ढाका। भारत और बांग्लादेश एक-दूसरे के क्षेत्रों में शरण लिए हुए अपराधियों को शीघ्रता से एक-दूसरे को सुपुर्द करने के लिए और उग्रवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राजी हो गए हैं।भारत-बांग्लादेश के साथ प्रत्यर्पण संधि करने के लिए दबाव बना रहा था, लेकिन दोनों देशों के गृह सचिवों की दो दिवसीय वार्षिक बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में इस तरह की किसी भी व्यवस्था का जिक्र नहीं किया गया।गृह सचिव मधुकर गुप्ता और उनके बांग्लादेशी समकक्ष अब्दुल करीम की संयुक्त प्रेस वार्ता में जारी बयान के अनुसार दोनों पक्ष उग्रवादियों विद्रोही संगठनों और उनके नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तैयार हो गए हैं। दोनों देशों ने यह भी फैसला किया है कि एक देश में बंद रहे दूसरे देश के रिहा कैदियों की सत्यापन प्रक्रिया तेजी से होनी चाहिए और इस संबंध में तौर-तरीकों पर विचार होगा।गुप्ता ने कहा कि उन्होंने संधियों के जरिये प्रक्रिया को प्रणालीबद्ध करने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा, लेकिन इस तरह की व्यवस्थायें न होने पर भी हमें एक दूसरे को सहयोग करना चाहिए।करीम ने उनकी बात पर समर्थन जताते हुए कहा कि दोनों देशों ने हाल के महीनों में पहले ही ऐसे अनेक तत्वों का प्रत्यर्पण कराया है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जो अदालत की हिरासत में है ऐसे किसी भी व्यक्ति को नहीं लौटाया जा सकता।
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