अहमदाबाद : जन्माष्टमी पर जुआ! यह कोई अनोखी बात नहीं। पर इस बार यह कहा जा रहा है कि कृष्ण जन्माष्टमी पर मर्द ही नहीं, औरतें भी क्लबों, होटलों और फार्महाउसों में जमकर जुआ खेलेंगी। कई होटलों में तो औरतों के लिए स्पेशल टेबल भी बुक किए गए हैं ताकि वे आराम से दांव लगा सकें। इसके अलावा किटी पार्टियों में भी ताश की जबरदस्त बाजियां लगाई जाने वाली हैं।
जैसा कि उर्वी शाह कहती हैं, हम किसी सहेली के घर इकट्ठा हो जाते हैं और वहां पर जुआ खेलते हैं। इससे हमारी रूटीन किटी पार्टियों में अलग ही रंग आ जाता है। हां, हम यह तय कर लेते हैं कि हमें किस हद तक दांव लगाना है। हम कोई पक्के जुआरी तो हैं नहीं। हमारा इरादा तो बस मजे करना होता है। तीन पत्ती यहां का सबसे पॉपुलर कार्ड गेम है। वैसे यहां हर तरह का खेल खेला जाता है- कलर्स, सीक्वेंस, ऑल्टरनेट, ऑड इवेन, डर्बी, सब कुछ। बहुत सी औरतें तो होटल मे कमरा बुक करके भी इस मजे को लूटने से पीछे नहीं हटतीं। इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़ी कृपा कहती है, मेरी 30 सहेलियां जन्माष्टमी के दिन घर पर आ जाती हैं। सभी अपने-अपने घर से कुछ न कुछ पकाकर लाती हैं। हम सब मिलकर खाते-पीते हैं और इसके बाद ताश की बाजी लगती है। मजाल है कि कोई बाजी छोड़कर उठ जाए। इसे अशुभ माना जाता है। पोकर को पहले मर्दों का खेल माना जाता था। पर अब इसमें भी यह बंटवारा खत्म हो गया है। तीन पत्ती की तरह इसमें भी बस थोड़ा सा दिमाग लगाने की जरूरत होती है। उर्वी शाह कहती हैं, हम 10,000 रुपए से ज्यादा का जुआ नहीं खेलते। बस, मजे के लिए इतना ही काफी है।
No comments:
Post a Comment