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परीक्षा का तनाव और छात्रों का छिटपुट चीजें खाते रहना कोई नई बात नहीं है। एक्जाम के भूत से जूझ रहे अधिकतर छात्र पौष्टिक आहार संबंधी जरूरतों के लिए जल्दबाजी में जंक फूड खाने के आदी हो जाते हैं। परीक्षा के कठिन दिनों में अपनी ऊर्जा को बरकरार रखने के लिए कई छात्र कॉफी व कोल्ड ड्रिंक का सेवन करने पर आश्रित हो जाते हैं, जबकि कई छात्र तो कैफीन से संबंधित दवाइयों तथा अन्य स्मरण शक्तिवर्द्धक दवाइयों का सेवन करने लगते हैं। इस तरह परीक्षा के तनावपूर्ण समय में पौष्टिक आहार को नकारने से उनकी याद करने की क्षमता व व्यवहार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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भोजन, पौष्टिकता, पौष्टिक तत्वों की कमी व मनुष्य की दिगामी अवस्था के बीच एक गहरा संबंध है। नई दिल्ली की वरिष्ठ डाइटीशियन रितिका समद्दर बताती हैं कि तनाव हमारे शरीर के बायोकेमिकल बैलेंस (संतुलन) को बिगाड़ता है। उदाहरण के लिए हम यह कह सकते हैं कि तनाव व चिंता हमारे शरीर में प्रोटीन, विटामिन ए, सी व के के स्तर को घटाते है। इसलिए यह आवश्यक है कि परीक्षार्थी अपने आहार में अन्न, दाल, दूध, बादाम, दूध से बनी चीजों, अधिक मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियों और फल तथा थोड़ी-थोड़ी मात्रा में वसा और शकर का सेवन करें।
क्या खाएँ और कितना?
* 350-400 ग्राम कार्बोहाइड्रेट का सेवन करना चाहिए क्योंकि यह शरीर में ऊर्जा का स्रोत है। इसमें अन्न, दाल, कंदमूल आदि शामिल हैं।
* रोजाना के आहार में पौष्टिक तरल पदार्थ भी लेना चाहिए।
* शकर का सेवन कम करना चाहिए अर्थात 2 चम्मच प्रतिदिन ही लेनी चाहिए ताकि उच्च कैलोरी की मात्रा में कटौती की जा सके।
*50-70 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए। इसके लिए दाल, फली, बादाम खा सकते हैं।
* वसा का सेवन 35-45 मिलीलीटर तक ही करना चाहिए। छात्रों को उच्च वसायुक्त या अधिक तला हुआ भोजन नहीं खाना चाहिए। इससे उन्हें चक्कर आना या जी मिचलाना आदि जैसी शिकायतें हो सकती हैं।
* ताजे फल, सब्जियाँ व ज्यूस को अपने आहार में शामिल कर लें ताकि शरीर को विटामिन और मिनरल सही मात्रा में मिलते रहें।
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