बिलासपुरः हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में नैना देवी मंदिर में मची भगदड़ में 146 लोगों की मौत हो गई और 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए। शनिवार से शुरू हो रहे श्रावण अष्टमी मेले की वजह से यहां हजारों लोगों की भीड़ थी। श्रद्धालुओं से खचाखच भरे मंदिर परिसर में सुबह 10 बजे अफवाह फैल गई कि पास की पहाड़ी में भूस्खलन हो रहा है, इसके बाद धक्कामुक्की हुई और भीड़ बेकाबू हो गई।
मंदिर में हादसे के वक्त करीब 25,000 लोग मौजूद थे। भूस्खलन की अफवाह फैलते ही मंदिर से लौट रहे श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई और वे दौड़ने लगे। सड़क से मंदिर तक पहुंचने के लिए चार किलोमीटर लंबा पैदल ट्रेक है, अफरातफरी मचते ही ये लोग ऊपर मंदिर की तरफ जाते लोगों पर गिर पड़े और हड़कंप मच गया। औरतें और बच्चे इस भगदड़ की चपेट में बुरी तरह आ गए। मरने वालों में 40 से ज्यादा बच्चे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक कुछ लोग रेलिंग से कूद गए और जो कूद नहीं पाए वे दूसरों के ऊपर चढ़कर भागने लगे। गंभीर रूप से जख्मी लोगों को आनंदपुर साहिब और चंडीगढ़ के अस्पतालों में भेजा गया है। बारिश के वजह से लोगों को निकालने और अस्पताल ले जाने का काम प्रभावित हुआ।
हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव पी। सी. कपूर ने बताया कि मंदिर में आए अधिकतर लोगों में श्रद्धालु पंजाब और हिमाचल के थे। आमतौर पर यहां रोजाना करीब 10,000 लोग आते हैं लेकिन श्रावण अष्टमी के मेले की वजह से यहां दोगुनी भीड़ थी। हादसे की खबर मिलते ही पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंचकर राहत के कामों में जुट गए। नैना देवी मंदिर ऊंचाई पर स्थित है और सड़क से ऊपर जाने के लिए लोगों को पैदल चढ़ना पड़ता है। इसके लिए लोग पालकी का भी सहारा लेते हैं। यह मंदिर देशभर में स्थित 52 शक्ति पीठों में आता है। मान्यता है कि अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में भगवान शिव के अपमान से नाराज सती ने अपनी आहुति दे दी। इससे उग्र शिव तांडव करने लगे। विश्व को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शव को 52 टुकड़ों में बांट अलग अलग जगह गिरा दिया। जहां-जहां ये गिरे वहां शक्ति पीठ बन गए। माना जाता है कि जिस जगह पर सती की आंखें गिरीं, वहीं नैना देवी मंदिर है।
मंदिर में हादसे के वक्त करीब 25,000 लोग मौजूद थे। भूस्खलन की अफवाह फैलते ही मंदिर से लौट रहे श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई और वे दौड़ने लगे। सड़क से मंदिर तक पहुंचने के लिए चार किलोमीटर लंबा पैदल ट्रेक है, अफरातफरी मचते ही ये लोग ऊपर मंदिर की तरफ जाते लोगों पर गिर पड़े और हड़कंप मच गया। औरतें और बच्चे इस भगदड़ की चपेट में बुरी तरह आ गए। मरने वालों में 40 से ज्यादा बच्चे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक कुछ लोग रेलिंग से कूद गए और जो कूद नहीं पाए वे दूसरों के ऊपर चढ़कर भागने लगे। गंभीर रूप से जख्मी लोगों को आनंदपुर साहिब और चंडीगढ़ के अस्पतालों में भेजा गया है। बारिश के वजह से लोगों को निकालने और अस्पताल ले जाने का काम प्रभावित हुआ।
हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव पी। सी. कपूर ने बताया कि मंदिर में आए अधिकतर लोगों में श्रद्धालु पंजाब और हिमाचल के थे। आमतौर पर यहां रोजाना करीब 10,000 लोग आते हैं लेकिन श्रावण अष्टमी के मेले की वजह से यहां दोगुनी भीड़ थी। हादसे की खबर मिलते ही पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंचकर राहत के कामों में जुट गए। नैना देवी मंदिर ऊंचाई पर स्थित है और सड़क से ऊपर जाने के लिए लोगों को पैदल चढ़ना पड़ता है। इसके लिए लोग पालकी का भी सहारा लेते हैं। यह मंदिर देशभर में स्थित 52 शक्ति पीठों में आता है। मान्यता है कि अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में भगवान शिव के अपमान से नाराज सती ने अपनी आहुति दे दी। इससे उग्र शिव तांडव करने लगे। विश्व को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शव को 52 टुकड़ों में बांट अलग अलग जगह गिरा दिया। जहां-जहां ये गिरे वहां शक्ति पीठ बन गए। माना जाता है कि जिस जगह पर सती की आंखें गिरीं, वहीं नैना देवी मंदिर है।
No comments:
Post a Comment