑफ मुस्लिम यूथ से आर्थिक मदद मिलती है। इसके कुवैत में इंटरनैशनल इस्लामिक फेडरेशन ऑफ स्टूडेंट्स से भी करीबी संबंध हैं। इसके अलावा पाकिस्तान से भी इन्हें मदद मिलती है। सिमी के तार जमात-ए-इस्लामी की पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल यूनिट से भी जुड़े हैं। सिमी पर हिज्बुल मुजाहिदीन से भी संबंधों के आरोप हैं और आईएसआई से भी इसके रिश्ते माने जाते हैं। सिमी के नेताओं के लश्कर-ए-तैबा और जैश-ए-मोहम्मद से भी नजदीकी रिश्ते हैं।
मेंबरशिप- सिमी के करीब 400 फुल टाइम काडर और 20 हजार सामान्य सदस्य हैं। 30 साल की उम्र तक के स्टूडंट सिमी के सदस्य बन सकते हैं। इससे ज्यादा उम्र हो जाने पर वह संगठन से रिटायर हो जाते हैं।
सिमी पर बैन- 27 सितंबर 2001 को सिमी पर पहली बार अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट के तहत रोक लगी। यह बैन दो साल के लिए था। 27 सितंबर 2003 को सिमी को फिर से बैन कर दिया गया। 7 फरवरी 2006 को तीसरी बार सिमी पर बैन लगा और 7 फरवरी 2008 को चौथी बार सिमी पर बैन का नोटिफिकेशन जारी हुआ। जिसे दिल्ली हाई कोर्ट के ट्रिब्यूनल में चुनौती दी गई और 5 अगस्त 2008 को सिमी पर से बैन हटा लिया गया। ऐसा पहली बार हुआ कि सिमी पर से पाबंदी हटा ली गई हो। हालांकि 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के फैसले पर स्टे दे दिया।
क्या है एक्सपर्ट्स का कहना
- जब भी कहीं बम विस्फोट होते हैं तो हमारी पुलिस फोर्स और आईबी यही कहती है कि इसमें सिमी का हाथ है। अगर ऐसा है तो उन्हें पुख्ता सबूत भी पेश करने चाहिए। सरकार को यह जवाब देना चाहिए कि क्या वाकई सिमी का आतंकी कार्रवाई में कोई हाथ नहीं है और अगर है तो क्यों सिमी के खिलाफ सबूत नहीं जुटाए जाते। - मेजर अफसर करीम, सिक्युरिटी एक्सपर्ट
- सरकार ने सिमी के खिलाफ सबूत पेश नहीं किए या फिर ट्रिब्यूनल ने किस आधार पर फैसला दिया जो इतनी जल्दी सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले पर स्टे दे दिया। यह देखने वाली बात है। - अजय साहनी, इगेक्युटिव डायरेक्टर, आईसीएम
- सब जानते हैं कि आतंकी वारदातों में सिमी का हाथ है, लेकिन अदालतें सबूतों पर चलती हैं। सिमी पर से बैन हटाने का फैसला लीगल इंटरप्रिटेशन है। यह निहायती तकनीकी मामला है। - श्रीधर, सुरक्षा विशेषज्ञ

No comments: