rashtrya ujala

Monday, August 25, 2008

अपहरण से बचने के लिए चिप

अपहरण की बढ़ती घटनाओं से घबराए मैक्सिको के रईस लोग हजारों डॉलर खर्च कर अपनी त्वचा के नीचे छोटे ट्रांसमीटर लगवा रहे हैं ताकि अगवा होने की सूरत में सेटेलाइट के जरिए उनका पता लगाया जा सके। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2004 से 2007 के बीच मैक्सिको में अपहरण की घटनाएं लगभग 40 फीसदी बढ़ गई हैं। अप हरण के मामलों में बदतर रिकॉर्ड वाले देशों में इराक और कोलंबिया के पायदान पर ही मैक्सिको भी है। मैक्सिको में कई उच्च मध्य वर्गीय लोग देश की ही सुरक्षा उपकरणों की कंपनी जेगा द्वारा डिजाइन किया एक चिप खरीद रहे हैं। कंपनी का कहना है कि इस साल इसकी बिक्री 13 फीसदी बढ़ गई है और उसके 2,000 से अधिक ग्राहक हो चुके हैं।
जन्माष्टमी पर जुआ खेलने में महिलाएं भी पीछे नहीं
अहमदाबाद : जन्माष्टमी पर जुआ! यह कोई अनोखी बात नहीं। पर इस बार यह कहा जा रहा है कि कृष्ण जन्माष्टमी पर मर्द ही नहीं, औरतें भी क्लबों, होटलों और फार्महाउसों में जमकर जुआ खेलेंगी। कई होटलों में तो औरतों के लिए स्पेशल टेबल भी बुक किए गए हैं ताकि वे आराम से दांव लगा सकें। इसके अलावा किटी पार्टियों में भी ताश की जबरदस्त बाजियां लगाई जाने वाली हैं।
जैसा कि उर्वी शाह कहती हैं, हम किसी सहेली के घर इकट्ठा हो जाते हैं और वहां पर जुआ खेलते हैं। इससे हमारी रूटीन किटी पार्टियों में अलग ही रंग आ जाता है। हां, हम यह तय कर लेते हैं कि हमें किस हद तक दांव लगाना है। हम कोई पक्के जुआरी तो हैं नहीं। हमारा इरादा तो बस मजे करना होता है। तीन पत्ती यहां का सबसे पॉपुलर कार्ड गेम है। वैसे यहां हर तरह का खेल खेला जाता है- कलर्स, सीक्वेंस, ऑल्टरनेट, ऑड इवेन, डर्बी, सब कुछ। बहुत सी औरतें तो होटल मे कमरा बुक करके भी इस मजे को लूटने से पीछे नहीं हटतीं। इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़ी कृपा कहती है, मेरी 30 सहेलियां जन्माष्टमी के दिन घर पर आ जाती हैं। सभी अपने-अपने घर से कुछ न कुछ पकाकर लाती हैं। हम सब मिलकर खाते-पीते हैं और इसके बाद ताश की बाजी लगती है। मजाल है कि कोई बाजी छोड़कर उठ जाए। इसे अशुभ माना जाता है। पोकर को पहले मर्दों का खेल माना जाता था। पर अब इसमें भी यह बंटवारा खत्म हो गया है। तीन पत्ती की तरह इसमें भी बस थोड़ा सा दिमाग लगाने की जरूरत होती है। उर्वी शाह कहती हैं, हम 10,000 रुपए से ज्यादा का जुआ नहीं खेलते। बस, मजे के लिए इतना ही काफी है।

No comments: