इसके अलावा मौजूदा स्थितियों से निपटने के लिए 1.25 लाख टन अनाज की तत्काल सहायता देने की घोषणा की, जबकि बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली में प्रधानमंत्री से मिलकर एक लाख टन अनाज की मांग की थी।प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री बाढ़ पीड़ितों की स्थिति को देखकर द्रवित हो गए और कहा कि बिहार की स्थिति बेहद चिंताजनक है और तत्काल राहत देना हमारा कर्तव्य है। अगर जरूरत पड़ी केंद्र राज्य को और राशि मुहैया कराएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक, इस कोसी के तटबंध टूटने से आई बाढ़ से निबटने और नेपाल से इस मुद्दे पर बात करने के लिए जल्द ही एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की योजना बनाई जा रही है। बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने मनमोहन सिंह और संप्रग की अध्यक्ष सोनिया गांधी वायुसेना के हेलिकॉप्टर से सुपौल, सहरसा, अररिया और मधेपुरा जिलों का हवाई सर्वेक्षण किया।उनके साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, गृह मंत्री शिवराज पाटिल, लोक जनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान, रेल मंत्री लालू प्रसाद, जल संसाधन राज्य मंत्री जयप्रकाश यादव भी थे। हवाई सर्वेक्षण के बाद सिंह ने बिहार को इस स्थिति से निपटने के लिए हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है।उधर, बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए विशेष रिलीफ ट्रेनें भी गुरुवार से चलाने की घोषणा की गई है। पूर्व मध्यरेल के महाप्रबंधक गिरीश भटनागर ने बताया कि पीड़ितों की मदद के लिए रेलमंत्री राहत कोष से कपड़ा, चूड़ा-गुड़, माचिस और अन्य जरूरी सामान मुहैया कराया जा रहा है। बाढ़ से तबाही का मंजर
मूसलाधार बारिश की वजह से प्रमुख नदियों में उफान और नहरों-तटबंधों के टूटने से पूरा उत्तर भारत बाढ़ की चपेट में है। सबसे विकट स्थिति बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की है। |
| पंजाब में भी बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। हजारों करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है। हजारों हेक्टेयर में लगी फसल को भी नुकसान पहुंचा है और कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। हाल-ए-बिहार:नेपाल के कुशहा में कोसी के तटबंध टूटने के कारण बिहार में बाढ़ की विनाशकारी स्थिति बन गई है। इससे कोसी और सीमावर्ती इलाकों में बाढ़ का पानी लगातार बढ़ता जा रहा है। बाढ़ से करीब डेढ़ हजार गांवों के 25 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और करीब 40 लोगों की मौत हो चुकी है। कुछ जिलों में हेलिकॉप्टर से राहत सामग्री भी गिराई जा रही है। बाढ़ की स्थिति पर चर्चा करने और राहत पैकेज के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को प्रधानमंत्री से मिलने नई दिल्ली आ रहे हैं। विनाशकारी बाढ़ की वजह से पूर्वी बिहार के सहरसा, सुपौल, अररिया, पूर्णिया आदि जिलों में करोड़ों की फसलें बर्बाद हो गई है और जन-जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। इन क्षेत्रों में चल रही व्यापारिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप हो गई है। बिहार के रेजिडेंट कमिश्नर सी के मिश्रा ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया कि बाढ़ की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। लिहाजा, बाढ़ की विभीषिका से बचाव और राहत के लिए राज्य सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है।
दर्द-ए-उत्तर प्रदेश:बीते एक सप्ताह से जारी बारिश के चलते राज्य में बाढ़ की भयावह स्थिति बन गई है। गंगा, यमुना और गोमती नदियों का जल स्तर कई जगहों पर खतरे के निशान को पार कर गया है। राजधानी लखनऊ में गोमती 21 सालों का रिकार्ड तोड़ते हुए 108.5 मीटर पर आ गया है जो कि शतरे के निशान से एक मीटर नीचे पर है पर शहर के कई निचले हिस्सों में पानी रिहायशी इलाकों मे घुस गया है।माया सरकार ने जरुरी कदम उठाते हुए इन सभी जिलों को संवेदनशील घोषित कर दिया है। बाढ़ की वजह से पूर्वी उत्तर प्रदेश में करोड़ों की फसल बर्बाद होने का अनुमान है, वहीं व्यापारिक गतिविधियों पर भी असर पड़ रहा है। प्रदेश के मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता के अनुसार अति संवेदनशील 11 जिलों में राहत के लिए 3-3 करोड़ रुपसे और संवेदनशील 22 जिलों के लिए 2-2 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। पंजाब भी बेहाल:राज्य के 540 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। इससे करीब 550 करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है। पंजाब की वित्तीय और बाढ़ नियंत्रण आयुक्त रोमिला दुबे ने कहा है कि बाढ़ की वजह से 75 से 80 हजार जमीन पर फसल बर्बाद हो गई है।ऐसे में उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि कम से कम 15 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से किसानों को सहायता प्रदान करनी चाहिए। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, बाढ़ की वजह से 2400 घर पूरी तरह से तबाह हो गए हैं।राज्य सरकार ने बाढ़ प्रभावित जिलों की मदद के लिए बाढ़ राहत कोष से 22 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है। अगले 6 करोड़ की सहायता राशि भी देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राज्य में सड़क-रेल यातायात के साथ कारोबार भी प्रभावित हुआ है। |
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