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Monday, August 11, 2008

रक्षाबंधन पर ग्रहण की काली छाया

सिर्फ दो घंटे मिलेंगे राखी बाँधने के लिए
रक्षाबंधन पर इस बार ग्रहण की छाया है। बहनों को अपनी भाइयों की कलाई पर राखी बाँधने के लिए दिनभर में सिर्फ दो घंटे का समय मिलेगा। रक्षाबंधन के दिन भद्रा, चंद्रग्रहण का सूतक काल और फिर अच्छा चौघड़िया नहीं होने के कारण यह स्थिति बनी है। साथ ही भद्रा ने परेशानी और बढ़ा दी है।
महाकाल ज्योतिष एवं अनुसंधान केंद्र उज्जैन के पं। कृपाशंकर व्यास के अनुसार 16 अगस्त रक्षाबंधन के दिन दोपहर 2.21 बजे तक भद्रा रहेगा। भद्रा में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है इसलिए 2.21 बजे तक राखी बाँधना भी वर्जित रहेगा। भद्रा समाप्ति के बाद राखी बाँधी जा सकती है। 16-17 अगस्त की अर्धरात्रि में 1.04 बजे से 4.14 बजे तक ग्रहण भी है, जिसका सूतक 24 घंटे पहले से शुरू हो जाएगा।
पं. व्यास कहते हैं कि ग्रहण के सूतक काल में राखी बाँधी जा सकती है, लेकिन दिक्कत यह है कि भद्रा समाप्ति के बाद अच्छे चौघड़िया केवल लाभ और अमृत के मिल रहे हैं जिनमें से लाभ का चौघड़िया 1.30 से 3 बजे तक रहेगा और अमृत का 3 से 4.30 बजे तक, उसके बाद काल का चौघड़िया लग जाएगा।
इस प्रकार 2.21 पर भद्रा समाप्ति के बाद लाभ चौघड़िया का आधा घंटा और अमृत का डेढ़ घंटा मिलेगा। भद्रा, चंद्रग्रहण और खराब चौघड़िया की काली छाया के कारण राखी बाँधने के लिए कुल दो घंटे का शुभ समय बाकी बचेगा।

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