कृषि के साथ-साथ अनेक क्षेत्रों की विकास दर पिछले साल के मुकाबले में और सुस्त रही है |
कई क्षेत्रों में धीमी विकास दर:भारत सरकार के केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के जुटाए आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2006-07 में भारत की सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 9.6 प्रतिशत थी जो पिछले 18 साल में सबसे ज़्यादा थी.
इन आँकड़ों से कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. जब आप वित्तीय स्थिति को नियंत्रण में करने की कोशिश करते है तो विकास दर घटती ही है. लेकिन विकास दर बहुत ज़्यादा नहीं गिरी है क्योंकि पीछे का इतिहास देखा जाए तो 7.9 की विकास दर काफ़ी ऊँची है |
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य सौमेत्र चौधरी ने कहा है, "इन आँकड़ों से कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. जब आप वित्तीय स्थिति को नियंत्रण में करने की कोशिश करते है तो विकास दर घटती ही है. लेकिन विकास दर बहुत ज़्यादा नहीं गिरी है क्योंकि पीछे का इतिहास देखा जाए तो 7.9 की विकास दर काफ़ी ऊँची है."निर्माण क्षेत्र की विकास दर लगभग आधी होकर 5.6 प्रतिशत हो गई जबकि इससे पहले ये 10.9 प्रतिशत थी.11.8 प्रतिशत और बिजली क्षेत्र में विकास दर 7.3 प्रतिशत थी.कृषि और संबंधित क्षेत्रों में विकास दर पिछले साल के 4.4 प्रतिशत से घटकर तीन प्रतिशत रह गई.बिजली, गैस और पानी की सप्लाई अन्य प्रमुख क्षेत्र है जिनकी विकास दर में कमी आई है. पहले ये 7.9 प्रतिशत थी और अब ये घटकर 2.6 प्रतिशत हो गई है.सेवा क्षेत्र, होटल, यातायात और संचार सेवाओं की विकास दर ज़्यादा नहीं घटी और ये पिछले साल के 13.1 के मुकाबले में 11.2 प्रतिशत थी.वित्तीय क्षेत्र, बीमा, व्यावसायिक सेवाओं की विकास दर 12.6 प्रतिशत के घट कर 9.3 प्रतिशत हो गई है.
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