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Tuesday, August 26, 2008

कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ आगे आई माया

लखनऊ। उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने कन्या भ्रूण हत्या पर प्रभावी रोक लगाने के लिए जनप्रतिनिधियों से आगे आने की अपील की है। मायावती ने हाल ही में इस आशय के पत्र राज्य के ग्रामप्रधानों से लेकर सांसदों तक लिखे हैं।एक पेज के पत्र में मायावती ने लिखा है कि कन्या भ्रूण हत्या पर प्रभावी रोक लगाकर लिंग अनुपात के भारी अंतर को रोकने के लिए सरकार की मदद करें। पत्र में बताया गया है कि छह वर्ष तक के बच्चों में लड़के और लड़कियों की जनसंख्या के अनुपात का अंतर बढ़ रहा है।अधिकारिक सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने 2007-08 में केवल लखनऊ में हुए 11940 और 2006-07 में 9522 गर्भपात को गंभीरता से लिया है और अब इसे रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाने का निश्चय किया है। इन रिपोर्टो से सकते में आए मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसे रोकने के लिए जनप्रतिनिधियों की मदद का भी निर्णय लिया। मायावती ने लिखा है कि कन्या भ्रूण हत्याओं को रोकने का प्रयास करना राजनेताओं की भी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है। उन्होंने लिखा है कि पुरुष और महिलाओं की जनसंख्या के अनुपात में पड़ोसी राज्य बिहार और मध्यप्रदेश का रिकार्ड उत्तरप्रदेश से बेहतर है। 2001 की जनगणना के अनुसार उत्तरप्रदेश में जहां यह अनुपात 1000 और 909 का है, वहीं बिहार में 1000 और 942 का है। पंजाब में दोनों का अनुपातिक अंतर सर्वाधिक है। वहां 1000 पुरुषों के अनुपात में मात्र 798 महिलाएं हैं, जबकि हरियाणा में यह 1000 पर 819 का है।मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों को लिखा है कि लड़कियों और लड़कों की जनसंख्या में इतना अंतर होते हुए लड़कियों पर होने वाले अत्याचार को रोकना काफी मुश्किल है। शिक्षा और संपन्नता के मामले में उत्तरप्रदेश का विकसित क्षेत्र माने जाने वाले पश्चिमी क्षेत्र में भी दोनों के अनुपात में काफी अंतर है। इन क्षेत्रों में एक हजार लड़कों पर बागपत में 847, आगरा में 849, गाजियाबाद में 851, बुलंदशहर में 866, हाथरस में 881 और अलीगढ़ में मात्र 886 लड़कियां हैं, जो राज्य के पूरे अनुपात से काफी कम है। सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले मानते हैं कि कन्या भ्रूण हत्या पर रोक के लिए केवल शिक्षा, पढ़ाई से ही काम नहीं चलेगा। इसके लिए दहेज जैसी सामाजिक बुराइयों को भी दूर करना होगा।गोविंद बल्लभ पंत संस्थान के ग्रामीण विकास विभाग के अध्यक्ष एसपी पांडेय का मानना है कि लोग तरह तरह के भ्रूण परीक्षण अच्छे डाक्टर से करवाने में सक्षम होते हैं। ऐसे में संपन्न और शिक्षित लोगों को इस सामाजिक बुराई को रोकने में सर्वाधिक पहल करनी होगी। केंद्र सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाने के लिए 1994 में एक कानून बनाया था। जिसके उल्लंघन पर 5 साल की कैद और दस हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।

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